प्रदीप द्विवेदी का ब्लॉग: लाल किला घटनाक्रम के मद्देनजर सर्वदलीय जांच आयोग गठित होना चाहिए!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: January 28, 2021 01:40 PM2021-01-28T13:40:05+5:302021-01-28T13:44:05+5:30

26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान कुछ आंदोलनकारी लाल किला में घुस आए और वहां झंडे को भी फहराया...

Pradeep Dwivedi's blog: inquiry commission should be set up in farmers protest Red Fort case! | प्रदीप द्विवेदी का ब्लॉग: लाल किला घटनाक्रम के मद्देनजर सर्वदलीय जांच आयोग गठित होना चाहिए!

प्रदीप द्विवेदी का ब्लॉग: लाल किला घटनाक्रम के मद्देनजर सर्वदलीय जांच आयोग गठित होना चाहिए!

Highlightsकृषि कानूनों के विरोध में किसान।26 जनवरी को उग्र हुआ ट्रैक्टर मार्च।लाल किला पहुंचे उपद्रवी, प्राचीर पर फहराया झंडा।

जो किसान दिल्ली की सीमा पर दो माह से ज्यादा समय से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, उन्हें दिल्ली के मैदान में तो आंदोलन की स्वीकृति नहीं दी गई, लेकिन गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रैक्टर परेड की सशर्त स्वीकृति दी गई, क्यों?

जबकि, यह कई बार साफ हो चुका था कि संपूर्ण किसान आंदोलन किसी एक संगठन के हाथ में नहीं है. यही नहीं, जहां लाखों लोगों की भीड़ आ रही हो, उनमें कोई असामाजिक तत्व नहीं होंगे, यह कैसे मान लिया गया.

क्योंकि, ट्रैक्टर परेड निकालनी थी, इसलिए किसान नेताओं ने तो बगैर सोचे-समझे पुलिस की सारी शर्ते मान ली, लेकिन पुलिस प्रशासन ने यह कैसे भरोसा कर लिया कि इतनी बड़ी भीड़ को वे कंट्रोल कर लेंगे?

यही वजह है कि 26 जनवरी 2021 को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प को लेकर प्रोटोकॉल की स्थिति पर कई तरह के सवालिया निशान लगे हैं.

पुलिस प्रशासन की भूमिका पर भी कई प्रश्नचिन्ह लगे हैं, जिन्हें लेकर प्रमुख न्यूज चैनल ने दिल्ली के पूर्व डीसीपी अमोद कंठ से बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि- कल के मामले में जो इतना बड़ा हुजूम अलग-अलग रास्तों से आया उसे कंट्रोल कर पाना मुश्किल होता है. ऊपर से दूसरी सबसे बड़ी समस्या ये थी कि दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करने के लिये आजादी नहीं दी गई थी, कि वो भीड़ को कंट्रोल करने के लिए फायरिंग कर सके या एक्स्ट्रीम फोर्स का इस्तेमाल कर सके.

जाहिर है, अधिकार-मुक्त जवानों को असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए आगे कर दिया गया. जिसका मकसद साफ था- किसान आंदोलन को बदनाम करना और सियासी फायदा उठाना.

यह हो सकता है कि हिंसा के दम पर असामाजिक तत्व लाल किले तक पहुंच गए हों, लेकिन कितने आश्चर्य की बात है कि बहुत देर तक वहां झंडा लगाने का कार्य आराम से चलता रहा, उसे रोकने के लिए कोई एक्शन नहीं लिया गया, क्यों? ये लोग जिस तरह से लाल किले तक पहुंचे थे, वैसे ही चले भी गए, उन्हें पकड़ा भी नहीं गया, क्यों?

स्पष्ट है, सियासी पर्दे पर जो कुछ नजर आ रहा है, उससे कई ज्यादा पर्दे के पीछे है और पर्दे के पीछ का यह सच सामने आना चाहिए. यह सच तभी सामने आएगा, जब लाल किला घटनाक्रम के मद्देनज़र सर्वदलीय जांच आयोग गठित होगा!  

Web Title: Pradeep Dwivedi's blog: inquiry commission should be set up in farmers protest Red Fort case!

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