शशांक द्विवेदी का ब्लॉग : धरती को बचाने की वैश्विक मुहिम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 6, 2019 10:15 AM2019-12-06T10:15:18+5:302019-12-06T10:15:18+5:30
सम्मेलन का उद्देश्य सभी देशों को उनके वादों को याद दिलाना भी है जिसमें उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की बात कही थी.
दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, कॉप-25 शुरू हो चुका है, जिसमें दुनिया के अधिकांश देश हिस्सा ले रहे हैं. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के तहत कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज, कॉप-25 इस बार 2 से 13 दिसंबर तक स्पेन में आयोजित किया जा रहा है. इस आशय का पहला सम्मेलन 1995 में जर्मनी के बर्लिन शहर में हुआ था. सच्चाई यह है कि पर्यावरण सीधे-सीधे हमारे अस्तित्व से जुड़ा मसला है. दुनियाभर में पर्यावरण सरंक्षण को लेकर काफी बातें, सम्मेलन, सेमिनार आदि हो रहे हैं परंतु वास्तविक धरातल पर उसकी परिणति होती दिखाई नहीं दे रही है.
संयुक्त राष्ट्र करीब तीन दशक पहले से ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की कोशिशों में जुट गया था, लेकिन उसके प्रयास अभी भी पूरी तरह से सिरे नहीं चढ़ सके हैं. कॉप-25 (कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज), संयुक्त राष्ट्र का 25वां जलवायु सम्मेलन है. इस बार इसमें 25 सत्न होंगे, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर से आए लोग अपने विचार रखेंगे.
इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी देशों को उनके वादों को याद दिलाना भी है जिसमें उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की बात कही थी. साथ ही 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को पूरी तरह से लागू करने की बात भी की जाएगी. संयुक्त राष्ट्र की तीन अलग-अलग रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, भूस्खलन, सूखा और चक्र वातों की संख्या बढ़ती जा रही है. इससे दुनिया के साढ़े तीन करोड़ लोगों के सामने खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा हो गया है.
ग्लोबल वार्मिग की वजह से दुनिया भर के देशों की जलवायु और मौसम में परिवर्तन हो रहा है. सच्चाई यह है कि देश में कृषि क्षेत्न में मचे हाहाकार का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है. यह सब जलवायु परिवर्तन और हमारे द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की वजह से हो रहा है. जलवायु परिवर्तन संपूर्ण मानवता के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है. प्लास्टिक को ना कहने के साथ ही एक अहम बात और है कि सौर, पवन जैसी वैकल्पिक ऊर्जा पर जोर देकर हम अपनी ऊर्जा जरूरतों के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिग पर काबू कर सकते हैं. बड़े पैमाने पर वैकल्पिक ऊर्जा के उपयोग और उत्पादन के लिए अब पूरे विश्व को एक साथ आना होगा तभी कुछ हद तक वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कमी आ पाएगी.
वैसे तो जलवायु सम्मेलन एक रस्म अदायगी बन कर रह गए हैं फिर भी कॉप-25 सम्मलेन से एक उम्मीद है कि विश्व के सभी देश मिलकर जलवायु परिवर्तन पर तेजी से काम करेंगे क्योंकि यह एक वैश्विक और बेहद गंभीर समस्या है.