लाल कृष्ण आडवाणी पर बोलने वाले राहुल गांधी सीताराम केसरी को क्यों भूल जाते हैं?

By विकास कुमार | Published: April 6, 2019 08:22 PM2019-04-06T20:22:18+5:302019-04-06T20:39:35+5:30

राहुल गांधी जब यह बोल रहे हैं कि आडवाणी की क्या दुर्गति की गई तो फिर सीताराम केसरी को क्यों भूल जाते हैं? कैसे सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें मुख्यालय से उठा कर बाहर फ़ेंक दिया था.

Rahul Gandhi is asking about l.k.advani but why forgot sitaram kesari | लाल कृष्ण आडवाणी पर बोलने वाले राहुल गांधी सीताराम केसरी को क्यों भूल जाते हैं?

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राहुल गांधी ने 'चौकीदार चोर है' नारे के धार को कम करते हुए नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है. बीते दिन अपने एक भाषण में उन्होंने कहा कि मोदी ने आडवाणी को मंच से जूता मार कर उतार दिया. मकसद साफ था कि लाल कृष्ण आडवाणी के जरिये पीएम को आईना दिखाया जाए. और इसके जरिये बीजेपी के कार्यकर्ताओं तक ये सन्देश पहुंचाया जाए कि मोदी किस स्तर के तानाशाह हैं. नरेन्द्र मोदी को राजनीतिक मर्यादा सिखाने की कोशिश अमर्यादित तरीके से की गई. 

मर्यादाओं की बलि 

गांधीनगर से इस बार लाल कृष्ण आडवाणी को टिकट नहीं मिलने के बाद मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई थी और तमाम नेताओं ने पीएम मोदी को घेरा. लेकिन राहुल गांधी ने जिस अंदाज में आडवाणी को लेकर टिप्पणी की है उससे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इतनी आहत हुईं कि उन्होंने राहुल गांधी को मर्यादा का पाठ पढ़ाने में तनिक भी देर नहीं लगायी. लेकिन राहुल कहाँ मानने वाले थे, उन्होंने आज एक बार फिर देहरादून में उसी बयान को दोहराया और इस बार जूता को लात से रिप्लेस कर दिया. 

सीताराम केसरी की दुर्गति 

राहुल गांधी जब यह बोल रहे हैं कि आडवाणी की क्या दुर्गति की गई तो फिर सीताराम केसरी को क्यों भूल जाते हैं? कैसे सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें मुख्यालय से उठा कर बाहर फ़ेंक दिया था. एक वरिष्ठ नेता जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी कांग्रेस पार्टी को भेंट कर दी उसके साथ हुए हश्र को राहुल गांधी क्यों नहीं याद करते हैं? 

राहुल गांधी आज कल कुछ भी बोलते हैं तो उसे बार-बार दोहराते हैं. इसका मतलब है कि यह बयान उनके सुनियोजित राजनीतिक प्लान का हिस्सा होता है. राहुल गांधी ने ठान लिया है कि राजनीतिक बयानों के गिरते स्तर में वो भाजपा का भरसक मुकाबला करेंगे. चाहे इसके लिए सारी सीमाओं को लांघना ही क्यों न पड़े? 

इस बार का लोकसभा चुनाव दो कारणों से ऐतिहासिक होगा. 50 हजार करोड़ का चुनाव और राजनीतिक मर्यादा का अस्तित्वविहीन हो जाना. बात जब राजनीतिक पार्टियों के राजनीतिक अस्तित्व की हो तो फिर इन बयानों की उम्मीद आगे भी बरकरार रखनी चाहिए. 

Web Title: Rahul Gandhi is asking about l.k.advani but why forgot sitaram kesari

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