प्रकाश बियाणी का ब्लॉगः पहले कार्यकाल की कमियां दूर कीं
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 6, 2019 06:22 PM2019-07-06T18:22:19+5:302019-07-06T18:22:19+5:30
सरकार ने किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, किसानों को सालाना 6 हजार रुपए नगद राशि दी पर ग्रामीण अंचल में फील गुड मिसिंग है. इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़कें, पुल, फ्लायओवर, रेलवे, एयरपोर्ट आदि) पर खूब पैसा खर्च किया पर मार्केट में नगदी की कमी है. बेरोजगारी बढ़ने से शहरों में भी फील गुड मिसिंग है.
प्रकाश बियाणी
वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2020 के बजट में बीते कार्यकाल की उपलब्धियों का खुलकर बखान करते हुए मोदी सरकार-2 के 5 साल का एजेंडा पेश किया. प्रचंड बहुमत के बाद वे पहला बजट पेश कर रही थीं. लोकलुभावन बजट पेश करने की विवशता नहीं थी. उम्मीद की जा रही थी कि वित्त मंत्नी आर्थिक सुधार के कड़े कदम उठाएंगी, पर उन्होंने उस फॉल्ट लाइन को फिल करने की कोशिश की जिनके कारण मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के प्रयासों के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले हैं.
जैसे, महंगाई नियंत्रित रही पर मांग नहीं बढ़ी, बचत नहीं बढ़ी. जीएसटी सिस्टम दो साल में भी सेटल नहीं हुआ. नोटबंदी की पर ब्लैक मनी कम नहीं हुई. दिवालिया कानून लागू हुआ पर बड़े डिफॉल्टरों की संपदा कागजों में ही बिकी, बैंकों को पैसा नहीं मिला. वित्तीय घाटा नियंत्रित रहा, विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा पर निजी निवेश नहीं बढ़ा, निर्यात नहीं बढ़ा और जीडीपी की ग्रोथ थम गई. रेरा कानून लागू किया पर कंस्ट्रक्शन उद्योग में सुधार नहीं हुआ.
सरकार ने किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, किसानों को सालाना 6 हजार रुपए नगद राशि दी पर ग्रामीण अंचल में फील गुड मिसिंग है. इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़कें, पुल, फ्लायओवर, रेलवे, एयरपोर्ट आदि) पर खूब पैसा खर्च किया पर मार्केट में नगदी की कमी है. बेरोजगारी बढ़ने से शहरों में भी फील गुड मिसिंग है.
वित्त मंत्नी ने बजट पेश करते हुए कहा कि इस साल देश की इकोनॉमी 3 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी पर हमारा लक्ष्य है 5 लाख करोड़ डॉलर अर्थव्यवस्था वाला देश. वित्त मंत्नी ने इसका रोड मैप पेश नहीं किया पर उन्होंने छोटे-छोटे आर्थिक सुधार के वादे अवश्य किए.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि हाथी का पेट भरने में ज्यादा धान खर्च नहीं होता पर हाथी खेत में घुस जाए तो सारा धान बर्बाद कर देता है.
सरकार भी इतना ही कर वसूल करना चाहती है कि करदाता बर्बाद न हो जाए. उन्होंने कहा कि पहले 6.38 लाख लोग आयकर चुका रहे थे अब 11.37 लाख. आयकरदाता बढ़ने चाहिए इसलिए मोदी सरकार 5 लाख तक की कमाई पर आयकर नहीं लेती. सरकार 400 करोड़ रु पए वाली कंपनियों पर कॉर्पोरेट टैक्स घटाकर 25 फीसदी कर रही है पर 2 करोड़ से ज्यादा सालाना कमाई वाले अमीरों पर 3 से 7 फीसदी कर बढ़ा रही है. इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पेट्रोल डीजल पर ड्यूटी बढ़ा रही है. वित्त मंत्नी ने सोने पर भी कस्टम ड्यूटी बढ़ाई.
वित्त मंत्नी ने सरकारी बैंकों के लिए भी बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष वाणिज्यिक बैंकों के डूबत कर्ज में 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आई है. 5 साल में आईबीसी तथा अन्य उपायों के कारण बैंकों ने 4 लाख करोड़ रु पए वसूल किए हैं. वित्त मंत्नी ने अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए तथा ऋण वितरण को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्न के बैंकों को 70,000 करोड़ रुपए की पूंजी दी. उन्होंने वित्तीय रूप से मजबूत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को भी छूट दी. हालांकि बजट के हिडन हिस्से की फाइन रीडिंग के बाद ही पता चलेगा कि बजट नरेंद्र मोदी के विजन और मिशन के अनुरूप है या नहीं.