रमेश ठाकुर का ब्लॉग: चमकी बुखार से उठते सवाल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 18, 2019 12:57 PM2019-06-18T12:57:35+5:302019-06-18T12:57:35+5:30

स्वास्थ्य विभाग और सरकारों को पता होता है कि प्रचंड गर्मी में कई नई बीमारियां जन्म लेती हैं, तो उनसे निपटने के लिए पूरी तैयारी की जानी चाहिए. पर ऐसा नहीं किया जाता, बीमारियों के आने का इंतजार किया जाता है. यह एक तल्ख सच्चाई है कि आकस्मिक तौर पर जन्म लेने वाली बीमारियों से लड़ने में हम काफी कमजोर हैं.

Ramesh Thakur's blog: Questions arising from chamki fever in behar | रमेश ठाकुर का ब्लॉग: चमकी बुखार से उठते सवाल

रमेश ठाकुर का ब्लॉग: चमकी बुखार से उठते सवाल

चमकी बुखार से बिहार में जो माहौल उत्पन्न हुआ हुआ है, उससे एक बात साबित हो गई है कि देश का चिकित्सीय ढांचा किस कदर चरमराया हुआ है. बिहार सरकार के पूर्व में किए चिकित्सा विज्ञान जैसे क्षेत्न में दुरुस्त मजबूती वाले दावे इस वक्त उनकी पोल खोल रहे हैं. 

बुखार की शुरुआत में डॉक्टर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, उनको बीमारी ही समझ नहीं आई. बुखार का पता लगाने के लिए खून के सैंपल इधर-उधर भेजे गए. बीमारी का जब तक खुलासा हुआ, तब तक दर्जनों बच्चे मौत के मुंह में समा चुके थे. तीन-चार दिनों तक सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का अकाल रहा.

दवाई नहीं होने पर डॉक्टर बच्चों को पैरासिटामॉल व क्रोसीन ही देते रहे. कुल मिलाकर इस बुखार ने स्वास्थ्य तंत्न की पोलपट्टी खोल दी है. समूचे बिहार में पिछले एक हफ्ते से अफरातफरी का माहौल बना हुआ है. जिनके नौनिहाल चमकी बुखार से मर रहे हैं उन आंगनों से निकलने वाली चीखें सरकारी सिस्टम को ललकार रही हैं.

स्वास्थ्य विभाग और सरकारों को पता होता है कि प्रचंड गर्मी में कई नई बीमारियां जन्म लेती हैं, तो उनसे निपटने के लिए पूरी तैयारी की जानी चाहिए. पर ऐसा नहीं किया जाता, बीमारियों के आने का इंतजार किया जाता है. यह एक तल्ख सच्चाई है कि आकस्मिक तौर पर जन्म लेने वाली बीमारियों से लड़ने में हम काफी कमजोर हैं.

आकस्मिक बीमारियों व वायरसों से लड़ने में हमारा स्वास्थ्य तंत्र अभी भी दूसरे मुल्कों से पीछे है. निपाह वायरस ने पिछले ही साल केरल में जमकर आतंक मचाया था, तब दावे किए गए थे कि अगर भविष्य में यह वायरस फिर से आया, तो उससे लड़ने के लिए हम पूरी तरह से सक्षम हैं. लेकिन निपाह ने फिर दस्तक दे रखी है और पूर्व के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. 

अब स्वास्थ्य विभाग का पूरी तरह से रिफॉर्म किया जाना चाहिए. पुराने सिस्टम को नई तकनीकों में बदलना होगा. स्वास्थ्य तंत्न में खामियों की भरमार है. चिकित्सक रोग का सही ढंग से पता भी नहीं कर पाते. चमकी बुखार को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. घटना के जिम्मेदार लोग दूसरों पर दोषारोपण करके मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं.

मुजफ्फरपुर की घटना को सामान्य नहीं कहा जाएगा. इसे बड़ी स्वास्थ्य लापरवाही माना जाएगा.   मरीजों के परिजन कह रहे हैं कि रातभर आईसीयू में कोई डॉक्टर नहीं होते और डॉक्टर कहते हैं कि अस्पताल में दवा नहीं है. भला बिना दवा के इलाज कैसे करेंगे. इन खामियों को हल्के में नहीं लिया जा सकता.

Web Title: Ramesh Thakur's blog: Questions arising from chamki fever in behar

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