प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: मौसम के बिगड़ते मिजाज से तबाही
By प्रमोद भार्गव | Published: October 7, 2019 06:03 AM2019-10-07T06:03:34+5:302019-10-07T06:03:34+5:30
बारिश के अनुमान गलत क्यों साबित हुए, इसका तार्किक जवाब मौसम विभाग के पास नहीं है. फिर भी उसका कहना है कि प्रशांत महासागर में अलनीनो के प्रकट हो जाने से शुरू में इसने मानसून को बरसने नहीं दिया. इसलिए जुलाई में कम बारिश हुई.
मौसम के अनुमानों को गलत साबित करते हुए मूसलाधार बारिश ने 11 राज्यों में तबाही मचा दी. इस बार तबाही का संकट महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से शुरू हुआ और सितंबर माह के अंत में बिहार और उत्तर-प्रदेश में तांडव बनकर टूट पड़ा. इससे राजधानी पटना के 80 प्रतिशत घरों में पानी भर गया और बिहार के 14 जिले प्रभावित हुए.
देश में कुल 910 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि सामान्य बारिश का औसत 860 मिमी है. इस बार मौसम विज्ञान विभाग और मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट सटीक भविष्यवाणी करने में पूरी तरह असफल रही है. शुरू में मौसम विभाग ने 98 प्रतिशत बारिश होने की संभावना जताई थी, जो बाद में घटाकर 96 फीसदी कर दी थी. इसी तरह स्काईमेट ने 96 प्रतिशत बारिश की भविष्यवाणी की थी, जो गलत साबित हुई.
बारिश के अनुमान गलत क्यों साबित हुए, इसका तार्किक जवाब मौसम विभाग के पास नहीं है. फिर भी उसका कहना है कि प्रशांत महासागर में अलनीनो के प्रकट हो जाने से शुरू में इसने मानसून को बरसने नहीं दिया. इसलिए जुलाई में कम बारिश हुई. इसी समय हिंद महासागर में मानसून के अनुकूल वातावरण तैयार हुआ. नतीजतन बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना, जिससे अगस्त, सितंबर में कई राज्यों में भारी बारिश हुई.
दरअसल पर्यावरण के असंतुलन के कारण गर्मी, बारिश और ठंड का संतुलन भी बिगड़ता है. इसका सीधा असर मानव स्वास्थ्य और कृषि की पैदावार व फसल की पौष्टिकता पर पड़ता है. यदि मौसम में आ रहे बदलाव से पांच साल के भीतर घटी प्राकृतिक आपदाओं और संक्रामक रोगों की पड़ताल की जाए तो वे हैरानी में डालने वाले हैं. तापमान में उतार-चढ़ाव से दिल व सांस संबंधी रोगों से मृत्युदर में इजाफा हो सकता है. बढ़ते तापमान के कारण प्रदूषण में वृद्धि दमा का कारण है. दुनिया में करीब 30 करोड़ लोग इसी वजह से दमा के शिकार हैं.