रहीस सिंह का ब्लॉगः अपनी ही किरकिरी करा रही सरकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 17, 2018 07:21 AM2018-12-17T07:21:07+5:302018-12-17T07:21:07+5:30
कभी-कभी किसी एक बात को छुपाना बेहद गंभीर चुनौती बन जाता है फिर वह बात एक बड़े झूठ से संबंधित हो या सच से.
(लेखक-रहीस सिंह)
कभी-कभी किसी एक बात को छुपाना बेहद गंभीर चुनौती बन जाता है फिर वह बात एक बड़े झूठ से संबंधित हो या सच से. इस समय मोदी सरकार की राफेल मामले में कुछ ऐसी ही हालत दिख रही है. समझ में नहीं आता यदि सब कुछ सही है, सरकार ने कहीं कुछ भी गलत नहीं किया है तो उसने सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी क्यों दी जिसके आधार पर 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया.
यह भी समझ में नहीं आता कि आखिर सरकार ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के गठन से इतना क्यों डरती है. पता नहीं क्यों सरकार के लोग और उसके सलाहकार यह भूल रहे हैं कि उसका यही डर उसे कठघरे में निरंतर खड़ा कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के फाउंडेशनल स्टेटमेंट और फाइनल स्टेट को देखकर तो कुछ नए सवाल भी खड़े हो गए हैं.
14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे को लेकर दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं. इसे केंद्र सरकार ने अपने लिए क्लीन चिट मान लिया और प्रेस कांफ्रेंस कर कांग्रेस व राहुल गांधी को झूठ बोलने के लिए देश से माफी मांगने को कहा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कुछ याचिकाकर्ताओं ने फैसले के उस हिस्से पर सवाल उठा दिए जिसमें सीएजी की रिपोर्ट और पीएसी का उल्लेख किया गया था. पीएसी के चेयरमैन मल्लिकाजरुन खड़गे ने भी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उन्होंने ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं देखी और न ही यह संसद में पेश की गई.
उन्होंने यह भी कहा कि इसके बारे में सीएजी को भी नहीं पता है क्योंकि उन्होंने डिप्टी सीएजी को बुलाकर पूछा था लेकिन उन्हें भी इसके बारे में नहीं पता है. इसका मतलब यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला सरकार द्वारा दी गई गलत जानकारी पर आधारित है. अब सरकार ने खुद के बचाव के लिए एक हलफनामा दायर किया है जिसमें राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में एक ‘तथ्यात्मक’ संशोधन की अपील की गई है. सरकार ने उस पैराग्राफ में संशोधन का अनुरोध किया है, जिसमें सरकार की ओर से कोर्ट को दी गई जानकारी को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि राफेल विमानों की कीमत के ब्यौरे सीएजी को सौंप दिए गए हैं और उसकी पीएसी ने भी जांच की है.
ध्यान रहे कि कुछ समय पहले साठ पूर्व नौकरशाहों ने सीएजी को पत्र लिखकर चिंता जताई थी कि नोटबंदी और राफेल पर ऑडिट रिपोर्ट्स देने में जानबूझकर देरी की जा रही है ताकि 2019 चुनावों से पहले एनडीए सरकार को शर्मिदगी से बचाया जा सके. इन पूर्व नौकरशाहों ने यह मांग भी की थी कि इन दोनों अहम मुद्दों पर ऑडिट रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में पेश की जाए. लेकिन अब तक सीएजी रिपोर्ट पेश नहीं की गई.
(रहीस सिंह वरिष्ठ स्तंभकार हैं)