प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: विधायिका में महिला हिस्सेदारी
By प्रमोद भार्गव | Published: March 15, 2019 08:29 PM2019-03-15T20:29:01+5:302019-03-15T20:29:01+5:30
2014 के आम चुनाव में मोदी लहर के बावजूद ओडिशा और प. बंगाल में बीजद एवं तृणमूल ने अधिकतम सीटें जीती थीं. हालांकि इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी केंद्र में आती है तो महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराया जाएगा.
लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण देने की बात तो सभी राजनीतिक दल करते हैं, किंतु अपने स्तर पर कोई पहल नहीं करते. अलबत्ता अब बीजू जनता दल के अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने जरूर सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में 33 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाओं को उम्मीदवार बनाए जाने का निर्णय लिया है.
2014 के आम चुनाव में मोदी लहर के बावजूद ओडिशा और प. बंगाल में बीजद एवं तृणमूल ने अधिकतम सीटें जीती थीं. हालांकि इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी केंद्र में आती है तो महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराया जाएगा. यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो पंचायत चुनाव की तरह संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा मिल जाएगी. फिलहाल यह विधेयक 9 मार्च 2010 में राज्यसभा से पारित होने के बाद ठंडे बस्ते में है. विधायिका में महिला आरक्षण के लिए 108वें संविधान संशोधन विधेयक का भी राज्यसभा में अनुमोदन हो चुका है.
सोलहवीं लोकसभा में भाजपा स्पष्ट बहुमत में थी, गोया वह चाहती तो विधेयक पारित कराने में कोई संशय ही नहीं था. किंतु अब दो क्षेत्रीय दलों ने महिलाओं के प्रति इस प्रतिबद्घता से जता दिया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कानून के अस्तित्व में आए बिना भी महिलाओं की विधायिका में भागीदारी बढ़ाई जा सकती है.
फिलहाल लोकसभा में 12.15 प्रतिशत महिलाओं की ही भागीदारी हैं. 1952 में गठित पहली लोकसभा में 489 में से महज 22 महिलाएं सांसद थीं. जबकि मौजूदा लोकसभा में 62 महिलाएं लोकसभा सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व कर रही हैं. यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है. विधानसभाओं में महिला विधायकों की उपस्थिति केवल 9 फीसदी है. लोकसभा व विधानसभाओं में एक तिहाई महिलाओं की उपस्थिति इसलिए जरूरी है, जिससे वे कारगर हस्तक्षेप कर महिला की गरिमा तो कायम करें ही, देश में जो पुरुष की तुलना में स्त्री का जो अनुपात गड़बड़ा रहा है, उसको भी समान बनाने के उपाय तलाशें.