ब्लॉग: चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सवाल- सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर सही कदम उठाया

By शशिधर खान | Published: November 29, 2022 12:20 PM2022-11-29T12:20:16+5:302022-11-29T12:20:16+5:30

सीएजी, सीवीसी, सीआईसी और यहां तक कि सीबीआई के प्रमुख की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया है, जिसमें प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता होते हैं. चुनाव आयोग के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए ऐसी कोई चयन प्रक्रिया नहीं है.

There should be no politics on the appointment of the Election Commissioner | ब्लॉग: चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सवाल- सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर सही कदम उठाया

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर नहीं होनी चाहिए राजनीति (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के मामले में बिल्कुल सही वक्त पर सही कदम उठाया है. चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है और संविधान की धारा-324 के अंतर्गत इसे काफी शक्तियां प्राप्त हैं. लेकिन अन्य संवैधानिक संस्थाओं की तरह चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं कर पाता क्योंकि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति सरकारी विभाग के अधिकारियों की तरह होती है. 

मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति कहने के लिए राष्ट्रपति कार्यालय करता है. सीएजी (महालेखा परीक्षक व नियंत्रक), सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयुक्त), सीआईसी (केंद्रीय सूचना आयुक्त) और यहां तक कि सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) के प्रमुख की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया है, जिसमें प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता होते हैं. इनमें चुनाव आयोग एकमात्र संवैधानिक संस्था है, जिसके प्रमुखों की नियुक्ति के लिए ऐसी कोई चयन प्रक्रिया नहीं है. 

सीईसी से लेकर चुनाव आयुक्तों के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का चयन सरकारी तंत्र करता है. राज्यों से भी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राज्य सरकारें तय करती हैं.

इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से बिल्कुल जायज कैफियत मांगी है कि सीईसी के लिए चयन समिति (कलेजियम) क्यों नहीं है और अभी तक सरकार इस पर चुप क्यों है. 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी की नियुक्ति और चयन प्रक्रिया पर केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया था. अभी गत दिनों जब सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में सुनवाई चल रही थी तो अटाॅर्नी जनरल सरकार का पक्ष शीर्ष कोर्ट में रख रहे थे. और उसी दौरान केंद्र सरकार ने पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण गोयल की नियुक्ति आनन-फानन में कर डाली, जबकि उसी प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा. 

इस संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही पांच जजों की संविधान पीठ ने तुरंत तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त बनानेवाली फाइल सरकार को दिखाने कहा.

सुप्रीम कोर्ट पीठ के अध्यक्ष जस्टिस के. एम. जोसेफ ने 18 नवंबर को कहा कि चुनाव आयोग ईमानदार हो सकता है, मगर इसके निश्चित ही राजनीतिक ताल्लुकात भी हो सकते हैं. 23 नवंबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस के. एम. जोसेफ और पीठ के दूसरे जज अजय रस्तोगी ने अटाॅर्नी जनरल से पूछा कि 18 नवंबर को ही रखी गई चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से संबंधित फाइल एक ही दिन में क्लियर हो गई. जजों ने सरकार से इतनी जल्दीबाजी का कारण पूछा और वो भी उस वक्त जब इस पर सवाल उठाए गए हैं.

Web Title: There should be no politics on the appointment of the Election Commissioner

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