शशांक द्विवेदी का ब्लॉग : ज्ञान को व्यावहारिक बनाने का समय

By शशांक द्विवेदी | Published: September 15, 2021 01:29 PM2021-09-15T13:29:19+5:302021-09-15T16:07:14+5:30

कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में कई तरह के बदलाव एक साथ देखने को मिल रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव शिक्षा, चिकित्सा और टेक्नोलॉजी को लेकर होने वाला है. कोविड की वजह से भारत सहित पूरी दुनिया में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है.

need to change the system and way to gain new skill and education in covid19 pandemic | शशांक द्विवेदी का ब्लॉग : ज्ञान को व्यावहारिक बनाने का समय

फोटो - मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया

Highlightsअब इंजीनियरर्स में स्किल की कमी देखने को मिल रही 85 प्रतिशत इंजीनियरर्स और डिप्लोमाधारी रोजगार के लिए प्रशिक्षित नहीं है भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती को 15 सितंबर को देश में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है

 पिछले साल मार्च 2020 के बाद से दुनिया ने कोरोना के साथ रहना सीख लिया है, लेकिन इस दौरान दुनियाभर में बड़े बदलाव देखने को मिले. जीवन से जुड़े लगभग हर क्षेत्न में शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परिवर्तन हुए. कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में कई तरह के बदलाव एक साथ देखने को मिल रहे हैं. सबसे बड़ा बदलाव शिक्षा, चिकित्सा और टेक्नोलॉजी को लेकर होने वाला है. कोविड की वजह से भारत सहित पूरी दुनिया में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है. लाखों लोग नौकरियों से निकाल दिए गए हैं. ऐसे समय में स्किल और तकनीक से ही लोग अपना खोया हुआ आत्मविश्वास और रोजगार हासिल कर सकते हैं. कोविड के बाद बहुत सारे क्षेत्नों में परंपरागत तरीके से चीजें अब नहीं चलेंगी, उनमें तकनीकी बदलाव जरूर होगा, ऐसे में आपको इस फ्रंट पर खुद को अपडेट करना होगा.

हालांकि पूरी दुनिया में अभी भी कोरोना का कहर जारी है लेकिन लगता है अब लोगों ने कोरोना के साथ रहना सीख लिया है या ये कहें कि दुनिया को कोरोना के साथ रहना पड़ेगा. आज के समय में तकनीक हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है. मोबाइल, इंटरनेट, ई-मेल, वीडियो कॉलिंग जैसी तकनीक ने हमारी जिंदगी को काफी सुविधाजनक और हाईटेक बना दिया है. हर कदम पर आधुनिक यंत्नों और तकनीक की आवश्यकता पड़ती है. यह सब संभव हो पाया है इंजीनियरिंग की बदौलत. आज देश में बड़ी संख्या में इंजीनियर पढ़-लिखकर निकल तो रहे हैं लेकिन उनमे ‘स्किल’ की बड़ी कमी है, इसी वजह से लाखों इंजीनियर हर साल बेरोजगारी का दंश ङोल रहे हैं. इंडस्ट्री की जरूरत के हिसाब से उन्हें काम नहीं आता. हालत यह है कि सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग जैसे कोर सेक्टर के लगभग 85 प्रतिशत इंजीनियर और डिप्लोमाधारी रोजगार के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं.

देश में इंजीनियरिंग को नई सोच और दिशा देने वाले महान इंजीनियर भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती को 15 सितंबर को देश में इंजीनियर्स डे या अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है. मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया अपने समय के सबसे प्रतिभाशाली इंजीनियर थे जिन्होंने बांध और सिंचाई व्यवस्था के लिए नए तरीकों का ईजाद किया. 

आज देश को विश्वेश्वरैया जैसे इंजीनियरों की जरूरत है जो देश को एक नई दिशा दिखा सकें क्योंकि आज के आधुनिक विश्व में विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के क्रमबद्ध विकास के बिना विकसित राष्ट्र का सपना सच नहीं किया जा सकता.

Web Title: need to change the system and way to gain new skill and education in covid19 pandemic

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