Pahalgam Attack: निर्दोषों की जान ली, तै की दर्द न आया...?, पति को गोलियां मार दीं और हंस रहे हो, फोटो खींच रहे हो!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 28, 2025 03:11 IST2025-04-28T03:11:20+5:302025-04-28T03:11:20+5:30
Pahalgam Attack: नई ब्याहता के सामने जिसकी मेहंदी का रंग नहीं सूखा, लाल चूड़ा पहना है, उसके सामने उसके पति को गोलियां मार दीं और हंस रहे हो, फोटो खींच रहे हो!

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किरण चोपड़ा
मुझे आज फिर वह मंजर याद आ गया जब अमर शहीद रमेश जी ने लिखा था कि जब बुजुर्ग निहत्थे लालाजी को आतंकवादियों ने गोली मारी थी और बसों से हिंदुओं को चुन-चुन कर हत्या कर रहे थे कि तै की दर्द न आया? आज फिर दिल रो रहा है और इतना गुस्सा है कि एक-एक कश्मीरी आतंकवादी से पूछें कि तै की दर्द न आया? जब तुम किसी के पति को उसकी पत्नी के सामने, पिता को उसके बच्चों के सामने, उस नई ब्याहता के सामने जिसकी मेहंदी का रंग नहीं सूखा, लाल चूड़ा पहना है, उसके सामने उसके पति को गोलियां मार दीं और हंस रहे हो, फोटो खींच रहे हो!
तुम इंसान नहीं, हैवान हो जो चंद पैसों की खातिर इंसानियत का खून कर दिया. तुम हैवानों ने मासूम निहत्थे लोगों का कत्ल तो किया ही, कश्मीरियों की रोजी-रोटी भी छीन ली. कुछ महीने पहले मैं भी कश्मीर जाकर आई. भारत की जन्नत, जिसे गवर्नर मनोज सिन्हा और मोदीजी ने आर्मी और स्थानीय लोगों के सहयोग से सींच-सींच कर शांति बहाल की, खुशहाली दी.
स्थानीय लोग पर्यटकों के आने से खुश थे. नए-नए बिजनेस खुल रहे थे. युवाओं को रोजगार मिल रहा था. 90 के दशक में बंद हुए सिनेमा हाल खुल गए. पिछले साल 2.35 करोड़ टूरिस्ट जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पहुंचे. इससे यह तो समझ आता है कि स्थानीय लोग नहीं, पाकिस्तान या दूर बैठे लोग फैसला ले रहे हैं,
योजना बनाते हैं और आतंक के आका आतंकवादियों को उनकी दिल दहला देने वाली परफार्मेंस पर पैसे देते होंगे, जो ऐसी दिल दहला देने वाली घटना घटी. जिस पहलगाम घाटी में चारों तरफ से पहाड़ों की तलहटी में सुंदर कुदरती नजारे हों, वहां छुट्टियां मनाने गए देशभर के 26 लोगों से खून की होली खेली जाए तो इसे क्या कहेंगे?
सब जानते हैं कि कश्मीर घाटी में चार दिन पहले जो आतंकवादी हमला हुआ वह देश के लिए एक ऐसा मंजर है कि हर कोई गुस्से में है और आतंकियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग पूरे देश और दुनिया से उठ रही है. जो 26 लोग आतंकियों द्वारा मारे गए, उनके परिजनों का एक ही सवाल है कि हमारे रिश्तेदार को तो मार दिया लेकिन हमें भी जीते जी मार डाला है.
कहीं बच्चे पिता को, तो कहीं पत्नी अपने सुहाग, कहीं बेटी अपने पिता को आंसुओं से अंतिम विदाई दे रहे हैं. यह राष्ट्रीय शोक है. मां-बेटी व बहन विधवा हो गई. बच्चे अनाथ हो गए, इन हत्यारों को जमीन में दफनाने की मांग पूरा देश कर रहा है. मेरा कश्मीर से बहुत स्नेह है. ढेरों बार वहां गई और उसका एक-एक पल याद आता है. यह हादसा फिर किसी के साथ न हो. मोदीजी से पूरे देश को उम्मीदें हैं.