पंकज चतुव्रेदी का ब्लॉग: पीड़ितों को मानसिक संबल प्रदान करें

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 9, 2020 03:01 PM2020-04-09T15:01:20+5:302020-04-09T15:01:20+5:30

कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण अपने ही घरों में इसोलेट किए गए लोगों के दरवाजों पर चिपकाए गए पोस्टर उन्हें समाज की निगाह में अपराधी बनाकर प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्हें बेवजह लताड़, उपेक्षा और भय का सामना करना पड़ रहा है।

Provide mental support to the Coronavirus victims | पंकज चतुव्रेदी का ब्लॉग: पीड़ितों को मानसिक संबल प्रदान करें

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsयदि समाज और प्रशासन चाहे तो इस एकांतवास को थोड़ा रचनात्मक और बहुत कुछ आनंददायक बना सकता है।एकांत में भेजने से पहले उन्हें उनकी समझ में आने वाली भाषा में कुछ वीडियो दिखाए जा सकते हैं या फिर जहां संभव हो मनोवैज्ञानिक से विमर्श करवाया जा सकता है।

पूरी दुनिया में हजारों लोगों को अपना शिकार बना चुके और अभी तक लाइलाज बीमारी कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण का अभी तक खोजा गया माकूल उपाय है सामाजिक दूरी बनाए रखना और संदिग्ध मरीज को समाज से दूर रख देना। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए कुछ दिन अलग रहने को आखिर इतना बड़ा अपराध क्यों मान लिया जा रहा है कि लोग कहीं खुदकुशी कर रहे हैं तो कहीं उपद्रव।

एक तो कोरोना संक्रमित या संभावित व्यक्ति के साथ व्यवहार लगभग किसी अपराधी की तरह होता है। न तो ऐसे लोगों को एकांतवास में भेजने से पहले उनकी मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग होती है और न ही उन्हें आश्वस्त किया जाता है कि जरूरी नहीं कि वे बीमार ही हों।

अपने ही घरों में एकांतवास रखे गए लोगों के दरवाजों पर चिपकाए गए पोस्टर उन्हें समाज की निगाह में अपराधी बनाकर प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्हें बेवजह लताड़, उपेक्षा और भय का सामना करना पड़ रहा है। इधर विडंबना है कि हमारा समाज किसी भी तरह संक्रमित व्यक्ति को न केवल सामाजिक तरीके से दूर कर रहा है, वरन भावनात्मक रूप से इतना दूर कर रहा है कि मरीज में एक अपराधबोध या ग्लानि की प्रवृत्ति विकसित हो रही है। परिणाम सामने है कि एक युवा आत्महत्या कर लेता है या किसी आशंका के खौफ से प्रशासन पर लोग हमलावर हो जाते हैं।
 
यदि समाज और प्रशासन चाहे तो इस एकांतवास को थोड़ा रचनात्मक और बहुत कुछ आनंददायक बना सकता है। एक तो जिसमें बीमारी के लक्षण न हों, सीमित परिवेश में खुले में टहलने, पढ़ने, मनोरंजक कार्यक्रम देखने, लोकरंग की गतिविधियों, अपनों से नियमित बातचीत, कुछ लिखने-गाने के लिए प्रेरित करने जैसे उपाय किए जाएं। 

एकांत में भेजने से पहले उन्हें उनकी समझ में आने वाली भाषा में कुछ वीडियो दिखाए जा सकते हैं या फिर जहां संभव हो मनोवैज्ञानिक से विमर्श करवाया जा सकता है। जान लें, कोरोना संक्रमण और उसके कुप्रभावों को देश व दुनिया को लंबे समय तक डोलना है। ऐसे में समाज को उसकी इच्छा-शक्ति के साथ ही इससे उबारा जा सकता है।

Web Title: Provide mental support to the Coronavirus victims

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