अवधेश कुमार का ब्लॉग: राजनीति ने हमें जहरीले वायुमंडल में रहने को मजबूर किया
By अवधेश कुमार | Published: November 9, 2022 12:43 PM2022-11-09T12:43:46+5:302022-11-09T12:45:40+5:30
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय पंजाब के भी नीति नियंता हैं। दिल्ली को सामाजिक-आर्थिक विकास के मॉडल के रूप में गुजरात चुनाव में पेश कर रहे अरविंद केजरीवाल और उनके साथी इस बात की चर्चा नहीं करते कि इससे कितनी क्षति हो रही है।
ऐसा लगता है जैसे दिल्ली सहित संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घने कोहरे में डूबा हुआ है। हम सब जानते हैं कि यह कोहरा नहीं बल्कि प्रदूषण का ऐसा विकराल जाल है जिसमें मनुष्य सहित सारे जीव-जंतु एवं वनस्पति फंसे छटपटा रहे हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी सीएक्यूएम ने बाजाब्ता बुजुर्गों, बच्चों और सांस की समस्याओं से ग्रसित लोगों को घर से बाहर न निकलने का सुझाव जारी कर दिया है।
अलग-अलग जगहों पर जिला प्रशासन ने भी बच्चों और बुजुर्गों की रक्षा के लिए कई प्रकार के निर्देश जारी किए हैं। पिछले कई दिनों से दिल्ली का एक्यूआई 400 से 450 के बीच दर्ज किया जा रहा है। लगभग यही स्थिति गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद आदि की है। हालांकि कई क्षेत्रों में यह इससे ऊपर भी चला जाता है। विशेषज्ञ इसे स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति मानते हैं।
प्रश्न है कि आखिर ऐसा क्यों है कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रहने वाले कई करोड़ मनुष्य और इनके साथ पशु-पक्षी सांस के रूप में जहर लेने को विवश हैं? इसके कारणों पर इतनी बार चर्चा हो चुकी है कि इसे बार-बार दोहराने की आवश्यकता नहीं है। वास्तव में यह सरकारों का गैर-जिम्मेवार व्यवहार है जिसने सबको जहरीले वायुमंडल में रहने को विवश किया है।
सच यही है कि पर्यावरण के नाम पर केवल राजनीति हुई और आज भी हो रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय पंजाब के भी नीति नियंता हैं। दिल्ली को सामाजिक-आर्थिक विकास के मॉडल के रूप में गुजरात चुनाव में पेश कर रहे अरविंद केजरीवाल और उनके साथी इस बात की चर्चा नहीं करते कि इससे कितनी क्षति हो रही है।
गंभीर स्थिति आने का अर्थ है कि यहां आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले या आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले ट्रकों और सभी सीएनजी इलेक्ट्रिक ट्रकों को छोड़कर ट्रकों का प्रवेश बंद होगा। इसी तरह आवश्यक एवं आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर डीजल चालित मध्यम वाहन और भारी माल वाहन, बीएस 6 वाहनों को छोड़ डीजल, एलबीएस आदि पर रोक है।
इस तरह यहां के लोग एक ओर लोग जहरीली हवा के माध्यम से बीमारियां पालने को अभिशप्त हैं तो दूसरी ओर भारी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। निस्संदेह, राजधानी दिल्ली ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार की भी जिम्मेवारी है। पर्यावरण की दृष्टि से केंद्र के पास ऐसे अनेक अधिकार हैं जिनसे राज्यों को कदम उठाने के लिए बाध्य किया जा सकता है। लेकिन भाजपा इस समय केवल दमघोंटू वातावरण को लेकर केजरीवाल सरकार के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन और बयानबाजी कर रही है।