ब्लॉग: चीन की चालबाजी के बीच भारत के लिए पड़ोसी देशों के साथ नई पहल जरूरी

By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 31, 2021 12:49 PM2021-05-31T12:49:08+5:302021-05-31T12:50:48+5:30

पाकिस्तान के साथ तो चीन एकजुट है ही लेकिन अब वह श्रीलंका पर भी डोरे डाल रहा है. श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में ‘कोलंबो पोर्ट सिटी’ बन रही है, जिस पर चीन अरबों रुपये खर्च करेगा.

Ved Pratap Vaidik blog: Amid China tactics India needs new initiative with neighboring countries | ब्लॉग: चीन की चालबाजी के बीच भारत के लिए पड़ोसी देशों के साथ नई पहल जरूरी

भारत के लिए पड़ोसी देशों के साथ नई पहल जरूरी (फाइल फोटो)

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आजकल अमेरिका के नेताओं, अफसरों और विदेश नीति विशेषज्ञों से गहन संवाद कर रहे हैं. यह बहुत सामयिक है क्योंकि इस कोरोना-काल में सबका ध्यान महामारी पर लगा हुआ है और विदेश नीति हाशिये पर सरक गई है. लेकिन चीन जैसे राष्ट्र इसी मौके को अवसर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.

भारत के पड़ोसी राष्ट्रों और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं. पाकिस्तान के साथ चीन की इस्पाती-दोस्ती या लौह-मैत्री तो पहले से ही है. 

पाकिस्तान अब अफगान-संकट का लाभ उठाकर अमेरिका से भी साठगांठ करना चाहता है इसलिए उसके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हाल ही में एक ताजा बयान भी दिया है कि पाकिस्तान किसी खेमे में शामिल नहीं होना चाहता है यानी वह चीन का चप्पू नहीं है लेकिन उसकी पुरजोर कोशिश है कि अमेरिका की वापसी के बाद वह अफगानिस्तान पर अपना पूर्ण वर्चस्व कायम कर ले. 

ऐसे भी अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान की असीम दखलंदाजी है. हाल ही में हेलमंद घाटी में तालिबान के साथ घायल एक पाकिस्तानी फौजी अफसर की मौत हुई है. अफगानिस्तान आजाद रहे, भारत यही चाहता है, इसीलिए हमारे विदेश मंत्री की कोशिश है कि अमेरिका वहां से अपनी वापसी के लिए जल्दबाजी न करे.

पाकिस्तान के साथ तो चीन एकजुट है ही लेकिन अब वह श्रीलंका पर भी डोरे डालने में काफी सफल हो रहा है. श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में ‘कोलंबो पोर्ट सिटी’ बन रही है, जिस पर चीन 1.4 बिलियन डॉलर खर्च करेगा. इसकी भव्यता पर 15 बिलियन डॉलर का विनियोग होगा. इसे लेकर श्रीलंकाई संसद ने एक कानून बना दिया है. 

कानून पर चली बहस के समय कई विपक्षी सांसदों ने कहा कि श्रीलंका की राजधानी में यह ‘चीनी अड्डा’ बनने जा रहा है. इस पूरे क्षेत्र पर अब श्रीलंका की नहीं, चीन की संप्रभुता होगी. श्रीलंका सरकार ने एक चीनी कंपनी को कोलंबो में ऊंची-ऊंची सड़कें बनाने का भी मोटा ठेका दिया है. 

चीनियों ने अभी से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. उनके निर्माण-कार्य जहां-जहां चल रहे हैं, वहां-वहां उन्होंने जो नामपट लगाए हैं, वे सब सिंहल, चीनी और अंग्रेजी में हैं. उनमें से श्रीलंका की दूसरी राजभाषा तमिल को गायब कर दिया गया है, क्योंकि वह भारतीय भाषा भी है. 

इसे लेकर आजकल श्रीलंका में काफी विवाद चल रहा है. यों तो श्रीलंका के नेता भारत-श्रीलंका मैत्री को बेजोड़ बताते थकते नहीं हैं लेकिन भारत के अड़ोस-पड़ोस में अब चीन का वर्चस्व इतना बढ़ रहा है कि भारत के विदेश मंत्रालय को पहले से अधिक सजग और सक्रि य होना होगा. 

जयशंकर चाहें तो दक्षिण एशियाई राष्ट्रों के लिए बाइडेन-प्रशासन को विशेष सहायता की नई व्यावहारिक पहल भी सुझा सकते हैं.

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: Amid China tactics India needs new initiative with neighboring countries

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