Pahalgam Attack: खून खौल रहा है, बस अब और नहीं...! अबकी बार...आरपार होना चाहिए!
By विजय दर्डा | Updated: April 28, 2025 03:13 IST2025-04-28T03:13:00+5:302025-04-28T03:13:00+5:30
Pahalgam Attack: कश्मीरियों की जिंदगी में बदलाव होने लगा था. पिछले साल 2 करोड़ 35 लाख पर्यटकों के आंकड़े को देख कर वह निश्चित रूप से जल उठे होंगे.

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Pahalgam Attack: विषम परिस्थितियों में भी मैं अमूमन शांत रहता हूं और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विवेक से काम लेता हूं. लेकिन कश्मीर घाटी में पाकिस्तानी नरपिशाचों ने जो खूनी कृत्य किया है उसने खून खौला दिया है और अपनी सरकार को यही पैगाम दे रहा हूं कि बस अब और नहीं...! अबकी बार...आरपार होना चाहिए! इस बार के गुनहगार सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष जनरल सैयद आसिम मुनीर हैं जिन्होंने पिछले दिनों ही जहर उगला था. जहर न केवल उनकी जुबान में है बल्कि उनके खून में समाया हुआ है क्योंकि उनकी शुरुआती तालीम ही रावलपिंडी में ऐसे वातावरण में हुई, जहां उनके जेहन में जहर भर दिया गया. वह कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के डायरेक्टर भी रहे हैं इसलिए षड्यंत्र उनकी रगों में है.
उन्हें यह बात पच नहीं रही थी कि कश्मीर अमन की राह पर है और वहां पूरी दुनिया से पर्यटक पहुंच रहे हैं. कश्मीरियों की जिंदगी में बदलाव होने लगा था. पिछले साल 2 करोड़ 35 लाख पर्यटकों के आंकड़े को देख कर वह निश्चित रूप से जल उठे होंगे. लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहे थे क्योंकि देश के भीतर कई समस्याएं उनके सामने थीं. उन्हें इमरान खान को ठिकाने लगाना था जो उन्होंने कर दिया.
फिर इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन में इमरान समर्थकों के बीच भारत के खिलाफ अपनी नफरत का इजहार किया और कहा कि ‘हम हर आयाम में हिंदुओं से अलग हैं. हमारा मजहब, रिवाज, परंपरा, सोच और मकसद सब अलग हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर को पाकिस्तान कभी अकेला नहीं छोड़ेगा.
भारत और हिंदुओं का जिक्र इसलिए किया गया क्योंकि मुनीर के पास कोई मुद्दा था भी नहीं! जिस देश को अपनी ही सेना और आईएसआई ने आतंकवाद की फैक्टरी बना कर तबाह कर दिया हो, जिस देश में आटे के लिए लंबी कतारें लग रही हों वहां असंतोष को दबाने के लिए मजहब और कश्मीर से ज्यादा कारगर हथियार और हो भी क्या सकता था?
मि. मुनीर, एक सवाल पूछना चाहता हूं कि आप किस कौम की बात कर रहे हो? 1971 में पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जिनका नरसंहार किया और जिनके साथ बलात्कार किया, वो भी तो आपकी ही कौम के थे! आपकी सेना पाकिस्तान में दशकों से बसे जिन 10 लाख अफगानियों को मुल्क से भगा रही है, वे भी तो आपकी ही कौम के हैं!
आप जिस तरह से दुनिया भर में आतंकवाद एक्सपोर्ट कर रहे हो, मजहब इसकी इजाजत नहीं देता. वो आप जैसे लोग ही हैं जिन्होंने हाफिज सईद और उस जैसे न जाने कितने आतंकवादियों को पाला. वैसे आप खुद भी इसका खामियाजा भुगतते रहे हैं. इसीलिए तो हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि सांप पालोगे तो सांप आपको भी डसेगा! लेकिन हम उस सांप से डरने वाले नहीं है.
हम सांप मारना भी जानते हैं और जहर उतारना भी जानते हैं. और ये जो बात आपने की है ना कि दुनिया की कोई भी ताकत कश्मीर को पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकती, आपका भ्रम है. कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा. भारत की भलमनसाहत के कारण जो हिस्सा आपके कब्जे में है, वहां के लोग ही विद्रोह कर रहे हैं. विद्रोह को कब तक कुचलोगे मि. मुनीर?
किसी ताकत की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. वो हिस्सा भी हमारे पास आ जाएगा. इसीलिए तो हमने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आपके कब्जे वाले कश्मीर के लिए 24 सीटें आरक्षित रखी हैं. मि. मुनीर, बलूचिस्तान में जिस तरह का कत्लेआम आपकी सेना ने मचाया हुआ है ना, बांग्लादेश की तरह वह भी जुदा हो जाएगा.
आप जो ये कह रहे हो कि भारत की 13 लाख सेना पाकिस्तान को नहीं डरा सकी तो बलूच क्या डरा लेंगे, आपकी याददाश्त की कमजोरी को दर्शाता है. चलिए, मैं याद दिलाता हूं. वो 16 दिसंबर 1971 की तारीख थी और समय था शाम 4.31 बजे, जब पाकिस्तान के तत्कालीन सेना अध्यक्ष आमिर अब्दुल्ला नियाजी ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ ढाका में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने घुटने टेके थे. कारगिल तो याद है न? या वो भी भूल गए? और हम जानते हैं कि कश्मीर घाटी में तुम्हारे भाड़े के आतंकियों ने नाम पूछकर और पैंट खुलवा कर जो हत्याएं की हैं ना, उनका मकसद भारत के भीतर नफरती आग को सुलगाना है लेकिन याद रखो कि हम समझदार और संयमी लोग हैं. हम मंदिर में पूजा करते हैं तो मजार पर चादर भी चढ़ाते हैं.
आपके जैसी तंग सोच नहीं है हमारी! नापाक हरकत कभी सफल नहीं होगी. आपने सुना ही होगा कि सईद आदिल हुसैन शाह नाम का एक युवा सीना तान कर आतंकवादियों के सामने खड़ा हो गया कि पर्यटकों को मत मारो, ये मेहमान हैं हमारे. पहलगाम की घटना के विरोध में पूरा कश्मीर आंदोलित है. वहां के अखबारों ने काली स्याही पोत कर अपने गम और गुस्से का इजहार किया है. तुम कौम की बात करते हो और हालात ऐसे बना देना चाहते हो कि पर्यटन के अभाव में कश्मीरी भूखे मर जाएं?
पाकिस्तानी हरकतों के खिलाफ अभी तो हमने बस सिंधु नदी का पानी बंद करने, वाघा बॉर्डर बंद करने और वीजा बंद करने की बात की है. हमें दुश्मनों को औकात दिखाना आता है मि. मुनीर. उन गरीब पाकिस्तानियों के बारे में जरूर सोचना जो इलाज के लिए भारत आया करते थे लेकिन अब नहीं आ पाएंगे. इसके जिम्मेदार भी आप ही हो मि. मुनीर! और हां, हम भारतीय गीदड़भभकियों से नहीं डरते. हम गर्व से कहते हैं...
जय हिंद!
जय जवान!