रहीस सिंह का ब्लॉग: संबंधों की केमिस्ट्री में ‘नमस्ते ट्रम्प’ का कितना असर?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 23, 2020 10:08 AM2020-02-23T10:08:59+5:302020-02-23T10:08:59+5:30
भारत सरकार इस दिशा में बेहद संजीदगी के साथ कदम बढ़ा रही है. ऐसी संभावना है कि आगामी समझौता भारत और अमेरिका के बीच 500 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को स्थापित करने के लिए रास्ता तलाश करेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने खिलाफ चले महाभियोग को खारिज कराकर नई लोकप्रियता के साथ भारत आ रहे हैं और उनका स्वागत कर रहा है दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र. संभावना यह है कि अहमदाबाद के ‘नमस्ते ट्रम्प’ से भारत-अमेरिका के बीच स्थापित संबंधों की बांडिंग और मजबूत होगी. लेकिन कितनी? क्या इसमें कुछ अरिथमेटिकल डिविडेंड भी शामिल होंगे?
विदेश नीति पर विचार करते समय यह ध्यान रखने की जरूरत होती है कि वे कौन से फैक्टर्स हैं जो विदेश नीति की दिशा तय करने में सहायक होते हैं या वे किसी न किसी प्रकार से उसे प्रभावित करते हैं. वर्तमान समय में बाजार के साथ-साथ स्ट्रेटेजी इस पर खासा प्रभाव डाल रही हैं. लेकिन दूसरी तरफ व्यक्तित्व और लोकप्रियता इसे नई दिशा देने में सहयोगी होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाइम्स स्क्वायर और ह्यूस्टन में भारतवंशियों के बीच उपस्थित होकर न केवल भारतवंशियों के साथ संवेदनात्मक रिश्ते कायम किए बल्कि अमेरिकी लोकतंत्र में भारत के प्रभाव को ताकत दी. उन्होंने भारतवंशियों को यह एहसास दिलाया कि उनकी उपस्थिति केवल अरिथमेटिकल महत्व नहीं रखती बल्कि यह नए इतिहास की रचना करने में समर्थ है. ट्रम्प शायद इसे समझ भी चुके हैं. यही वजह है कि वे चुनाव से पहले भारत की यात्र पर आ रहे हैं. हां अभी यह तय होना है कि उनकी यात्र के बाद भारत-अमेरिका संबंध शेष एशियाई देशों के साथ स्थापित अमेरिका संबंधों के मुकाबले कितने डिविडेंड की स्थिति में होंगे. यह भी देखना होगा कि ट्रम्प अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर और कोरोना इम्पैक्ट के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान की भरपाई को केंद्र में लाकर भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाना चाहेंगे या फिर स्वतंत्र रूप से भारतीय हितों को ध्यान में रखते हुए.
इस यात्र के दौरान संभवत: भारत और अमेरिका के बीच कोई ट्रेड समझौता न हो और हो तो कोई छोटा-मोटा समझौता ही हो. ऐसा ट्रम्प स्वयं स्पष्ट कर चुके हैं. उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच फिलहाल कोई ट्रेड समझौता नहीं होने जा रहा है. दरअसल
दोनों ही देश एक व्यापक एफटीए पर बात कर रहे हैं जिसमें सभी पक्षों के हितों की समान तौर पर रक्षा होनी चाहिए. ध्यान रहे कि अब तक भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिका के ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) रॉबर्ट लाइथाइजर के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और दोनो पक्षों के बीच इस बात पर सहमति भी बन चुकी है कि छोटे-मोटे ट्रेड समझौते की जगह बड़े समझौते को तरजीह दी जानी चाहिए. लेकिन अभी तय नहीं है. हां यह पहला अवसर होगा जब दोनों देश कॉम्प्रिहेंसिव फ्री ट्रेड पर बात कर रहे हैं अन्यथा अभी तक तो परस्पर वरीयता वाले कारोबार को लेकर बातचीत ही हो रही थी.
भारत सरकार इस दिशा में बेहद संजीदगी के साथ कदम बढ़ा रही है. ऐसी संभावना है कि आगामी समझौता भारत और अमेरिका के बीच 500 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को स्थापित करने के लिए रास्ता तलाश करेगा. लेकिन अभी भारत चाहता है कि अमेरिका जीएसपी के तहत मिलने वाली रियायतें फिर से बहाल करे, भारतीय कृषि एवं तकनीकी उत्पादों का आयात अमेरिका और बढ़ाए तथा भारतीय पेशवरों के रास्ते में आने वाली सभी बाधाएं दूर हों.
दूसरी तरफ अमेरिका चाहता है कि भारत उसके कृषि उत्पादों व एल्कोहल उत्पादों पर शुल्क घटाए, उसकी ऑटो कंपनियों के लिए भारतीय बाजार के दरवाजे और खोले जाएं तथा ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बने नए नियमों को अधिक उदार बनाया जाए.