उमेश चतुर्वेदी का ब्लॉग: नई सरकार की ये होंगी चुनौतियां

By उमेश चतुर्वेदी | Published: May 22, 2019 07:07 AM2019-05-22T07:07:28+5:302019-05-22T07:07:28+5:30

अगर नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा वापस आती है तो उसके सामने चुनाव बाद महंगाई बढ़ने की अवधारणा को तोड़ना बड़ा मसला होगा. इसी तरह पेट्रोल की कीमतों में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी भी बता रही है कि चुनाव बाद महंगाई बढ़ने की अवधारणा पर काबू पाना आसान नहीं होगा.

These new challenges will be the new government after 23rd may | उमेश चतुर्वेदी का ब्लॉग: नई सरकार की ये होंगी चुनौतियां

नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

 चुनाव नतीजे चाहे जैसे भी आएं, हकीकत यह है कि नई सरकार के सामने कुछ बड़ी चुनौतियां होंगी और उसे उन चुनौतियों से जल्द से जल्द पार होना होगा. इसमें सबसे बड़ी चुनौती महंगाई दर को काबू में रखना होगा. आमतौर पर यह अवधारणा रही है कि जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं, महंगाई दर बढ़ जाती है. वैसे पिछले आठ महीने से महंगाई दर 2.86 प्रतिशत पर टिकी है, लेकिन अर्थशास्त्रियों के एक बड़े तबके का मानना है कि आने वाले दिनों में यह बढ़कर 2.97 प्रतिशत तक पहुंच सकती है.

अगर नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा वापस आती है तो उसके सामने चुनाव बाद महंगाई बढ़ने की अवधारणा को तोड़ना बड़ा मसला होगा. इसी तरह पेट्रोल की कीमतों में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी भी बता रही है कि चुनाव बाद महंगाई बढ़ने की अवधारणा पर काबू पाना आसान नहीं होगा. वैसे यह ध्यान में रखना होगा कि जब भी पेट्रोल या पेट्रोलियम पदार्थो की कीमत बढ़ती है, तो इस वजह से बाकी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ जाती हैं, क्योंकि भारत में अब भी माल ढुलाई ज्यादातर सड़क मार्ग के जरिए ही होती है. लिहाजा पेट्रोलियम की दर में बढ़ोत्तरी का असर सारी चीजों की कीमतों पर पड़ता है. 


नई सरकार के सामने जल्द ही एक और बड़ी चुनौती आने वाली है. भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी सबसे ज्यादा खेती पर निर्भर है. उसकी निर्भरता मानसून पर ज्यादा है. जिस तरह मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि मानसून कुछ इलाकों में कमजोर रहने वाला है, इस वजह से जाहिर है कि जिन इलाकों में कम बारिश होने वाली है, वहां खेती कमजोर रहनी है. वहां के किसानों की मुश्किलें बढ़नी हैं. इसलिए नई सरकार के लिए 
बड़ी चुनौती सूखे की समस्या से पार पाना होगा.


इस बार का चुनाव अभियान लंबा और खर्चीला ही नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच तीखी बयानबाजी के लिए भी याद किया जाएगा. इस वजह से कुछ सामाजिक समूहों में तनाव की खबरों से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इस लिहाज से नई सरकार के सामने सिर्फ आर्थिक ही नहीं, सामाजिक मोर्चे पर भी सामंजस्य बिठाए रहने की चुनौती भी होगी.

Web Title: These new challenges will be the new government after 23rd may