शोभना जैन का ब्लॉगः ब्रिटेन के चुनाव नतीजे भारत के लिए भी अहम
By शोभना जैन | Published: December 14, 2019 07:23 AM2019-12-14T07:23:21+5:302019-12-14T07:23:21+5:30
ब्रिटेन की कुल आबादी करीब छह करोड़ है. इस आबादी में करीब 2.5 फीसदी भारतीय हैं. इस वजह से चुनावों में राजनीतिक पार्टियों ने ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों को लुभाने का विशेष प्रयास किया, जिसमें कंजर्वेटिव पार्टी ने खासी बढ़त ली.
ब्रिटेन के आम चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि प्रधानमंत्नी बोरिस जॉनसन नीत कंजर्वेटिव पार्टी एक बार फिर सत्ता में लौट रही है. निश्चय ही चर्चित ‘ब्रेग्जिट’ को लेकर हुए चुनाव के नतीजों से एक तरफ जहां इंग्लैंड के यूरोपीय संघ से हटने के ब्रेग्जिट समझौते के लिए रास्ता साफ हो सकता है, वहीं इन चुनावों से संकेत मिलता है कि भारतीय मूल के मतदाताओं की भूमिका ब्रिटिश राजनीति में अहम होती जा रही है.
चुनाव मैदान में दोनों प्रमुख दलों सहित अन्य दलों के भारतीय मूल के उम्मीदवारों को भारी सफलता मिली है. वहीं बहुमत प्राप्त कंजर्वेटिव पार्टी का विशेष तौर पर चुनावों के दौरान कश्मीर सहित भारत को लेकर अनेक ज्वलंत मुद्दों पर रुख और भारतीय मूल के मतदाताओं के साथ लेबर पार्टी के मुकाबले जो ‘इंडिया कनेक्ट’ देखने को मिला उससे स्पष्ट है कि भारतीय मूल के काफी मतदाता लेबर पार्टी के अपने पिछले जुड़ाव के मुकाबले अब कंजर्वेटिव पार्टी के ज्यादा करीब हो रहे हैं.
कुल मिला कर ये चुनाव नतीजे भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मूल के मतदाताओं के उनके देश से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर उनके भावनात्मक जुड़ाव पर उनका जनादेश रहे हैं. सत्ता में आने वाली पार्टी के चुनाव प्रचार से संकेत मिलता है कि नई कंजर्वेटिव सरकार के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ होने के साथ-साथ अधिक समझ बूझ वाली सोच पर आधारित होंगे.
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, ब्रिटेन की कुल आबादी करीब छह करोड़ है. इस आबादी में करीब 2.5 फीसदी भारतीय हैं. इस वजह से चुनावों में राजनीतिक पार्टियों ने ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों को लुभाने का विशेष प्रयास किया, जिसमें कंजर्वेटिव पार्टी ने खासी बढ़त ली. बोरिस जॉनसन सहित अनेक नेताओं ने चुनाव प्रचार मुहिम में न केवल मंदिरों, गुरुद्वारों के दर्शन किए बल्कि भारत विरोधी ताकतों की सक्रियता पर चिंता जताई.
वैसे चुनावों में हिंदी में चुनाव प्रचार संबंधी गीत भी खासी दिलचस्पी का केंद्र रहे, जिसमें बोरिस के हिंदी में दिए गए चुनाव संदेश खासे चर्चा का बिंदु बने. वहीं कभी भारतीय मूल के मतदाताओं के करीब मानी जाने वाली लेबर पार्टी ने सितंबर में पार्टी के वार्षिक सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर को लेकर आपातकालीन प्रस्ताव पारित किया था. इसमें पार्टी ने क्षेत्न में प्रवेश के लिए अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक और वहां के लोगों के लिए आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग करने के लिए कहा.
हालांकि लेबर पार्टी का यह रुख ब्रिटेन सरकार के आधिकारिक रुख के विपरीत था. ब्रिटेन सरकार का मानना रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है. बाद में लेबर पार्टी ने इस मुद्दे पर सफाई देने की कोशिश भी की लेकिन मामला उलझता गया और भारतीय मूल के मतदाताओं की लेबर पार्टी से बेरुखी चुनाव नतीजों से जाहिर भी हुई.