बलात्कारियों को नपुंसक बनाने के कानून पर भारत में भी हो विचार, रमेश ठाकुर का ब्लॉग
By रमेश ठाकुर | Published: December 4, 2020 06:40 PM2020-12-04T18:40:44+5:302020-12-04T18:41:49+5:30
2018 में दुष्कर्म के 33356 मामले दर्ज हुए, जिनमें आधे से ज्यादा पीड़िता नाबालिग बच्चियां थीं. भारत में औसतन रोजाना 90 से 100 दुष्कर्म की घटनाएं होती हैं.
बलात्कार की रफ्तार को थामने के लिए पाकिस्तान ने एक अच्छा कदम उठाया है. पाकिस्तान में रेपिस्टों को रासायनिक तरीके से नपंसुक बनाने का ऐलान हुआ है.
दुष्कर्म को सबसे बड़े अपराधों में गिना जाता है. इसमें सजा देने के नियमों में बदलाव के साथ समय-समय पर नए सिरे से परिभाषित भी किया गया, बावजूद इसके दुष्कर्म की घटनाएं कम होने की जगह बढ़ी ही हैं. इससे कोई एक देश नहीं, बल्कि समूचा संसार चिंतित है.
पड़ोसी देश पाकिस्तान भी परेशान है, बीते कुछ वर्षो में वहां अप्रत्याशित रूप से बलात्कार की घटनाएं बढ़ीं. अभी कुछ दिन पहले वहां एक ऐसी घटना हुई जिसने पूरे पाकिस्तान को झकझोर दिया. पंजाब के सिंध प्रांत में मां-बेटी के साथ कई लोगों ने सामूहिक बलात्कार की जघन्य वारदात को अंजाम दिया. घटना कमोबेश दिल्ली में घटित निर्भया कांड जैसी ही थी.
बलात्कार करने के बाद बदमाशों ने दोनों मां-बेटी के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया.अगले ही दिन वहां के प्रधानमंत्नी इमरान खान ने बलात्कार पर पहले से बने कानूनों को बदलकर कठोरतम कानून बनाने का फरमान जारी कर दिया. बलात्कारियों को सजा के रूप में नपुंसक बनाने का कानून पारित कर दिया गया.
कुछ ऐसे ही कानून बनाने की मांग हिंदुस्तान में भी उठती है लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाता. जबकि, भारत में बलात्कार के केस सबसे ज्यादा प्रतिदिन दर्ज किए जाते हैं. सवाल उठता है, जब बलात्कारियों को पाकिस्तान जैसे छोटे मुल्क में नपुंसक बनाया जा सकता है तो भारत में क्यों नहीं?
निर्भया के दोषियों को जब सूली पर चढ़ाया गया तो उस वक्त लगा कि अब ऐसे कृत्य करने वालों में डर पैदा होगा. लेकिन पहले से भी ज्यादा मामलों में वृद्धि हुई. हाथरस, बलरामपुर व राजस्थान की घटनाएं ताजा उदाहरण हैं जहां बलात्कारियों ने मानवता को तार-तार कर दिया. निश्चित रूप से हमारे यहां रेप के आंकड़े डरावने हैं.
2018 में दुष्कर्म के 33356 मामले दर्ज हुए, जिनमें आधे से ज्यादा पीड़िता नाबालिग बच्चियां थीं. भारत में औसतन रोजाना 90 से 100 दुष्कर्म की घटनाएं होती हैं. ये आंकड़े वह हैं जो रिपोर्ट किए जाते हैं, बाकी गांव-देहातों में लाज-शर्म के कारण रेप के मामले दर्ज ही नहीं हो पाते. वहां आज भी पंचायतों द्वारा मामले सुलझाए जाते हैं.
पीड़िताओं को धन रूपी थोड़ा बहुत मुआवजा देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है. 2017 में दुष्कर्म के 32559 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 38947 था. रेप के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. बलात्कार के कानून में बदलाव भी किए गए, लेकिन सख्त नियमों के बाद भी अपराधी अपराध करने से नहीं डरते.
जैसे पाकिस्तान में अब बलात्कारियों को रासायनिक तरीके से नपुंसक बनाया जाएगा, ठीक उसी तरह से हमारे यहां भी नियम लागू किए जाएं. कानून बनाने को लेकर पाकिस्तान में पक्ष-विपक्ष सभी ने एक सुर में अपनी सहमति दी. क्योंकि बलात्कार एक ऐसा अपराध है जिसका कोई पक्ष नहीं ले सकता. नपुंसक बनाने का कानून और भी कई इस्लामिक देशों में पहले से लागू है. इस डरावने कानून से वहां ये अपराध नियंत्नण में है.
बहरहाल, दुष्कर्म के अपराध की सजा पर नए सिरे से विचार करना समय की मांग है. पाकिस्तान की तर्ज पर अगर भारत में भी रेपिस्टों को नपुंसक बनाने का कानून बना दिया जाए तो निश्चित रूप से मामलों में गिरावट आएगी. बलात्कार अपराध के लिए नपुंसक और फांसी दोनों सजा संयुक्त रूप से लागू हों. जब ऐसे नियम लागू हो जाएंगे तो बलात्कारियों में भय पैदा होगा. इसमें जन मानस की पूरी सहमति होगी. ऐसे कानून का शायद ही कोई विरोध करे.