प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: फाइटर एयरक्राफ्ट्स के निर्यात में आगे बढ़ता भारत
By Prakash Biyani | Published: February 11, 2021 01:49 PM2021-02-11T13:49:30+5:302021-02-11T13:51:47+5:30
भारत सरकार भी ड्रोन पायलट तैयार करने के लिए ट्रेनिंग अकादमी स्थापित करने की अनुमति देने लगी है. पांच दिन में 35 घंटे की इस ट्रेनिंग की फीस है 22 हजार रुपए. दुनिया में सबसे बड़ी दलाली का लेनदेन ग्लोबल एयरोस्पेस और डिफेंसगुड्स मार्केट में होता है.
भारत सरकार ने इस साल एयरोस्पेस और डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर के लिए 1.75 लाख करोड़ रु. के कारोबार का लक्ष्य तय किया है जिसमें निर्यात आय 37 हजार करोड़ रुपए होने की उम्मीद है.
हाल ही में रक्षा मंत्नालय द्वारा बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया 2021 में इसकी झलक दिखाई दी. यहां देश की नवरत्न कंपनियों में से एक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने देश में डिजाइंड और निर्मित लड़ाकू विमान पेश किए.
इस शो में फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस जैसे विकसित देशों के लड़ाकू विमानों के बीच एचएएल के एयरक्राफ्ट्स, हेलिकॉप्टर्स और मिसाइल आकाश को अच्छा रिस्पांस मिला है. वियतनाम, फिलीपींस, यूएई और सऊदी अरब भारतीय सर्फेस टू एयर आकाश मिसाइल खरीद रहे हैं.
एचएएल ने 8 दशक के सफर में तीन हजार से भी अधिक विमान बनाए, 3400 से अधिक विमान-इंजनों की मरम्मत की है. भारतीय सेना को स्वदेशी फाइटर एयरक्राफ्ट्स और ट्रेनर एयरक्राफ्ट सप्लाई किए.
टू सीटर पुष्पक, कृषक, जेट फाइटर मारुत और जेट ट्रेनर किरण एयरक्राफ्ट बनाए. एचएएल का बहुउद्देशीय ध्रुव हेलिकॉप्टर इजराइल ने खरीदा है. रूद्र ध्रुव का सशस्त्न संस्करण है. सुखोई-30 और डोर्नियर 228 के अलावा चेतक हेलिकॉप्टर भी भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल किए गए हैं. इसी श्रृंखला में तेजस पहला स्वदेशी सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट है.
अमेरिका, फ्रांस, इजराइल जैसे दो दर्जन से अधिक देशों को विमान से जुड़े साजो-सामान निर्यात करने वाली एचएएल के अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों में शामिल हैं- फ्रांस की एयरबस इंडस्ट्रीज और टबरेमेंका, यूएसए की बोइंग और हनीवेल इंटरनेशनल, मॉरीशस की कोस्ट गार्ड, इजराइल की इल्टा, रूस की एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज और रोसोबोरोन एक्सपोर्ट, ब्रिटेन की रोल्स रायस.
कंपनी को रिसर्च एंड डिजाइन, टेक्नोलॉजी, मैनेजेरियल, एक्सपोर्ट्स, एनर्जी, क्वालिटी के कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुके हैं.
हाल ही में भारत सरकार ने एचएएल को देश की वायुसेना को पिछले दिनों 83 तेजस सप्लाई करने का ऑर्डर दिया है. एचएएल के चेयरमैन मैनेजिंग डायरेक्टर आर. माधवन के अनुसार 45 करोड़ रुपए के इस ऑर्डर के बाद तेजस की ग्लोबल मार्केट में बिक्री की संभावना बढ़ गई है.
एचएएल के बेंगलुरु स्थित स्टेट-ऑफ-द-आर्ट संयंत्न में तेजस बनाया जा रहा है. एचएएल रशियन एसयू 30 और एजेटी हॉक भी लाइसेंस अनुबंध के तहत भारत में बना रही है. भारत में निर्मित लड़ाकू विमानों के स्पेयर्स और रिपेयरिंग के लिए एचएएल श्रीलंका, इंडोनेशिया और वियतनाम में इनकी मेंटेनेंस सुविधाएं जुटा रही है.
निजी क्षेत्न की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, अडानी डिफेन्स, महिंद्रा डिफेंस और भारत फोर्ज ने भी फाइटर जेट्स बनाने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ तकनीकी अनुबंध किए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार भारत बिना पायलट के एरियल व्हीकल ड्रोन का भी ग्लोबल कैपिटल बनने लगा है.
भारत सरकार भी ड्रोन पायलट तैयार करने के लिए ट्रेनिंग अकादमी स्थापित करने की अनुमति देने लगी है. पांच दिन में 35 घंटे की इस ट्रेनिंग की फीस है 22 हजार रुपए. दुनिया में सबसे बड़ी दलाली का लेनदेन ग्लोबल एयरोस्पेस और डिफेंसगुड्स मार्केट में होता है. देश के लिए एयरोस्पेस और डिफेंस गुड्स खरीदने पर दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों पर दलाली लेने के आरोप लगे हैं.
डिफेंस की जटिल सौदेबाजी को हाई लेवल भ्रष्टाचार से बचाना है तो देश को आयुध मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा अन्यथा फौज का मनोबल गिरानेवाले झूठे सच्चे आरोप लगते रहेंगे.