पवन के वर्मा का ब्लॉग: पाकिस्तान, चीन के खिलाफ चाणक्य नीति अपनाएं

By पवन के वर्मा | Published: March 25, 2019 09:48 AM2019-03-25T09:48:17+5:302019-03-25T09:48:17+5:30

चीन भी चाणक्य की नीतियों के इस्तेमाल में माहिर है. वह भारत के साथ साम से जुड़ता है लेकिन दंड के इस्तेमाल से भी नहीं चूकता. उसकी इस नीति का उदाहरण यह है कि जब सितंबर 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत की राजकीय यात्र पर थे, उसी समय वहां की सेना लद्दाख के चुमार में घुसपैठ कर रही थी.

pawan K blog: Follow Chanakya policy against Pakistan, China | पवन के वर्मा का ब्लॉग: पाकिस्तान, चीन के खिलाफ चाणक्य नीति अपनाएं

पवन के वर्मा का ब्लॉग: पाकिस्तान, चीन के खिलाफ चाणक्य नीति अपनाएं

हाल ही में दिल्ली में कौटिल्य इंटरनेशनल फाउंडेशन के कार्यक्रम में बोलते हुए मैंने कहा कि सभी राजनयिकों को चाणक्य को जरूर पढ़ना चाहिए. मेरा ऐसा कहना शासन कला पर दुनिया के पहले मूल ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक को श्रद्धांजलि स्वरूप भी था. एक ऐसी किताब, जो 16वीं सदी में मैकियावेली की ‘द प्रिंस’ से करीब डेढ़ सहस्त्रब्दी पूर्व लिखी गई थी. मैं मानता हूं कि चीजें भले ही अब तक काफी कुछ बदल गई हैं, लेकिन ‘अर्थशास्त्र’ में कूटनीति और युद्ध के बारे में जो पाठ हैं वे आश्चर्यजनक रूप से आज भी प्रासंगिक हैं.

पहली चीज, जिस पर चाणक्य जोर देते हैं, वह है उद्देश्य की स्पष्टता.  वर्तमान समय में इस सलाह का भारत के लिए मतलब है कि हम अपनी सीमा पर एक नहीं बल्कि दो-दो देशों -पाकिस्तान और चीन- के साथ स्पष्ट समझ रखें. संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के मामले में चीन के वीटो पर हमारी प्रतिक्रिया को लें. पाकिस्तान और चीन सदाबहार मित्र हैं इसलिए हमारी प्रतिक्रिया तीन स्तरों पर होनी चाहिए थी. पहली, हमें इस बात के लिए अपनी बहुत ऊर्जा ही खर्च नहीं करनी चाहिए थी कि चीन अपना निर्णय बदले. दूसरा, हमें कहना चाहिए था कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को मिटाने के लिए भारत अकेले भी अपनी लड़ाई लड़ने को तैयार है. आखिरकार, लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया ही है लेकिन पाकिस्तान में वह अपनी आतंकी गतिविधियों को खुले तौर पर अंजाम देता है. और तीसरा, चीन द्वारा वीटो का इस्तेमाल करने पर अपनी निराशा जाहिर करने के बजाय हमें वैश्विक आतंकवाद का सहायक होने के लिए चीन की निंदा करने का बयान जारी करना चाहिए था.

चाणक्य ने कहा है कि एक बार उद्देश्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के बाद, इसके लिए चार बुनियादी तरीकों को अपनाया जा सकता है- साम, दाम, दंड और भेद.   इसमें से प्रत्येक तरीके का एक निश्चित उपयोग है. मुङो कभी-कभी लगता है कि पाकिस्तान और चीन ने चाणक्य को हमसे कहीं बेहतर समझा है. पाकिस्तान दंड और साम की नीति का अच्छी तरह से उपयोग करता है जिसे पुलवामा हमले और उसके बाद की घटनाओं में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है. पहले तो उसने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के जरिए सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला कराया और इसके तुरंत बाद वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान जारी करके भारत को बातचीत के लिए आमंत्रित किया.   

चीन भी चाणक्य की नीतियों के इस्तेमाल में माहिर है. वह भारत के साथ साम से जुड़ता है लेकिन दंड के इस्तेमाल से भी नहीं चूकता. उसकी इस नीति का उदाहरण यह है कि जब सितंबर 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत की राजकीय यात्र पर थे, उसी समय वहां की सेना लद्दाख के चुमार में घुसपैठ कर रही थी.

Web Title: pawan K blog: Follow Chanakya policy against Pakistan, China

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