वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: जागरूक नागरिक का दायित्व

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 10, 2019 02:44 PM2019-07-10T14:44:32+5:302019-07-10T14:44:32+5:30

जज मिंटू मलिक ने ड्राइवर और गार्ड को रेलवे अदालत में पेश होने के लिए बुलाया. इस पर जज को ही अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया. 

Ved Pratap Vaidik blog Citizen's Responsibility | वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: जागरूक नागरिक का दायित्व

वेद प्रताप वैदिक का ब्लॉग: जागरूक नागरिक का दायित्व

Highlightsउच्च न्यायालय का कहना था कि मजिस्ट्रेट मिंटू मलिक ड्राइवर के केबिन में घुस गए और उन्होंने ड्राइवर और गार्ड को डांट लगाईमिंटू मलिक ने हस्तक्षेप करके वास्तव में एक जागरूक नागरिक का दायित्व निभाया है.

शायद यह दुनिया का पहला मुकदमा है, जिसमें अदालत ने खुद पर ही जुर्माना ठोंक दिया है. यह मामला कोलकाता उच्च न्यायालय का है. 2007 में सियालदह के रेलवे मजिस्ट्रेट ने एक रेल इंजन ड्राइवर और गार्ड को घेर लिया, यह पूछने के लिए कि यह ट्रेन रोज ही 15 मिनट देर से क्यों आती है. इस पर सैकड़ों रेल कर्मचारियों ने जज के साथ धक्का-मुक्की की, नारे लगाए और धमकियां दीं. जज मिंटू मलिक ने ड्राइवर और गार्ड को रेलवे अदालत में पेश होने के लिए बुलाया. इस पर जज को ही अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया. 

उनसे पूछा गया था कि वे जज होकर भी इंजन के ड्राइवर के केबिन में घुसकर उसे क्यों धमका रहे थे? मजिस्ट्रेट मलिक ने कहा कि वह रेल रोज ही 15 मिनट देर से आती थी, क्योंकि उसे पहले किसी स्टेशन पर रोज इसलिए रोका जाता था कि उसमें से तस्करी का कुछ सामान उतार लिया जाता था और नकली और सस्ते खाद्य-पदार्थ लाद दिए जाते थे ताकि रेलवे अधिकारी और ठेकेदार नाजायज मुनाफा कमा सकें. मलिक की बात नहीं सुनी गई. मलिक ने अपना मामला उच्च न्यायालय में दायर कर दिया. 12 साल बाद उसका फैसला आया. अदालत ने मलिक को दुबारा अपने पद पर नियुक्ति का आदेश दिया और अपने पर ही जुर्माना लगाते हुए मलिक को एक लाख रु . का हर्जाना देने की घोषणा की. 

उच्च न्यायालय का कहना था कि मजिस्ट्रेट मिंटू मलिक ड्राइवर के केबिन में घुस गए और उन्होंने ड्राइवर और गार्ड को डांट लगाई, यह बात उनके अति उत्साहित होने का सूचक जरूर है लेकिन उन्होंने क्या ऐसा अपने स्वार्थ के लिए किया था? देश के ज्यादातर जिम्मेदार लोग ऐसे मामलों की उपेक्षा कर देते हैं और सोचते हैं कि हम फिजूल सिरदर्द मोल क्यों लें? मिंटू मलिक ने हस्तक्षेप करके वास्तव में एक जागरूक नागरिक का दायित्व निभाया है. इसीलिए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें एक लाख रु . का इनाम दिया है. मैं उसे हर्जाना नहीं, इनाम कहता हूं. मिंटू मलिक जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को सरकार द्वारा भी सम्मानित किया जाना चाहिए. 

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog Citizen's Responsibility

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