प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: ग्वादर का जवाब है चाबहार पोर्ट

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 19, 2019 09:52 AM2019-03-19T09:52:36+5:302019-03-19T09:52:36+5:30

चाबहार बंदरगाह से व्यापार शुरू हो जाने से चीन और पाकिस्तान परेशान हैं। चीनी गुड्स को पाकिस्तान में निर्माणाधीन आर्थिक कॉरिडोर से ग्वादर पोर्ट पहुंचने के लिए पूरा पाकिस्तान पार करना पड़ेगा जबकि कांडला (गुजरात) और मुंबई से चाबहार पोर्ट पहुंचने में समुद्र मार्ग से लगते हैं मात्न चार से पांच घंटे।

Prakash Biyani's blog: Gwadar's answer is Chabahar Port | प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: ग्वादर का जवाब है चाबहार पोर्ट

प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: ग्वादर का जवाब है चाबहार पोर्ट

ईरान के दक्षिण-पूर्वी समुद्र किनारे भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने चाबहार बंदरगाह तो चीन और पाकिस्तान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह विकसित किया है। इन दोनों बंदरगाहों के बीच मात्न 80 किमी की दूरी है। 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने चाबहार बंदरगाह विकसित करने का समझौता किया था पर तब यह प्रोजेक्ट मूर्त रूप नहीं ले सका था। 2014 में चीन की शी जिनपिंग की सरकार ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की घोषणा की। 46 बिलियन डॉलर की लागत से बनने वाले इस गलियारे का प्रवेश द्वार पाक अधिकृत कश्मीर में और  निकास के लिए ग्वादर बंदरगाह चिह्न्ति किया तो इसका जवाब देने के लिए भारत ने मई 2015 में 20 अरब डॉलर (करीब 1400 अरब रु।) का चाबहार बंदरगाह समझौता रिन्यू किया। 

चीन पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह निर्माणाधीन है पर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने चाबहार बंदरगाह पर नवनिर्मित विस्तार क्षेत्न का उद्घाटन कर दिया है। 24 दिसंबर 2018 को  चाबहार बंदरगाह के एक हिस्से के परिचालन का दायित्व भारत ने संभाल लिया है। इसके साथ पहली बार भारत अपनी भौगोलिक सीमाओं से बाहर किसी बंदरगाह का परिचालन करने लगा है।  यही नहीं, भारत के आग्रह पर अमेरिका ने इस बंदरगाह को ईरान पर लगे प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है। इस बंदरगाह से भारत और अफगानिस्तान के बीच आयात-निर्यात शुरू हो गया है। इस पोर्ट के सहायक सड़क मार्ग बनने के बाद भारत के लिए चाबहार यूरोप और एशिया को जोड़ने वाले यूरेशिया का भी गेट-वे बन जाएगा। 100 से ज्यादा देशों के समूह यूरेशिया में दुनिया की 70 फीसदी आबादी रहती है। 

चाबहार बंदरगाह से व्यापार शुरू हो जाने से चीन और पाकिस्तान परेशान हैं। चीनी गुड्स को पाकिस्तान में निर्माणाधीन आर्थिक कॉरिडोर से ग्वादर पोर्ट पहुंचने के लिए पूरा पाकिस्तान पार करना पड़ेगा जबकि कांडला (गुजरात) और मुंबई से चाबहार पोर्ट पहुंचने में समुद्र मार्ग से लगते हैं मात्न चार से पांच घंटे। पाकिस्तान की परेशानी यह है कि चारों तरफ से जमीन से घिरे अफगानिस्तान से भारत की सीधे कनेक्टिविटी हो जाने से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच व्यापार खत्म होने लगा है जो वित्तीय तंगी के दौर में पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है। भारत अब पाकिस्तान से युद्ध होने पर बलूचिस्तान में भी मोर्चा खोल सकता है जहां बलूची पाकिस्तान के अत्याचार से परेशान हैं और स्वतंत्नता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 

Web Title: Prakash Biyani's blog: Gwadar's answer is Chabahar Port

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