सारंग थत्ते का ब्लॉग: गौरवशाली है नौसेना का इतिहास
By सारंग थत्ते | Published: December 4, 2018 02:08 PM2018-12-04T14:08:17+5:302018-12-04T14:08:17+5:30
3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत के सैनिक अड्डों पर बमबारी की थी जिसके जवाब में अगले दिन कराची बंदरगाह में हमारी नौसेना की मिसाइल बोट ने भयंकर बमबारी की और तेल के टैंकों को निशाना बनाया।
ऋग्वेद में जल देवता से एक पोत की समृद्धि और सुरक्षित यात्ना के लिए प्रार्थना का जिक्र है, वहीं शिवाजी महाराज के दौर में कान्होजी आंग्रे को एडमिरल की हैसियत से 17 वीं सदी में भारतीय नौसेना को एक नए आयाम में लाने का श्रेय जाता रहा है। इसी पृष्ठभूमि में आजादी के बाद भारतीय नौसेना ने 6 फ्रीगेट एवं 14 अन्य छोटे जहाजों से अपनी शुरुआत की थी। अब आईएनएस विशाल जैसे विमानवाहक पोत देश में बन रहे हैं। नौवहन में वाकई में पिछले दशक में एक लहर आई है।
पाकिस्तान के साथ हुई 1971 की जंग में भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह पर अपनी पकड़ मजबूत की हुई थी। 3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत के सैनिक अड्डों पर बमबारी की थी जिसके जवाब में अगले दिन कराची बंदरगाह में हमारी नौसेना की मिसाइल बोट ने भयंकर बमबारी की और तेल के टैंकों को निशाना बनाया। कराची शहर सात दिन तक धुएं में डूबा रहा। कराची पर बमबारी कर 1965 का बदला हमने लिया था। ऑपरेशन ट्राइडंट के अंतर्गत कराची के पाकिस्तानी नौसेना अड्डे पर किए गए घातक हमले ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी थी।
लगभग 500 पाकिस्तानी नौसैनिक इस आक्र मण में मारे गए थे। हमारे युद्ध पोत आईएनएस नीरघाट, वीर और निपात ने इस ऑपरेशन में प्रमुख भूमिका निभाई थी। नौसेना के इसी शिकंजे की वजह से भारतीय सेना और वायुसेना अपने इरादे में सफल रही थी। 4 दिसंबर 1971 की सफलता से प्रेरणा लेकर ही इस दिन को 1972 से नौसेना दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया।
47 वें नौसेना दिवस से दो महीने पहले से ही कई अभूतपूर्व आयोजन किए गए हैं। नौसेना के कई आयामों की जानकारी आम नागरिकों तक पहुंचाने का उद्देश्य इस वर्ष रखा गया है। पूर्वी नौसेना कमान में विशाखापट्टनम में एक विशेष रक्त दान शिविर का आयोजन किया गया था। अंगदान करने के लिए नागरिकों को जानकारी मुहैया करने के उद्देश्य से एक कार्यशाला का भी आयोजन किया गया था।
नौसेना की ओर से दौड़ का आयोजन विशाखापट्टनम एवं कोच्चि में किया गया था। महीने के आखिर में स्कूली बच्चों को नौसेना के युद्ध पोतों पर घुमाने का कार्यक्रम भी शामिल किया गया। इसके अलावा समुद्र से दुश्मन पर आक्रमण का प्रदर्शन चार दिसंबर को होगा। इस पूरे आयोजन में भारतीय नौसेना देशवासियों को इस बात का भरोसा दिलाना चाहती है कि वह पूरी तरह से सक्षम है।