पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: खाने में पहुंचता खेतों का जहर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 6, 2019 03:35 PM2019-12-06T15:35:35+5:302019-12-06T15:35:35+5:30

कीटनाशक जाने-अनजाने में पानी, मिट्टी, हवा, जन-स्वास्थ्य और जैव विविधता को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. इनके अंधाधुंध इस्तेमाल से पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है

Pankaj Chaturvedi's blog: The poison of fields reaches in food | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: खाने में पहुंचता खेतों का जहर

पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: खाने में पहुंचता खेतों का जहर

Highlightsहमारे देश में हर साल कोई दस हजार करोड़ रुपए के कृषि-उत्पाद खेत या भंडार-गृहों में कीट-कीड़ों के कारण नष्ट हो जाते हैंइस बर्बादी से बचने के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा है.

हमारे देश में हर साल कोई दस हजार करोड़ रुपए के कृषि-उत्पाद खेत या भंडार-गृहों में कीट-कीड़ों के कारण नष्ट हो जाते हैं. इस बर्बादी से बचने के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा है. जहां सन 1950 में इसकी खपत 2000 टन थी, आज कोई 90 हजार टन जहरीली दवाएं देश के पर्यावरण में घुल-मिल रही हैं. इसका कोई एक तिहाई हिस्सा विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के अंतर्गत छिड़का जा रहा है. सन 1960-61 में केवल 6.4 लाख हेक्टेयर खेत में कीटनाशकों का छिड़काव होता था.

1988-89 में यह रकबा बढ़ कर 80 लाख हो गया और आज इसके कोई डेढ़ करोड़ हेक्टेयर होने की संभावना है.ये कीटनाशक जाने-अनजाने में पानी, मिट्टी, हवा, जन-स्वास्थ्य और जैव विविधता को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं. इनके अंधाधुंध इस्तेमाल से पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है, सो अनेक कीट व्याधियां फिर से सिर उठा रही हैं. कई कीटों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है. इसका असर खाद्य श्रृंखला पर पड़ रहा है और उनमें दवाओं व रसायनों की मात्र खतरनाक स्तर पर आ गई है. एक बात और, इस्तेमाल की जा रही दवाइयों का महज 10 से 15 फीसदी ही असरकारक होता है, बकाया जहर मिट्टी, भूगर्भ जल, नदी-नालों का हिस्सा बन जाता है.


दिल्ली, मथुरा, आगरा जैसे शहरों में पेयजल सप्लाई के मुख्य स्नेत यमुना नदी के पानी में डीडीटी और बीएसजी की मात्र जानलेवा स्तर पर पहुंच गई है. यहां उपलब्ध शाकाहारी और मांसाहारी दोनों किस्म की खाद्य सामग्री में इन कीटनाशकों की खासी मात्र पाई गई है. औसत भारतीय के दैनिक भोजन में लगभग 0.27 मि.ग्रा. डीडीटी पाई जाती है. दिल्ली के नागरिकों के शरीर में यह मात्र सबसे अधिक है. यहां उपलब्ध गेहूं में 1.6 से 17.4 भाग प्रति दस लाख, चावल में 0.8 से 16.4 भाग प्रति 10 लाख, मूंगफली में 3 से 19.1 भाग प्रति दस लाख मात्र डीडीटी मौजूद है.  महाराष्ट्र में बोतलबंद दूध के 70 नमूनों में डीडीटी और एल्ड्रिन की मात्र 4.8 से 6.3 भाग प्रति दस लाख पाई गई है, जबकि  मान्य मात्र महज 0.66 है.

जनजीवन के लिए खतरा बने हजारों कीटनाशकों पर विकसित देशों ने अपने यहां तो पाबंदी लगा दी है, लेकिन अपने व्यावसायिक हित साधने के लिए इन्हें भारत में उड़ेलना जारी रखा है.

Web Title: Pankaj Chaturvedi's blog: The poison of fields reaches in food

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