शोभना जैन का ब्लॉग:  श्रीलंका के चुनाव भारत के लिए भी अहम

By शोभना जैन | Published: November 16, 2019 09:02 AM2019-11-16T09:02:41+5:302019-11-16T09:02:41+5:30

विदेश नीति से जुड़े एक विशेषज्ञ के अनुसार भले ही भारत श्रीलंका संबंधों के लिए तमिल कुछ वर्ष पहले तक जुड़ाव का एक अहम मुद्दा था लेकिन अब यह पहलू इतना अहम नहीं रहा, भारत अपने संबंधों को आर्थिक आधार पर ही तय कर सकता है.

Sri Lanka elections are also important for India | शोभना जैन का ब्लॉग:  श्रीलंका के चुनाव भारत के लिए भी अहम

शोभना जैन का ब्लॉग:  श्रीलंका के चुनाव भारत के लिए भी अहम

पिछले डेढ़ वर्ष से राजनीतिक अस्थिरता झेल रहे और ज्वलंत घरेलू  मुद्दों, चिंताओं से घिरे भारत के पड़ोसी श्रीलंका के मतदाताओं के लिए 16 नवंबर यानि कल होने वाला राष्ट्रपति चुनाव खासा अहम होगा. निश्चित तौर पर इसके दूरगामी परिणाम  होंगे. चुनाव श्रीलंका का आंतरिक मामला तो है ही और श्रीलंका के लिए तो खासा अहम है, पर साथ ही चुनाव नतीजे और नई सरकार का स्वरूप क्षेत्रीय स्थिति के समीकरणों के साथ-साथ भारत के साथ रिश्तों को भी तय करेगा. 

नई सरकार के रिश्ते चीन के साथ कैसे होंगे, इस पर सब की नजर रहेगी.  चुनौती भरी अर्थव्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, भ्रष्टाचार के साथ-साथ मानवाधिकार, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चिंता वाले मुद्दे हैं जो इन चुनावों में प्रमुख मुद्दे बन कर उभरे हैं. इस वर्ष अप्रैल में ईस्टर में आईएस से प्रभावित आतंकी तत्वों द्वारा किए गए भीषण आतंकी हमलों के बाद जिसमें 259 लोग मारे गए थे,  आतंकवाद, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर विशेष तौर पर  चिंताएं बढ़ी हैं, ऐसे में देखना होगा कि जनता का क्या निर्णायक मत होता है.

 गत अप्रैल में ईस्टर में हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद अभूतपूर्व सुरक्षा प्रबंधों के बीच होने वाले इन चुनावों में 35 उम्मीदवारों में से प्रमुख उम्मीदवारों श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के गोतबाया राजपक्षे, न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) के सजित प्रेमदासा, नेशनल पीपुल्स पावर्स (एनपीपी) के अरु णा कुमार दिसानायके और नेशनल पीपुल्स मूवमेंट (एनपीएम) के महेश सेनानायके आदि हैं लेकिन मुख्य मुकाबला एसएलपीपी के गोतबाया राजपक्षे और एनडीएफ के प्रेमदासा के बीच है.

भारत ने कोलंबो बंदरगाह में इस्टर्न कंटेनर टर्मिनल बनाने को लेकर श्रीलंका के साथ एक समझौता किया है. लेकिन विडंबना यह रही कि इस तरह की बहुत कम ही परियोजनाओं पर श्रीलंका ने अपनी रुचि जाहिर की है. यहां तक कि कोलंबो कंटेनर समझौता भी बहुत लंबे समय बाद हो सका. मैत्रिपाला सिरीसेना ने भारत के साथ समझौते करने में बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाई. जापान के हस्तक्षेप के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर हो सका. भारत की इस समझौते को लेकर काफी रु चि थी क्योंकि भारत को आने वाला बहुत सारा सामान कोलंबो बंदरगाह से होकर आता है.

विदेश नीति से जुड़े एक विशेषज्ञ के अनुसार भले ही भारत श्रीलंका संबंधों के लिए तमिल कुछ वर्ष पहले तक जुड़ाव का एक अहम मुद्दा था लेकिन अब यह पहलू इतना अहम नहीं रहा, भारत अपने संबंधों को आर्थिक आधार पर ही तय कर सकता है. बहरहाल चुनाव के बाद जो भी सरकार बनेगी, भारत सहित उसके क्षेत्रीय समीकरण कैसे रहेंगे नजर इस पर रहेगी.

Web Title: Sri Lanka elections are also important for India

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