लाइव न्यूज़ :

पीयूष पांडे का ब्लॉग: प्रण में प्राण प्रतिष्ठा का आधुनिक फार्मूला

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 28, 2019 15:30 IST

बावजूद इसके, नववर्ष प्रण अर्थात् न्यू ईयर रिजोल्यूशन एक परंपरा है, जिसे निभाने के लिए दुनियाभर के करोड़ों लोग इन दिनों चिंतन-मनन कर रहे हैं.

Open in App
ठळक मुद्देन्यू ईयर रिजोल्यूशन खुद ही खुद को दिया वो मेनिफेस्टो होता है, जिसकी चिंता करने की जरूरत नहीं होती. संभव है कि आप प्रण में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित हों.

पीयूष पांडे

एक वक्त था, जब मूंछ के बाल की कीमत होती थी. वचन दे दिया तो दे दिया. वीर बहादुर मूंछ का बाल गिरवी रख साहूकारों से उधार ले आया करते थे. उन दिनों ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ वाली कहावत ट्रेंड में थी. आजकल ‘प्रण जाए भाड़ में किंतु प्राण बचे रहें’ वाली कहावत ट्रेंड में है. 

बावजूद इसके, नववर्ष प्रण अर्थात् न्यू ईयर रिजोल्यूशन एक परंपरा है, जिसे निभाने के लिए दुनियाभर के करोड़ों लोग इन दिनों चिंतन-मनन कर रहे हैं. न्यू ईयर रिजोल्यूशन खुद ही खुद को दिया वो मेनिफेस्टो होता है, जिसकी चिंता करने की जरूरत नहीं होती.

जिस तरह वोटिंग से एक दिन पहले तक पार्टियां मेनिफेस्टो जारी करती हैं, उसी तरह आप भी अपना मेनिफेस्टो रूपी रिजोल्यूशन साल के आखिरी दिन के आखिरी घंटे के आखिरी मिनट तक जारी कर सकते हैं. संभव है कि आप प्रण में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित हों. आप भयभीत हों कि आपका लिया प्रण कहीं फिर झूठा न साबित हो. 

हर साल की तरह इस बार भी आप प्रण पर चंद दिन नहीं टिक पाए तो? तो जनाब, चिंता करने की जरूरत नहीं है. आखिर आप झूठ बोलेंगे भी तो खुद से ही न. लोग घर-द्वार, मंदिर-मस्जिद, सड़क, रैली-गोष्ठी कहीं भी खुलकर झूठ बोल रहे हैं और आप खुद से भी झूठ नहीं बोल सकते. हद है! अभिव्यक्ति की आजादी का फिर क्या मतलब है?आधुनिक संसार में असत्य ही असल सत्य है. 

चूंकि असत्य बोलने का प्रशिक्षण किसी पाठशाला में नहीं दिया जाता इसलिए यह योग्यता मानव स्वयं अर्जित करता है. फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब रूपी आधुनिक शास्त्नों में ज्ञानी बताते हैं कि प्राण बचाने के लिए सौ असत्य भी बोलने पड़ें तो वो ही धर्म है. झूठ बोलना अब न पाप है, और न नदी किनारे सांप है. दरअसल, नदियों में पानी ही नहीं है तो किनारे सांप क्या करेंगे? हालांकि, कभी-कभी सांपों को विधानसभा और संसद के आसपास विचरते देखा जाता है. शायद आसपास जंगल बहुत हैं, इसलिए. 

खैर, यदि आप न्यू ईयर रिजोल्यूशन पर खरे न उतर पाने की चिंता से ग्रस्त हैं तो इस मामले में राजनेताओं से प्रेरणा लीजिए. वादा पूरा न करने के बाद धर्मनिरपेक्ष रहना उनकी खासियत से कुछ सीखिए.

विगत वर्षो में प्रण के साथ हुए हादसों को भूलकर फिर नई राह चलें. सरकारें भी ऐसा ही करती हैं. आप तो एक धांसू सा प्रण लेकर पहले अपने परिजनों को बताएं और फिर उसे फेसबुक-ट्विटर पर गाएं. प्रण को एंजॉय करते हुए इंस्टाग्राम पर तस्वीर पोस्ट करें. प्रण में प्राण प्रतिष्ठा का यही आधुनिक फार्मूला है.

टॅग्स :न्यू ईयर
Open in App

संबंधित खबरें

भारतRepublic Day 2025: 10,000 विशेष अतिथि?, सरपंच, पैरालंपिक दल, हथकरघा कारीगर और वन-वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता को न्योता

भारतRecord Tourist Influx in Goa: गोवा में रिकॉर्ड तोड़ पर्यटकों का पहुंचना जारी, आंकड़ों का हुआ खुलासा; चीन का दावा खारिज

भारतब्लॉग: उपहारों की निरर्थकता को सार्थकता में बदलने की चुनौती

कारोबारNew Year 2025: आखिर क्यों नए साल में पर्यटक गोवा नहीं पहुंचे?, घटती पर्यटन संख्या पर बहस को हवा, देखें वीडियो

भारतअभिलाष खांडेकर ब्लॉग: नये साल के नवसंकल्पों का समय!

भारत अधिक खबरें

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे