शशिधर खान का ब्लॉग: एकसाथ चुनाव के लिए क्या है जरूरी?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 23, 2019 09:43 AM2019-08-23T09:43:13+5:302019-08-23T09:43:13+5:30

प्रधानमंत्री का ‘एक देश एक चुनाव’ नारा सही है, लेकिन वे सिर्फ राजनीतिक चर्चा से एक साथ चुनाव कराना चाहते हैं. चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि संविधान संशोधनों के बगैर एक साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते.

Shashidhar Khan's blog: What is important for simultaneous elections? | शशिधर खान का ब्लॉग: एकसाथ चुनाव के लिए क्या है जरूरी?

शशिधर खान का ब्लॉग: एकसाथ चुनाव के लिए क्या है जरूरी?

शशिधर खान

दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में एकसाथ चुनाव पर राजनीतिक चर्चा का आह्वान फिर से दोहराया. लाल किले से इस बार का प्रधानमंत्री का 15 अगस्त का संबोधन उनके पिछले भाषणों से अलग था. स्वतंत्रता दिवस से मात्र दस दिन पहले संसद से पास जम्मू व कश्मीर पुनर्गठन एक्ट के जरिए जम्मू व कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सबसे ज्यादा जोर दिया. उसके बाद नरेंद्र मोदी एकसाथ चुनाव पर चर्चा की बात बोले, जो वे अपने पहले कार्यकाल के पूरे पांच साल तक कहते रहे.
 
लेकिन मई में लोकसभा चुनाव के साथ सिर्फ उन्हीं राज्यों - आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश में चुनाव हुए, जिनकी विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के साथ खत्म हो रहा था. अभी संसद ने कई संविधान संशोधन बिल पास किए, जिनमें सूचना अधिकार संशोधन, 2019 समेत कुछ ऐसे भी बिल थे, जिसकी कोई अनिवार्यता नहीं थी. उससे जुड़े हुए मुद्दों की चर्चा प्रधानमंत्री ने कभी किसी समारोह में नहीं की. 

प्रधानमंत्री का ‘एक देश एक चुनाव’ नारा सही है, लेकिन वे सिर्फ राजनीतिक चर्चा से एक साथ चुनाव कराना चाहते हैं. चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि संविधान संशोधनों के बगैर एक साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते. चुनाव सुधार के लिए आवश्यक नियम बनाने, बदलने के चुनाव आयोग के सारे सुझावों की फाइलें सरकार के ठंडे बस्ते में पड़ी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ एक ही चुनाव सुधार के पक्ष में हैं, और वो है एकसाथ चुनाव. प्रधानमंत्री सिर्फ सार्वजनिक समारोहों में चर्चा से ही एक साथ चुनाव कराना चाहते हैं. इसके लिए जरूरी संविधान संशोधनों में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. 

दो अगस्त को ही मुख्य चुनाव आयुक्त ‘सीईसी’ सुनील अरोड़ा ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को चुनाव सुधार के उपायों के लिए पत्र लिखा. उसके पहले जुलाई में 14 राजनीतिक दलों ने राज्यसभा में नोटिस देकर चुनाव सुधार पर चर्चा चाही, मगर सरकार की उसमें दिलचस्पी नहीं थी.  सीईसी सुनील अरोड़ा कह चुके हैं कि निकट भविष्य में एक साथ चुनाव की कोई संभावना नहीं है. इसके लिए कई संविधान संशोधन जरूरी हैं. चुनाव आयोग ने सरकार को बता दिया है कि इसके बगैर एक साथ चुनाव नहीं कराया जा सकता. 

Web Title: Shashidhar Khan's blog: What is important for simultaneous elections?

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