वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: हिंदी का विरोध उचित नहीं

By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 16, 2019 05:59 AM2019-09-16T05:59:31+5:302019-09-16T05:59:31+5:30

क्या अमित शाह हिंदीभाषी हैं? नहीं हैं. वे ओवैसी, कुमारस्वामी, वाइको और ममता बनर्जी की तरह गैर-हिंदीभाषी हैं. उनकी मातृभाषा हिंदी नहीं, गुजराती है. इसलिए जो आरोप सेठ गोविंददास, डॉ. लोहिया पर पचास-साठ साल पहले लगाए जाते थे, वे अमित शाह पर नहीं लगाए जा सकते.

Protest against hindi is not appropriate | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: हिंदी का विरोध उचित नहीं

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsअमित शाह ने अपने भाषण में कई बार भारतीय भाषाओं के महत्व को दोहराया है. 130 करोड़ लोगों को आपस में कौन सी भाषा जोड़ सकती है?वह सिर्फ एक ही भाषा हो सकती है और वह है हिंदी. इसमें अमित शाह ने क्या गलत कह दिया?

गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर कोई ऐसी बात नहीं की, जिस पर कोई जरा भी आपत्ति कर सके, लेकिन फिर भी कांग्रेस और कुछ दक्षिण भारतीय नेताओं ने उनका कड़ा विरोध कर दिया है. एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी भाजपा-विरोधियों के स्वर में स्वर मिला दिया है.

इन तमिल, कन्नड़, बांग्ला और मुस्लिम नेताओं को भाजपा का विरोध करना है, इसीलिए उन्होंने हिंदी के विरुद्ध शोरगुल मचाना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि अमित शाह हिंदी को सब पर थोपने के लिए अन्य भारतीय भाषाओं का गला घोंटना चाहते हैं. यह सरासर झूठ है. 

क्या अमित शाह हिंदीभाषी हैं? नहीं हैं. वे ओवैसी, कुमारस्वामी, वाइको और ममता बनर्जी की तरह गैर-हिंदीभाषी हैं. उनकी मातृभाषा हिंदी नहीं, गुजराती है. इसलिए जो आरोप सेठ गोविंददास, डॉ. लोहिया पर पचास-साठ साल पहले लगाए जाते थे, वे अमित शाह पर नहीं लगाए जा सकते.

दूसरी बात यह है कि अमित शाह ने अपने भाषण में कई बार भारतीय भाषाओं के महत्व को दोहराया है. उनके भाषण में से एक शब्द भी ऐसा नहीं खोजा जा सकता, जिसके आधार पर यह सिद्ध किया जा सकता हो कि वे किसी भी भारतीय भाषा को हिंदी के आगे उपेक्षित या अपमानित करना चाहते हैं. तीसरी बात, उन्होंने अंग्रेजी की गुलामी पर प्रहार किया है, जो बिल्कुल ठीक किया है. यदि हमारे राज-काज, अदालतों, पाठशालाओं - अस्पतालों, संसद-विधानसभाओं और रोजमर्रा के जीवन से अंग्रेजी का वर्चस्व खत्म होगा तो क्या होगा? सारा देश आपस में जुड़ेगा. अभी सिर्फ अंग्रेजीदां भद्रलोक, जिसकी संख्या 5-7 करोड़ से ज्यादा नहीं है, आपस में जुड़ा हुआ है. क्या यह सच्चा और पूरा जुड़ाव है? 

130 करोड़ लोगों को आपस में कौन सी भाषा जोड़ सकती है? वह सिर्फ एक ही भाषा हो सकती है और वह है हिंदी. इसमें अमित शाह ने क्या गलत कह दिया? हिंदी की वह भूमिका कतई नहीं होगी जो अंग्रेजी की है. यदि हिंदी भी अंग्रेजी की तरह शोषण और ठगी की भूमिका निभाएगी तो उसका सबसे बड़ा विरोधी मैं रहूंगा.

Web Title: Protest against hindi is not appropriate

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