पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: सिमटती नदियों में कैसे समाए पानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 2, 2019 02:43 PM2019-08-02T14:43:03+5:302019-08-02T14:43:03+5:30

आज देश की 70 फीसदी नदियां प्रदूषित हैं और मरने के कगार पर हैं. इनमें गुजरात की अमलाखेड़ी, साबरमती और खारी, हरियाणा की मारकंडा, मप्र की खान, उप्र की काली और हिंडन, आंध्र की मुंसी, दिल्ली में यमुना और महाराष्ट्र की भीमा मिलाकर 10 नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं. हालत यह है कि देश की 27 नदियां नदी के मानक में भी रखने लायक नहीं बची हैं.

Pankaj Chaturvedi blog: How to get water in remote rivers | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: सिमटती नदियों में कैसे समाए पानी

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: pixabay)

सावन जो झमक कर बरसा तो जो देश एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहा था, घर-गांव-बस्ती पानी से लबालब होकर त्राहि-त्राहि करने लगे. सभी जानते हैं कि बरसात की ये बूंदें सारे साल के लिए यदि सहेज कर नहीं रखीं तो सूखे-अकाल की संभावना बनी रहती है. हर बूंद को सहेजने के लिए हमारे पास छोटी-बड़ी नदियों का जाल है. तपती धरती के लिए बारिश अकेले पानी की बूंदों से महज ठंडक ही नहीं लेकर आती  है, यह समृद्धि, संपन्नता की दस्तक भी होती है. लेकिन यह भी हमारे लिए चेतावनी है कि यदि बरसात वास्तव में औसत से छह फीसदी ज्यादा हो गई तो हमारी नदियों में इतनी जगह नहीं है कि वह उफान को सहेज पाएं, नतीजतन बाढ़ और तबाही के मंजर उतने ही भयावह हो सकते हैं जितने कि पानी के लिए तड़पते बुंदेलखंड या मराठवाड़ा के. 

सन 2015 की चेन्नई की बाढ़ बानगी है कि किस तरह शहर के बीच से बहने वाली नदियों को जब समाज ने उथला बनाया तो पानी उनके घरों में घुस गया था. राजधानी दिल्ली में यमुना नदी टनों मलबा उड़ेल देने के कारण उथली हो गई है. एनजीटी ने दिल्ली मेट्रो सहित कई महकमों को चेताया भी, इसके बावजूद निर्माण से निकली मिट्टी व मलबे को यमुना नदी में खपाना आम बात हो गई है. इस समय नदियों को सबसे बड़ा खतरा प्रदूषण से है. कल-कारखानों की निकासी, घरों की गंदगी, खेतों में मिलाए जा रहे रासायनिक दवा व खादों का हिस्सा, भूमि कटाव सहित और भी कई ऐसे कारक हैं जो नदी के जल को जहर बना रहे हैं. अनुमान है कि जितने जल का उपयोग किया जाता है, उसके मात्र 20 प्रतिशत की ही खपत होती है, शेष 80 फीसदी सारा कचरा समेटे बाहर आ जाता है. यही अपशिष्ट या मल-जल नदियों का दुश्मन है.   

आज देश की 70 फीसदी नदियां प्रदूषित हैं और मरने के कगार पर हैं. इनमें गुजरात की अमलाखेड़ी, साबरमती और खारी, हरियाणा की मारकंडा, मप्र की खान, उप्र की काली और हिंडन, आंध्र की मुंसी, दिल्ली में यमुना और महाराष्ट्र की भीमा मिलाकर 10 नदियां सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं. हालत यह है कि देश की 27 नदियां नदी के मानक में भी रखने लायक नहीं बची हैं.

Web Title: Pankaj Chaturvedi blog: How to get water in remote rivers

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