रहीस सिंह का नजरियाः पाकिस्तान के खिलाफ बदलनी होगी रणनीति

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 19, 2019 07:39 AM2019-02-19T07:39:19+5:302019-02-19T07:39:19+5:30

सवाल यह है कि पाकिस्तान की तरफ से जो इस तरह के अमानवीय कृत्य निरंतर किए जा रहे हैं वे उसकी कायरता का प्रतीक हैं या रणनीति का हिस्सा?

Rahis Singh's view: Strategies to be changed against Pakistan | रहीस सिंह का नजरियाः पाकिस्तान के खिलाफ बदलनी होगी रणनीति

रहीस सिंह का नजरियाः पाकिस्तान के खिलाफ बदलनी होगी रणनीति

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की परवाह अब शायद ही किसी को रह जाए क्योंकि पुलवामा घटना के बाद इन रिश्तों के लिए कोई जगह बचती नहीं दिख रही. वैसे भी पाकिस्तान तो इन रिश्तों को कब का जमींदोज कर चुका है, अब भारत को भी इस पर विराम लगा देना चाहिए. हालांकि राजनीति या कूटनीति ऐसी चीज है कि वहां स्थायी कुछ नहीं होता बल्कि वहां बहुत कुछ अप्रत्याशित होता है, खासकर तब और जब अनावश्यक रूप से लोकप्रियता को तरजीह दी जाए. लेकिन यहां पर सवाल यह नहीं कि लोकप्रियता की राजनीति या राजनीति की लोकप्रियता क्या रह रही है अथवा भविष्य में क्या करेगी और देश को किस दिशा में ले जाएगी. 

सवाल यह है कि पाकिस्तान की तरफ से जो इस तरह के अमानवीय कृत्य निरंतर किए जा रहे हैं वे उसकी कायरता का प्रतीक हैं या रणनीति का हिस्सा? क्या भारत इसी तरह से दु:ख, आंसू और क्षोभ व्यक्त करेगा या भारत का एक पढ़ा-लिखा तबका ‘वी वांट जस्टिस’ लिखी हुई काली पट्टी सोशल मीडिया पर चस्पा कर इंसाफ प्राप्त करने का भाव प्रदर्शित कर जस्टिस हासिल कर लेगा या फिर भारत का पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू करना वास्तव में इंसाफ देगा? लेकिन इस दिशा में आगे बढ़ने के साथ इस प्रश्न पर भी गंभीरता से विचार करना होगा कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर जिस तरह से जैश-ए-मुहम्मद ने हमले को अंजाम दिया है या इससे पहले उड़ी और पठानकोट की घटनाएं हुई थीं, वे भारत के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के मामले में कमजोर पड़ने का संकेत तो नहीं दे रही हैं?

पिछले तीन दशक से पाकिस्तान इसी रणनीति पर आगे बढ़ते हुए भारत को बड़ी मानवीय व आर्थिक क्षति पहुंचा चुका है. उसका मकसद भी यही है. लेकिन हमारा राजनीतिक नेतृत्व लगातार इसे पाकिस्तान की कायराना हरकत बताकर अपनी शिथिलता व नि:शक्तता को छुपा रहा है. इसलिए अब हमें गंभीरता से इस प्रश्न पर विचार करना होगा कि क्या हम वास्तव में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई करने की मन:स्थिति में हैं या उस स्तर की रणनीति हमने तैयार कर ली है जैसी अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन के खिलाफ ऐबटाबाद में अपनाई थी? एक सवाल यह भी उठता है कि क्या भारत चीन, अमेरिका और रूस को पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए तैयार कर पाएगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को खुश करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा  लेकिन क्या चीन पाकिस्तान के मामले में टस से मस हुआ? 

कुल मिलाकर भारत के सामने दो विकल्प हैं. प्रथम यह कि वह वैश्विक जनमत अपने पक्ष में और पाकिस्तान के खिलाफ बनाकर ‘वार इन्ड्यूरिंग फ्रीडम’ जैसी लड़ाई शुरू करे. द्वितीय-वह पाकिस्तान के साथ की गई उन संधियों को निरस्त करे जो पाकिस्तान के आर्थिक हितों को पोषित करती हैं, एक ‘सॉफ्ट वार’ आरंभ करे. 

Web Title: Rahis Singh's view: Strategies to be changed against Pakistan

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