शोभना जैन का ब्लॉग: महामारियों के खिलाफ स्वास्थ्य डिप्लोमेसी

By शोभना जैन | Published: March 28, 2020 02:20 PM2020-03-28T14:20:38+5:302020-03-28T14:20:38+5:30

Shobhana Jain's blog: Health diplomacy against pandemics | शोभना जैन का ब्लॉग: महामारियों के खिलाफ स्वास्थ्य डिप्लोमेसी

लोकमत फाइल फोटो

Highlightsइस महामारी ने संदेश दिया है कि आर्थिक, सुरक्षा जैसे मुद्दों के साथ-साथ ऐसी वैश्विक महामारियों से साझा तौर पर निबटना अब वक्त की दरकार हैअब हेल्थ डिप्लोमेसी, आर्थिक डिप्लोमेसी की तरह डिप्लोमेसी का अहम पहलू बनता जा रहा है.

चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस कोविड-19 ने जिस तरह से भारत सहित अमेरिका, इटली, स्पेन, ईरान जैसे दुनियाभर के 170 से अधिक देशों की सरहदों को रौंदते हुए समान आक्रोश से अपनी गिरफ्त में लिया है और महज तीन महीनों के भीतर पूरी दुनिया में जिस तरह से दहशत और तबाही मचाई है, इस सब के बीच वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि दुनियाभर में भविष्य में भी ऐसी संक्रमण जनित महामारियों के फैलने का अंदेशा बना हुआ है.

अब दुनिया ऐसे दौर में है जहां खुदा ना खास्ता किसी देश में कोई संक्रमण जनित बीमारी फैलती है तो उस संक्रमण के अन्य देशों में फैलने का अंदेशा है. अब दुनिया के लोग एक दूसरे से ज्यादा करीबी तौर पर जुड़े हैं, ऐसे में संक्रमण के तेजी से महामारी के रूप में फैलने का अंदेशा बढ़ेगा. ऐसे हालात में सभी देश जहां अपने-अपने स्तर पर इन बीमारियों से जूझ रहे हैं, निपटने का हर संभव कदम उठा रहे हैं, उसके साथ ही वैश्विक सहयोग भी बेहद जरूरी है. दरअसल इस महामारी ने संदेश दिया है कि आर्थिक, सुरक्षा जैसे मुद्दों के साथ-साथ ऐसी वैश्विक महामारियों से साझा तौर पर निबटना अब वक्त की दरकार है यानि अब हेल्थ डिप्लोमेसी, आर्थिक डिप्लोमेसी की तरह डिप्लोमेसी का अहम पहलू बनता जा रहा है.

इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर गत 15 मार्च को दक्षिण एशिया क्षेत्र के भारत के पड़ोसी देशों के संगठन दक्षेस देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बुलाई गई शिखर बैठक के बाद उनकी ही पहल पर विकसित देशों ‘जी 20’ देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ ऐसी ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शिखर बैठक बुलाई गई. अमीर देशों के समूह जी 20 की शिखर बैठकें आम तौर आर्थिक मुद्दों का विचार-विमर्श मंच होता है. इस बार इस महामारी से उत्पन्न असामान्य स्थिति के मद्देनजर इन देशों से वैश्विक सहयोग से इस संकट से निबटने के ध्येय के साथ पीएम मोदी ने इस बैठक को बुलाने का आह्वान किया.

बैठक में महामारी से साझा तौर पर निपटने के बारे में विचार-विमर्श किया और साझा रणनीति के तहत कुछ घोषणाएं की. सऊदी अरब के सुलतान सलमान बिन अब्दुल अजीज अल-सऊद की अध्यक्षता में हाल ही में हुई इस शिखर बैठक के बाद जारी अहम संयुक्त बयान में कहा गया कि वैश्विक महामारियों की साझा चुनौतियों से वैश्विक सहयोग से ही निबटा जा सकता है. बयान में कहा गया, जिस अभूतपूर्व ढंग से यह महामारी दुनियाभर में इतने कम वक्त में फैल गई है उससे यह बात साफ तौर पर जाहिर है कि हम सब एक-दूसरे से गहरे तौर पर जुड़े हैं और समान रूप से इसके खतरे की जद में हैं, यह महामारी सरहदों से परे है. बैठक में इन नेताओं ने एकजुटता की इसी भावना से इससे लड़ने के लिए विश्व की अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने के लिए पांच हजार अरब डॉलर डालने का ऐलान किया.

