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Pakistan-Kashmir terrorists: कायराना हमले कश्मीर में विकास की धारा रोक नहीं सकते 

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: October 23, 2024 18:38 IST

Pakistan-Kashmir terrorists: 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को अपना पूर्वी हिस्सा गंवाना पड़ा जो आज बांग्लादेश के नाम से स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में तेजी से तरक्की कर रहा है.

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर कई दशकों से पाकिस्तान घोषित आतंकवाद का दंश झेल रहा है.पाकिस्तान ने आजादी के बाद भारत पर बार-बार हमले किए और मुंह की खाई. पाकिस्तान आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर कश्मीर को अस्थिर करने का षड्यंत्र रच रहा है.

Pakistan-Kashmir terrorists: अगर पाकिस्तान और उसके इशारों पर हिंसा का तांडव मचाने वाले आतंकवादी यह सोच रहे हैं कि उनकी साजिशों से भारत, विशेषकर कश्मीर में लोकतंत्र, विकास तथा शांति की गाड़ी पटरी से उतर जाएगी तो वे दिवास्वप्न देख रहे हैं. हाल के लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में कश्मीर की जनता ने भारी संख्या में मतदान कर लोकतंत्र, विकास, स्थिरता तथा शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूती से दर्शाकर आतंकवादियों एवं उनके आका पाकिस्तान के मुंह पर जमकर तमाचा मारा है. अब जब जम्मू-कश्मीर में जनता ने लोकतांत्रिक रूप से अपनी सरकार चुन ली है, तो उसे अस्थिर करने की नापाक साजिश में पाकिस्तानपरस्त आतंकवादी जुट गए हैं. लेकिन उनके मंसूबे सफल नहीं होंगे. जम्मू-कश्मीर कई दशकों से पाकिस्तान घोषित आतंकवाद का दंश झेल रहा है.

पाकिस्तान ने आजादी के बाद भारत पर बार-बार हमले किए और मुंह की खाई. यही नहीं 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को अपना पूर्वी हिस्सा गंवाना पड़ा जो आज बांग्लादेश के नाम से स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में तेजी से तरक्की कर रहा है. जब युद्ध से काम नहीं बना तो पाकिस्तान आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर कश्मीर को अस्थिर करने का षड्यंत्र रच रहा है.

जम्मू-कश्मीर में इसी महीने विधानसभा के चुनाव सफलतापूर्वक हुए और मतदाताओं ने बड़ी संख्या में बाहर निकलकर नई सरकार चुनी. नई सरकार ने केंद्र के साथ मिलकर काम करने तथा स्थानीय जनता की आशा-आकांक्षाओं के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ाने का संकल्प किया है.

पाकिस्तान और उसके पालतू आतंकवादी नहीं चाहते कि जम्मू-कश्मीर में खुशहाली आए और नई सरकार चैन से काम कर सके. इसीलिए ये राज्य में हिंसा का तांडव रचने से बाज नहीं आ रहे. चुनाव प्रक्रिया को अस्थिर करने में विफल रहने के बाद अब वे नई सरकार के सामने मुश्किलाें का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं ताकि वह राज्य के विकास पर ध्यान न दे सके.

आतंकवादी दोहरी रणनीति पर काम कर रहे हैं. एक ओर वे भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं तो दूसरी ओर कश्मीरी पंडितों एवं राज्य में काम करने वाले गैरकश्मीरियों के खून से अपने हाथ रंगकर दहशत का माहौल खड़ा करने तथा कश्मीर को देश की मुख्य धारा से अलग-थलग करने की साजिश में जुटे हैं.

रविवार की रात आतंकवादियों ने एक चिकित्सक तथा परप्रांतीय 6 मजदूरों की निर्मम हत्या कर दी. उन्होंने गंदरबल जिले में 6 परप्रांतीय मजदूरों और मरीजों की जान बचाने जैसा ईश्वरीय कार्य करने वाले चिकित्सक शाहनवाज डार के खून से अपने नापाक हाथ रंग लिए. ये मजदूर एक सुरंग परियोजना में कार्यरत थे और अपना काम निपटाकर वापस लौट रहे थे.

उसी वक्त इन निहत्थे मजदूरों पर आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की और उनकी जान ले ली. इन मजदूरों के साथ आपात चिकित्सा के लिए डॉ. डार मौजूद थे. वे कश्मीर की माटी के सपूत थे. जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के सफलतापूर्वक गठन से आतंकवादी चिढ़े हुए हैं. कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव एवं सरकार के गठन से पूरी दुनिया में यह साबित हो गया है कि दहशतगर्दी को कश्मीर की जनता पसंद नहीं करती. उसकी भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में गहरी आस्था है तथा वह अपनी माटी पर पाकिस्तान की किसी भी किस्म की दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेगी.

जम्मू-कश्मीर में जब विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी, तब अंतरराष्ट्रीय दल ने भी राज्य का दौरा कर राज्य में चुनाव के निष्पक्ष तथा स्वतंत्र संचालन की प्रशंसा की थी. इससे पाकिस्तान के इस दावे पर पानी फिर गया कि कश्मीर में जनता के मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा है तथा जनता पर चुनाव जबरन लादे जा रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सफलता से इस बात पर मुहर लग गई कि राज्य में आतंकवाद दम तोड़ रहा है तथा उसे भारतीय जनता का समर्थन हासिल नहीं है. पिछले दस वर्षों में जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ बदला है. वहां आतंकवादी संगठनों के तमाम बड़े नेता मारे जा चुके हैं और सर्वांगीण विकास की धारा तेजी से बहने लगी है.

एक दौर था जब श्रीनगर के लाल चौक में सन्नाटा पसरा रहता था. सिनेमागृह, स्कूल-कॉलेज बंद हो  गए थे और पर्यटन स्थल सूने पड़े रहते थे. आज जम्मू-कश्मीर हर तरह से गुलजार है. वहां स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिन समारोह लाल चौक ही नहीं पूरे राज्य में उल्लास के साथ मनाए जाते हैं. स्कूल-कॉलेज, छविगृह सामान्य रूप से चल रहे हैं. पर्यटनस्थल पर्यटकों से आबाद हो रहे हैं.

साथ ही विकास योजनाएं सफलतापूर्वक लागू की जा रही हैं. रविवार को आतंकवादियों का कायराना हमला जम्मू-कश्मीर की जनता के लोकतंत्र, विकास तथा शांति के प्रति गहरी आस्था को डिगा नहीं सकता. अभी उसने अपने वोट से आतंकवाद तथा पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है. जरूरत पड़ने पर यह अपने देश के लिए शत्रु को दूसरे तरीकों से भी जवाब देने में नहीं हिचकिचाएगी.  

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