बदलते समय के साथ खुद को करना होगा अपडेट, शशांक द्विवेदी का ब्लॉग
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 15, 2020 08:37 PM2020-09-15T20:37:37+5:302020-09-15T20:37:37+5:30
लाखों लोग जॉब से निकाल दिए गए हैं. ऐसे समय में स्किल और तकनीक से ही लोग अपना खोया हुआ आत्मविश्वास हासिल कर सकते हैं. कोविड के बाद बहुत सारे क्षेत्रों में परंपरागत तरीके से चीजें अब नहीं चलेंगी, उनमें तकनीकी बदलाव जरूर होगा. ऐसे में आपको इस फ्रंट पर खुद को अपडेट करना होगा.
कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में कई तरह के बदलाव एक साथ देखने को मिल रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव शिक्षा, चिकित्सा और टेक्नोलॉजी को लेकर होने वाला है. कोविड की वजह से भारत सहित पूरी दुनिया में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है.
लाखों लोग जॉब से निकाल दिए गए हैं. ऐसे समय में स्किल और तकनीक से ही लोग अपना खोया हुआ आत्मविश्वास हासिल कर सकते हैं. कोविड के बाद बहुत सारे क्षेत्रों में परंपरागत तरीके से चीजें अब नहीं चलेंगी, उनमें तकनीकी बदलाव जरूर होगा. ऐसे में आपको इस फ्रंट पर खुद को अपडेट करना होगा.
आज देश में बड़ी संख्या में इंजीनियर पढ़ लिख कर निकल तो रहे हैं लेकिन उनमें ‘स्किल’ की बड़ी कमी है. इसी वजह से लाखों इंजीनियर हर साल बेरोजगारी का दंश ङोल रहे हैं. इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से उन्हें काम नहीं आता.
एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल देश में लाखों इंजीनियर बनते हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 15 प्रतिशत को ही अपने काम के अनुरूप नौकरी मिल पाती है, बाकी सभी बेरोजगारी का दंश झलने को मजबूर हैं. यह आंकड़ा चिंता बढ़ाने वाला है, क्योंकि स्थिति साल दर साल खराब ही होती जा रही है.
देश में इंजीनियरिंग को नई सोच और दिशा देने वाले महान इंजीनियर भारतर} मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती 15 सितंबर को देश में इंजीनियर्स डे या अभियंता दिवस के रूप में मनाई जाती है. मैसूर राज्य(वर्तमान कर्नाटक )के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया अपने समय के सबसे प्रतिभाशाली इंजीनियर थे, जिन्होंने बांध और सिंचाई व्यवस्था के लिए नए तरीकों का ईजाद किया.
उन्होंने आधुनिक भारत में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था और नवीनतम तकनीक पर आधारित बांध नदी पर बनाए तथा पनबिजली परियोजना शुरू करने की जमीन तैयार की. सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण की तकनीक में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.
आज से लगभग 100 साल पहले जब तकनीक इतनी ज्यादा उन्नत नहीं थी, विश्वेश्वरैया ने आम आदमी की समस्याओं को सुलझाने के लिए इंजीनियरिंग में कई तरह के इनोवेशन किए और व्यावहारिक तकनीक के माध्यम आम आदमी की जिंदगी को सरल बनाया.
वास्तव में हम अपने ज्ञान को बहुत ज्यादा व्यावहारिक नहीं बना पाए हैं. नंबर की होड़ युक्तशिक्षा प्रणाली ने मौलिकता को खत्म कर दिया. इस तरह की मूल्यांकन और परीक्षा प्रणाली नई सोच और मौलिकता के लिए ठीक नहीं है. आज तकनीकी शिक्षा में खासतौर पर इंजीनियरिंग में इनोवेशन की जरूरत है.
सिर्फ रटे-रटाए ज्ञान की बदौलत हम विकसित राष्ट्र बनने का सपना साकार नहीं कर सकते. देश की आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें दूरगामी रणनीति बनानी पड़ेगी, क्योंकि भारत पिछले छह दशक के दौरान अपनी अधिकांश प्रौद्योगिकीय जरूरतों की पूर्ति दूसरे देशों से कर रहा है.
हमारे घरेलू उद्योगों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है इसलिए देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय उद्योग के कौशल संसाधनों एवं प्रतिभाओं का बेहतर उपयोग करना जरूरी है क्योंकि आयातित टेक्नोलॉजी पर हम ब्लैकमेल का शिकार भी हो सकते हैं.
इसके लिए मध्यम और लघु उद्योगों की प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण व स्वदेशीकरण में अहम भूमिका हो सकती है. देश में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर विकसित करने की जरूरत है और इस दिशा में जो भी समस्याएं हैं, उन्हें सरकार द्वारा अविलम्ब दूर करना होगा, तभी सही मायनों में हम विकसित राष्ट्र का अपना सपना पूरा कर पाएंगे.
आज देश को विश्वेश्वरैया जैसे इंजीनियरों की जरूरत है जो देश को एक नई दिशा दिखा सकें क्योंकि आज के आधुनिक विश्व में विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के क्रमबद्ध विकास के बिना विकसित राष्ट्र का सपना सच नहीं किया जा सकता.
समय की मांग के अनुसार विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में जॉब-ओरिएंटेड कोर्सेस की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. भारत में कोविड के बढ़ते प्रकोप के बीच अब हमें इंजीनियरिंग में स्किल की अवधारणा को मजबूत करना होगा. इसके लिए देश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई को कौशल विकास से जोड़ना होगा जिससे इंजीनियर अपने स्किल के साथ काम कर सकें. साथ ही पूरे इंजीनियरिंग क्षेत्र को आकर्षक, व्यावहारिक और रोजगारपरक बनाने की जरूरत है.