केंद्रीय मंत्रिमंडल में शीघ्र फेरबदल के आसार, हरीश गुप्ता का ब्लॉग
By हरीश गुप्ता | Published: November 12, 2020 02:02 PM2020-11-12T14:02:44+5:302020-11-12T14:07:30+5:30
चार महासचिवों को हटाए जाने से इस चर्चा को बल मिला और ऐसी खबरें हैं कि फेरबदल से कई लोगों को झटका भी लग सकता है. वर्तमान में प्रधानमंत्री सहित 22 कैबिनेट मंत्री हैं जो अब तक की सबसे कम संख्या है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल के आगामी फेरबदल के लिए तैयारी की जा रही है. कहा जा रहा है कि यह दीपावली के बाद कभी भी किया सकता है. पिछले महीने भाजपा में संगठनात्मक बदलाव के बाद से राजधानी में इस फेरबदल की चर्चा हो रही है.
चार महासचिवों को हटाए जाने से इस चर्चा को बल मिला और ऐसी खबरें हैं कि फेरबदल से कई लोगों को झटका भी लग सकता है. वर्तमान में प्रधानमंत्री सहित 22 कैबिनेट मंत्री हैं जो अब तक की सबसे कम संख्या है. हरसिमरत कौर बादल (अकाली दल), अरविंद सावंत (शिवसेना) के बाहर निकलने और रामविलास पासवान (लोजपा) के निधन के साथ स्थिति कुछ अनिश्चित हो गई है. जनता दल (यू), एक प्रमुख भाजपा सहयोगी, कुछ मतभेदों के कारण मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं है.
अब जब बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं, जद (यू) का समावेश अनिवार्य हो गया है. प्रधानमंत्री ने पिछले दो महीनों के दौरान केंद्रीय मंत्रियों को प्रस्तुति देने के लिए बुलाया और अपने सहयोगियों के प्रदर्शन की समीक्षा की. पता चला है कि उनमें से कुछ को बाहर का दरवाजा दिखाया जा सकता है.
मनसुखलाल मांडविया को मंत्रिमंडल में पदोन्नत किया जा सकता है
मंत्रिमंडल फेरबदल में देरी के ही कारण नरेंद्र सिंह तोमर को चार विभागों को जबकि पीयूष गोयल को तीन और प्रकाश जावड़ेकर को भी तीन मंत्रलयों को संभालना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री द्वारा जहाजरानी मंत्रलय के पुनर्गठन की घोषणा के साथ, ऐसी संभावना है कि मनसुखलाल मांडविया को मंत्रिमंडल में पदोन्नत किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो वह गुजरात के तीसरे कैबिनेट मंत्री हो सकते हैं.
वर्तमान में उनके पास राज्यमंत्री के रूप में जहाजरानी और रसायन एवं उर्वरक मंत्रलय का स्वतंत्र प्रभार है. अगले साल मई में जिन दो प्रमुख राज्यों पश्चिम बंगाल और असम में चुनाव होना है, उनका कैबिनेट मंत्री के रूप में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. बेशक, पश्चिम बंगाल से दो राज्य मंत्री हैं और एक असम से है. लेकिन माना जा रहा है कि एक कैबिनेट रैंक के मंत्री को पश्चिम बंगाल से लिया जाना चाहिए. अब जब मध्य प्रदेश में भाजपा ने बढ़त बना ली है, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की जल्दी ही बड़ी पदोन्नति की बात कही जा रही है. क्या महाराष्ट्र से कोई मंत्रिमंडल में आएगा? कोई नहीं जानता.
इंतजार में राज्यपाल
अगर रिपोर्टो पर विश्वास किया जाए तो केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के साथ-साथ राज्यपाल संबंधी परिवर्तन भी हो सकते हैं. राजभवन में कई पदों को नए सिरे से भरे जाने की आवश्यकता है. जो 75 की उम्र पार कर चुके हैं और जिन्हें मंत्रिस्तरीय और अन्य जिम्मेदारियों से राहत मिल चुकी है, उन्हें समायोजित किया जा सकता है. गोवा को नए राज्यपाल की आवश्यकता होगी क्योंकि सत्यपाल मलिक को मेघालय स्थानांतरित कर दिया गया है.
तथागत रॉय ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में वापस जाने के लिए मेघालय के राज्यपाल का पद छोड़ दिया है. राज्यपाल बलरामजी दास टंडन के निधन के बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. द्रौपदी मुमरू (झारखंड) और वजुभाई वाला (कर्नाटक) का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है. उन्हें पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में राज्यपाल नियुक्त किया गया था और वे पद पर बने हुए हैं. हालांकि राष्ट्रपति ने उनके कार्यकाल के विस्तार का कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है.
किरण बेदी और अनिल बैजल, पुडुचेरी और दिल्ली के उपराज्यपाल भी निकासी द्वार के नजदीक हैं. दोनों ने अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रभात झा, रेणु देवी, श्याम जाजू, अविनाश राय खन्ना राजभवन में प्रमुख पद पाने की उम्मीद कर रहे हैं. उमा भारती भाग्यशाली साबित हो सकती थीं, लेकिन लगता है वे कृपापात्रों की सूची में नहीं हैं.
बंगाल के लिए लड़ाई
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में एक तूफानी यात्र की थी, ने स्वादिष्ट बंगाली भोजन का आनंद लिया होगा. लेकिन उन्हें पार्टी में विभिन्न गुटों को संभालने के कठिन कार्य का सामना करना पड़ा. मुकुल रॉय, जिन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, नाराज थे. वे एयरपोर्ट पर अमित शाह को रिसीव करने नहीं गए और अपने बांकुरा क्षेत्र में ही रहे. विभिन्न स्थानों पर तीव्र मतभेद सामने आए क्योंकि अधिकांश नेता भाजपा में आयातित किस्म के हैं और पुराने नेता उनके साथ सत्ता साझा करने को तैयार नहीं हैं.
पार्टी में इस बात को लेकर भी मतभेद सामने आए हैं कि आने वाले चुनावों में किसे मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया जाए. भाजपा सौरव गांगुली या फिर पंडित अजय चक्रवर्ती को प्रोजेक्ट करने पर विचार कर रही है. अजय चक्रवर्ती संगीत और कला की दुनिया के एक प्रसिद्ध नाम हैं, जिन्होंने अपने निवास पर अमित शाह की मेजबानी की. लेकिन पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रमुख दिलीप घोष के समर्थकों ने उन्हें चेहरा घोषित किए जाने पर जोर दिया है. बाबुल सुप्रियो और रूपा गांगुली अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रहे हैं. भाजपा को ममता के खिलाफ सीएम पद के लिए एक चेहरे की सख्त जरूरत है.