ब्लॉग: तवांग चीन के लिए है एक रणनीतिक महत्व, 3 देशों पर नजर रखने के लिए चीनी सेना चाहती है इलाके पर कब्जा

By अवधेश कुमार | Published: December 15, 2022 09:17 AM2022-12-15T09:17:12+5:302022-12-15T09:25:11+5:30

आपको बता दें कि गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद तनाव के बीच उसी वर्ष अगस्त में चीन के 100 सैनिक तवांग के एक क्षेत्र में करीब 5 किलोमीटर तक भारतीय सीमा में घुसे थे। इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में वर्ष 2016 में करीब 200-250 चीनी सैनिकों ने तवांग स्थित एक दूसरे पॉइंट से भारतीय सीमा में प्रवेश किया था। हर बार भारतीय सैनिक उन्हें खदेड़ते हैं।

Tawang is of strategic importance for China Chinese army wants to capture area to keep an eye 3 countries | ब्लॉग: तवांग चीन के लिए है एक रणनीतिक महत्व, 3 देशों पर नजर रखने के लिए चीनी सेना चाहती है इलाके पर कब्जा

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsअरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच फिर से एक झड़प हुई है। इस झड़प में दोनों देशों के जवान घायल हुए है। ऐसे में यह पहली बार नहीं है जब जवांग में ऐसी घटना घटी है।

नई दिल्ली: चीनी सैनिकों द्वारा अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारतीय सैनिकों के साथ आमने-सामने के संघर्ष ने एक बार फिर भारत-चीन सीमा तनाव को सतह पर ला दिया है. हालांकि इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है. 

चीन शुरू से ही पूरे अरुणाचल प्रदेश पर करता है अपना दावा

चीन की हरकतें अरुणाचल प्रदेश को लेकर पुरानी हैं. वह संपूर्ण अरुणाचल पर अपना दावा करता है. इसलिए तवांग सेक्टर में 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों द्वारा सीमा पार करने की कोशिश उसकी उसी दुर्नीति का अंग है. हमारे सैनिकों की बहादुरी के कारण वे सीमा पार नहीं कर सके.

1962 के युद्ध के समय कुछ समय के लिए तवांग था चीनी सेना के कब्जे में

1962 के युद्ध के समय चीनी सैनिकों के सबसे बड़े समूह ने तवांग के रास्ते असम तक घुसपैठ की थी. कुछ समय के लिए तवांग उसके कब्जे में भी रहा था. अक्तूबर 2021 में चीन के 200 सैनिकों का एक दल तवांग स्थित भारत चीन भूटान सीमा के पास भारतीय गांव में घुस आया था जिसे बाद में भारतीय सैनिकों ने खदेड़ दिया था. 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ के बाद दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ता में भी तवांग की स्थिति पर चर्चा हुई थी. 

गलवान घाटी की घटना के बाद 100 चीनी सेना तवांग के रास्ते घूसे थे भारत

गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद तनाव के बीच उसी वर्ष अगस्त में चीन के 100 सैनिक तवांग के एक क्षेत्र में करीब 5 किलोमीटर तक भारतीय सीमा में घुसे थे. इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में वर्ष 2016 में करीब 200-250 चीनी सैनिकों ने तवांग स्थित एक दूसरे पॉइंट से भारतीय सीमा में प्रवेश किया था. हर बार भारतीय सैनिक उन्हें खदेड़ते हैं.

आखिर क्यों तवांग पर ही क्यों है चीन की नजरे ज्यादा

चीन की तरफ से बार-बार तवांग में घुसपैठ यूं ही नहीं है. तवांग का रणनीतिक महत्व है. इस जिले की सीमा भारत और तिब्बत के साथ ही भूटान से जुड़ी हुई है. यहां से वह समूचे पूर्वोत्तर भारत की निगरानी कर सकता है. चीन जैसा देश हमारा पड़ोसी है तो हमें उसकी ऐसी हरकतों से निपटने के लिए हर क्षण तैयार रहना चाहिए. 

अब चीन की सीमा तक भारतीय सैनिकों की हो गई है पहुंच

भारत ने चीन के इरादे को देखते हुए समूचे अरुणाचल प्रदेश में ढांचागत विकास को काफी तेज किया गया है. आपको बता दें कि अरुणाचल से लगे इलाकों में कुल 63 सड़क परियोजनाएं चल रही हैं. इससे चीन की सीमा तक भारतीय सैनिकों की पहुंच भी हो गई है. 1962 के युद्ध के समय सड़क मार्ग नहीं होने के कारण भारतीय सैनिकों को जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ा था. 

चीन के इरादे के मद्देनजर भारत ने अपनी सैनिकों की संख्या बढ़ाई है

तवांग और अरुणाचल के दूसरे इलाकों में भारत ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई है. चीन ने भी इस इलाके में सड़कों, पुलों, सैन्य अड्डों का निर्माण किया है लेकिन उसे भारत के निर्माण पर आपत्ति है. 

चीन जिस वृहत्तर राष्ट्र की नीति पर चल रहा है तथा विश्व का एकमात्र महाशक्ति बनने का इरादा रखता है उसमें भारत के सामने उसके समानांतर अपनी सैन्य शक्ति खड़ी करते हुए हर क्षण सतर्क रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
 

Web Title: Tawang is of strategic importance for China Chinese army wants to capture area to keep an eye 3 countries

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