Road Accident: 10 साल में 1500000 लोग की मौत?, सड़क हादसों में मौतों को रोकने की चुनौती
By ललित गर्ग | Published: November 24, 2024 11:31 AM2024-11-24T11:31:43+5:302024-11-24T11:33:37+5:30
Road Accident: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष 13 लाख से अधिक सड़क हादसों के शिकार व्यक्ति की मौत हो जाती है.

सांकेतिक फोटो
Road Accident: अलीगढ़ में सड़क हादसा, यमुना एक्सप्रेसवे पर बस-ट्रक भिड़ंत, 5 की मौत, 15 से अधिक घायल. राजस्थान में पाली-जोधपुर हाइवे पर मरीज को एक एंबुलेंस से दूसरे में शिफ्ट करते समय डंपर ने मारी टक्कत, चार की मौत. दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज पर एक दर्दनाक सड़क हादसे में जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय के दो मेडिकल छात्रों की मौत. लखनऊ में दो अलग-अलग सड़क हादसों में वृद्धा समेत दो की मौत. उत्तराखंड के देहरादून में 12 नवंबर को हुए सड़क हादसे में 6 छात्रों की मौत. ऐसे अनेक सड़क हादसे पिछले कुछ दिनों में हुए है.
ये सड़क हादसे गंभीर एवं चुनौतीपूर्ण है. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का एक डराने वाला आंकड़ा पिछले दिनों सामने आया. मंत्रालय के अनुसार पिछले दस सालों में हुए सड़क हादसों में 15 लाख लोग मारे गए. भारत का सड़क यातायात तमाम विकास की उपलब्धियों एवं प्रयत्नों के बावजूद असुरक्षित एवं जानलेवा बना हुआ है.
न केवल भारत बल्कि विश्व में सड़क यातायात में मौत या जख्मी होना कुछ बहुत बड़ी परेशानियों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष 13 लाख से अधिक सड़क हादसों के शिकार व्यक्ति की मौत हो जाती है. ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर दस हजार किलोमीटर पर मरने वालों की संख्या 250 है जबकि अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया में यह संख्या 57, 119 व 11 है.
भारत में साल 2022 में सड़क हादसों में 1,68,491 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, साल 2023 में सड़क हादसों में करीब 1,73,000 लोगों की मौत हुई. यानी, साल 2023 में हर दिन औसतन 474 लोगों की मौत हुई. परिवहन मंत्रालय की ऐसी जानकारी चौंकाती भी है एवं शर्मसार भी करती है. इन त्रासद आंकड़ों ने एक बार फिर यह सोचने को मजबूर कर दिया कि आधुनिक और बेहतरीन सुविधा की सड़कें केवल रफ्तार एवं सुविधा के लिहाज से जरूरी हैं या फिर उन पर सफर का सुरक्षित होना पहले सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
वर्ष 2012 में करीब 16 करोड़ गाड़ियां रजिस्टर्ड थीं जो पिछले एक दशक में दोगुनी हो गई हैं. लेकिन उस अनुपात में सड़कें नहीं बढ़ीं. जहां वर्ष 2012 में देश में भारतीय सड़कों की लंबाई 48.6 लाख किलोमीटर थी, तो वर्ष 2019 में यह 63.3 लाख किलोमीटर तक जा पहुंची थी. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय लोगों के सहयोग से वर्ष 2025 तक सड़क हादसों में 50 प्रतिशत की कमी लाना चाहता है, लेकिन यह काम तभी संभव है जब मार्ग दुर्घटनाओं के मूल कारणों का निवारण करने के लिए ठोस कदम भी उठाए जाएं.