बैठक में कोरोना महामारी से टक्कर लेने, अर्थव्यवस्था दुरु स्त करने, सप्लाई चेन को बहाल करने और वैश्विक सहयोग जैसे मुद्दों पर सहमति बनी. शिखर बैठक में साझा प्रयासों से टीका विकसित करने जोर दिया गया. साथ ही ऐसी स्थिति से लड़ने के लिए शोध कार्यो पर वैश्विक सहयोग पर सहमति बनी.

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया को अब वैश्वीकरण की चर्चा के मुद्दों पर चर्चा करते वक्त आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर विचार-विमर्श के साथ-साथ सामाजिक, आतंकवाद, पर्यावरण परिवर्तन तथा महामारियों जैसे विषयों को भी विमर्श का मुद्दा बनाना चाहिए. साथ ही उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को मजबूत किए जाने और इसमें सुधार किए जाने का आह्वान करते हुए इस बात पर निराशा वक्त की कि संगठन नई चुनौतियों से निपटने में अपने को ढालने में असफल रहा है.

दरअसल इस बैठक के बारे में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार शिखर बैठक में इस बीमारी के मूल में चीन की भूमिका और उस पर लगे आरोप से जुड़े सवाल भी उठे लेकिन कुल मिलाकर बैठक में इस संकट का साझा तौर पर सामना करने के लिए आपसी सहयोग पर ही जोर दिया गया. यानि कुल मिलाकर इसमें आरोप-प्रत्यारोप नहीं हुए. फिलहाल हेल्थ डिप्लोमेसी के इसी पहलू पर ध्यान देना जरूरी है. यह महामारी जिस तरह से दुनियाभर में अपने खूंखार डैने फैला रही है, घरेलू तौर पर इससे निपटने के हर संभव प्रयासों के साथ वैश्विक सहयोग फौरी प्राथमिकता होनी ही चाहिए.

स्वास्थ्य डिप्लोमेसी की बढ़ती प्राथमिकताओं के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने इसी क्रम में इस शिखर बैठक से पूर्व रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन, सऊदी सुलतान सलमान और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन से अलग से भी विचार-विमर्श किया. बहरहाल यह चर्चा का एक अलग विषय है कि दुनियाभर में फैल रही इस महामारी के शुरुआती प्रभाव के बाद चीन की अर्थव्यवस्था किस तरह से उभर रही है, चीन दुनिया को कैसे मदद भिजवा रहा है, जिससे विश्व में उसकी स्थिति मजबूत हो रही है. विश्व के ताकतवर देशों की सूची में क्या ऊपर-नीचे बदलाव होंगे. देशों के आपसी समीकरण भी क्या प्रभावित हो सकते हैं? वैसे अमेरिका तथा चीन, जिनके बीच व्यापार युद्ध चल रहा है, जिसके चलते दोनों के बीच 36 का आंकड़ा बना हुआ है. अमेरिका इस बीमारी के लिए चीन को दोषी ठहराता रहा है, लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में दोनों देशों के इससे साझा तौर पर निबटने की बात भी कही. 

इस महामारी की जद में आने वाले और मारे जाने के विभिन्न अध्ययनों के भयावह आंकड़ों को दरकिनार रखें, प्रयास यही हैं कि इस निरंकुश महामारी पर कारगर साझा प्रयासों से अंकुश लगाया जा सके. उम्मीद की जानी चाहिए कि कोरोना महामारी से निपटने की वैश्विक चुनौती से एकजुट हो निपटने के लिए साझा रणनीति बनाने के लिए दक्षेस के बाद जी 20 देशों के अमीर राष्ट्रों के देशों के मिल-बैठकर साझा रणनीति बनाने की इस पहल के उत्साहवर्धक नतीजें निकलेंगे और भविष्य के लिए भी राह बनेगी. स्वास्थ्य डिप्लोमेसी वक्त की दरकार है.

Web Title: Shobhana Jain's blog: Health diplomacy against pandemics

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