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पीएम नरेंद्र मोदी को एक वैज्ञानिक की है तलाश क्योंकि....

By हरीश गुप्ता | Updated: November 24, 2022 08:53 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के प्रमुख के लिए एक विशेषज्ञ की तलाश में हैं. पिछले एक साल से यह पद खाली है.

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मोदी सरकार प्रमुख पदों पर नौकरशाहों और पेशेवरों की नियुक्ति में अधिक समय लेने के लिए जानी जाती है, जिससे असामान्य देरी होती है. विधि आयोग और अन्य प्रमुख संस्थानों में पदों को भरने में प्रधानमंत्री को लगभग तीन साल लग गए. मोदी सरकार की एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि अगर कुछ प्रतिकूल देखा जाता है तो वह तुरंत आदेश वापस लेने में संकोच नहीं करती है. 

मोदी ने नौकरशाही को दुरुस्त करने के लिए विभिन्न स्तरों पर सेवा संवर्ग के बाहर से प्रतिभा लाने का भी प्रयोग किया. लेकिन हाल ही में प्रक्रिया धीमी हो गई है क्योंकि बाहर से लाए गए लोग उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं. मोदी ने उन्हें सचिव, संयुक्त सचिव और उच्च स्तर पर नियुक्त किया. उनमें से कुछ (जल संसाधन और आयुष) को संचालन का जिम्मा भी दिया गया. लेकिन उनमें से ज्यादातर को सर्विस कैडर कर्मियों से आगे निकलने में मुश्किल हो रही है. 

सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को हिलाने के लिए, मोदी ने लगभग दो साल पहले एक सफल उद्यमी मल्लिका श्रीनिवासन को सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था. पीईएसबी सभी सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार है. हालांकि इसने कुछ नतीजे दिए हैं, लेकिन यह कछुआ गति से काम कर रहा है.

पता चला है कि प्रधानमंत्री मोदी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के प्रमुख के लिए एक विशेषज्ञ की तलाश में हैं. रीता तेवतिया (सेवानिवृत्त आईएएस: 1981, गुजरात कैडर) के तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद एक साल पहले यह पद खाली हो गया था. मोदी नहीं चाहते कि कोई नौकरशाह इस महत्वपूर्ण निकाय का अध्यक्ष बने. 

वे एक ऐसे विशेषज्ञ वैज्ञानिक की तलाश कर रहे हैं जिसके पास प्रशासनिक क्षमताएं भी हों. कार्य के लिए उपयुक्त व्यक्ति मिलने तक एक आईएएस अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. पीएमओ ने तब सबको चौंका दिया था जब डॉ. एम श्रीनिवास को डॉ. रणदीप गुलेरिया की जगह एम्स का नया निदेशक नियुक्त किया गया. चयन समिति ने डॉ. श्रीनिवास का नाम शॉर्टलिस्ट तक नहीं किया था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पद के लिए सक्षम पेशेवर के साथ एक सख्त प्रशासक चाहते थे.

चर्चा में है मोदी-धनखड़ की बॉन्डिंग

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री मोदी के बीच के सौहार्द्र को राजनीतिक पंडितों द्वारा उत्सुकता से देखा जा रहा है. यह केमिस्ट्री कुछ इस तरह की है जो पहले कभी नहीं देखी गई. यह कोई रहस्य नहीं है कि प्रधानमंत्री और पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के बीच संबंध बहुत हार्दिक नहीं थे. जानकार सूत्रों का कहना है कि उनके बीच गर्मजोशी नहीं थी. लेकिन धनखड़-मोदी की केमिस्ट्री को काफी दिलचस्पी से देखा जा रहा है. 

उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि मोदी पिछले महीने 6, मौलाना आजाद मार्ग स्थित उपराष्ट्रपति के आवास पर गए थे और लगभग दो घंटे तक धनखड़ के साथ रहे. इस बैठक का कोई आधिकारिक बयान या तस्वीर जारी नहीं की गई. दूसरी ओर, जब मोदी ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की तो इसका व्यापक प्रचार हुआ और तस्वीरें ट्विटर पर पोस्ट की गईं. लेकिन असामान्य रूप से लंबी मुलाकात के दौरान धनखड़ और मोदी के बीच क्या बात हुई, इसका पता नहीं चल पाया. 

ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर धनखड़ के साथ अपने विचार साझा किए. इस मुलाकात के बाद ही धनखड़ ने 15 दिनों के छोटे से अंतराल में दो विदेश यात्राएं कीं. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में व्यस्त होने के कारण आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए कंबोडिया नहीं जा सके. इसलिए, जगदीप धनखड़ से अनुरोध किया गया. 

धनखड़ ने नोम पेन्ह में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत दुनिया के नेताओं से मुलाकात की. शिखर सम्मेलन में धनखड़ के साथ विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर भी थे. आसियान नेता राष्ट्रपति मुर्मु के शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. धनखड़ को वहां से लौटते ही फीफा विश्व कप के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए दोहा रवाना होना पड़ा. धनखड़ के लिए यह सिर्फ एक शुरुआत हो सकती है क्योंकि प्रधानमंत्री विदेश मामलों में उपराष्ट्रपति की सेवाओं का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहते हैं.

मोदी सरकार में कोई नंबर दो नहीं

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शब्दों को घुमाते नहीं हैं बल्कि सीधी बात करने के लिए जाने जाते हैं. जब किसी ने उनकी मोदी सरकार में नंबर दो होने के लिए तारीफ की तो उन्होंने दो टूक कहा, ‘‘मोदी सरकार में कोई नंबर दो नहीं है. किसी को भी किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए. केवल एक नंबर है और वह हैं पीएम मोदी. हम सब मोदीजी के अधीन काम करते हैं. हम नंबर वन के निर्देशों का पालन करते हैं.’’ 

अमित शाह ने भले ही वस्तुस्थिति बयां की हो, लेकिन इस प्रक्रिया में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी संकेत मिल गया, जिन्हें पदानुक्रम में नंबर दो माना जाता है. तकनीकी रूप से राजनाथ सिंह को नंबर दो माना जाता है क्योंकि वे लोकसभा में प्रधानमंत्री के बगल में बैठते हैं. वरीयता क्रम में भी राजनाथ सिंह सूची में दूसरे नंबर पर हैं. लेकिन अमित शाह को सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए नंबर दो माना जाता है. ऐसा लगता है कि अमित शाह ने राजनीतिक इतिहास से सबक लिया है क्योंकि जिसे भी नंबर दो माना गया, वह कभी नंबर वन नहीं बना, चाहे वह बाबू जगजीवन राम हों, अरुण नेहरू या लालकृष्ण आडवाणी.

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