शरद जोशी का ब्लॉग: साप्ताहिक आयोजन के फायदे
By शरद जोशी | Published: August 24, 2019 05:46 AM2019-08-24T05:46:39+5:302019-08-24T05:46:39+5:30
इधर पंचवर्षीय योजना सप्ताह भी समाप्त हो गया. सब जगह ढोल बजे, जागृति हुई, मुर्गे की बांग पर प्रभातफेरी निकाली गई. दोपहर को कुछ खोदा-बनाया, भाषण मारे, रात को सिनेमा देखा, सुबह खबर लिखी और डाक में डाल दी, कार्यक्रम समाप्त. वास्तव में पांच वर्ष बराबर राष्ट्र के निर्माण-कार्य में श्रमदान करते रहना कठिन है.
अब टेलीफोन ऑफिस ने निश्चित किया है कि एक सप्ताह तक नम्र रह लें, जरा सभ्यता से व्यवहार करें. यह बात टेलीफोन विभाग के कर्मचारियों के लिए तो है ही नहीं क्योंकि वे तो इतने व्यस्त हैं कि नम्रता का मक्खन लगाने का उन्हें समय ही नहीं. यह है उन लोगों के लिए, जो दोनों सिरों पर बातचीत करते हैं. आशा है, सप्ताह भर वे नम्रता से व्यवहार करेंगे. सप्ताह समाप्ति के बाद तो अनम्रता का वर्ष प्रारंभ हो जाएगा. वही वर्ष जिसमें से मध्यभारत रोडवेज अपना शिष्टता सप्ताह मनाने के बाद गुजर रहा है.
इधर पंचवर्षीय योजना सप्ताह भी समाप्त हो गया. सब जगह ढोल बजे, जागृति हुई, मुर्गे की बांग पर प्रभातफेरी निकाली गई. दोपहर को कुछ खोदा-बनाया, भाषण मारे, रात को सिनेमा देखा, सुबह खबर लिखी और डाक में डाल दी, कार्यक्रम समाप्त. वास्तव में पांच वर्ष बराबर राष्ट्र के निर्माण-कार्य में श्रमदान करते रहना कठिन है. एक सप्ताह की अवधि बनाने से मामला सरल हो जाता है. कार्य का लेखा-जोखा करने से तो क्या लाभ, व्यर्थ देरी लगेगी, पर यह हर्ष की बात है कि पहली पंचवर्षीय योजना समाप्त होने आ गई है और बड़ी जल्दी दूसरी भी प्रारंभ हो जाएगी.
इस पंचवर्षीय योजना में काम कम हुआ तो उसका इतना दुख नहीं है, पर रुपया बच गया, यह बड़े हर्ष की बात है. हमारे पंचवर्षीय योजना आंदोलन की यह बड़ी भारी विशेषता है कि प्रत्येक व्यक्ति को यह मालूम है कि पांच वर्ष में कितना कार्य करना है, पर यह नहीं पता कि इस वर्ष क्या करना है, इस महीने क्या करना है, आज क्या करना है.
अत: पांच साल तक पंचवर्षीय योजना पर भाषण तथा प्रचार चलता रहेगा और फिर दूसरी का समय आ जाएगा. हां, इस योजना सप्ताह में क्या करना है, सबको पता था. बड़े पुराने समय से जब त्यौहारों की प्रथा निकली तो उसका कारण कुछ ऐसा ही था कि दु:ख में जिंदगी काटनेवाला व्यक्ति साल में कुछ दिनों त्यौहार आयोजित हो जाने से थोड़ा समय हंसी-खुशी में गुजार ले. यही कारण इन सप्ताहों और दिनों के साथ है. जो कंडक्टर अथवा ड्राइवर साल भर अशिष्टता से रहते हैं, वे सप्ताह भर शिष्टता से रहें. सप्ताह भर नम्र रहें. सप्ताह भर सड़कों पर ट्रैफिक नियमों पर चलें.
महीने में एक बार पिकनिक आयोजित करने से जैसे मनुष्य शहर का गंदा वातावरण छोड़ प्रकृति के निकट आता है, ठीक उसी प्रकार ऐसा वर्ष में सप्ताह मनाने से भी भारतीय जनता अपने काम-धंधों को छोड़कर पंचवर्षीय योजना के करीब आती है.