वेदप्रताप वैदिक ब्लॉगः भारत-पाक दोस्ती का गलियारा
By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 24, 2018 04:52 AM2018-11-24T04:52:12+5:302018-11-24T04:52:12+5:30
इसका शिलान्यास पाकिस्तान की तरफ से प्रधानमंत्नी इमरान खान करेंगे और भारत की तरफ से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे.
भारत और पाकिस्तान के टूटे हुए रिश्तों को अब नानक-गलियारा (कॉरिडोर) जोड़ेगा. यह गलियारा बनेगा मुश्किल से 8 किमी का, भारत के डेराबाबा नानक से पाकिस्तान के करतारपुर साहब तक. करतारपुर में ही गुरु नानक देवजी ने अंतिम सांस ली थी. अगले साल गुरुनानक देवजी की 550 वीं जयंती है. भारत सरकार इसे बड़े पैमाने पर मनाना चाहती है.
हमारे मंत्रिमंडल ने जैसे ही गलियारा बनाने की घोषणा की, पाकिस्तान ने उस पर रजामंदी जाहिर कर दी. अब दोनों पक्षों में यह प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है कि इस मामले में पहल किसने की. मोदी सरकार को अगले साल चुनावों में अपने सिख वोटों की चिंता है तो पाकिस्तान को अपने पंजाब में सक्रिय आतंकवादी खेमे की पीठ ठोंकना है. पाकिस्तान में तो अभी से आजाद खालिस्तान के बोर्ड और पोस्टर जगह-जगह लग गए हैं.
यों तो 1999 में अटलजी ने अपनी प्रसिद्ध लाहौर-यात्रा के समय इस मुद्दे को उठाया था. मुङो याद है कि उन्होंने कहा था कि करतारपुर जानेवालों को पहले लाहौर जाना पड़ता है और फिर वहां से 125 किमी दूर करतारपुर के लिए बस पकड़नी पड़ती है. इतना ही नहीं, उन्हें वीजा लेने की भी मशक्कत करनी पड़ती है. अब जो गलियारा बनेगा, उसमें सिख तीर्थयात्नी बिना वीजा के जा सकेंगे और वे चाहें तो वहां पैदल भी पहुंच सकेंगे.
वे सुबह जाकर शाम को लौट सकेंगे. अभी हजारों लोग भारत से वहां पहुंचे हुए हैं. अगले साल गलियारा बन जाने पर लाख-दो लाख लोग पहुंच जाएं तो आश्चर्य नहीं होगा. इस योजना के निर्माण पर भारत को लगभग 25 लाख रु . खर्च करने होंगे और पाकिस्तान को डेढ़ करोड़ रुपए. इसका शिलान्यास पाकिस्तान की तरफ से प्रधानमंत्नी इमरान खान करेंगे और भारत की तरफ से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे.
इसी से इस नानक-गलियारे के महत्व का पता चल सकता है. मैं चाहता हूं कि यह गलियारा दो गांवों के बीच तो बने ही, दोनों देशों के दिलों के बीच भी बने.