ब्लॉग: स्थानीय लोगों को भरोसे में लेने से खत्म होगा नक्सलवाद
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 8, 2025 06:37 AM2025-01-08T06:37:54+5:302025-01-08T06:38:49+5:30
इसमें कोई शक नहीं कि नक्सलियों के खिलाफ सेना के अभियानों में वृद्धि हुई है, सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं

ब्लॉग: स्थानीय लोगों को भरोसे में लेने से खत्म होगा नक्सलवाद
बीजापुर में बड़ी वारदात को अंजाम देकर नक्सलियों ने सरकार द्वारा नक्सलवाद को शीघ्र ही पूरी तरह से खत्म करने के ऐलान को चुनौती दे दी है. छत्तीसगढ़ के नक्सलप्रभावित बीजापुर जिले के अम्बोली गांव के करीब नक्सलियों द्वारा बारूदी सुरंग में किया गया विस्फोट इतना भयानक था कि वाहन के परखच्चे उड़ गए और आठ जवानों समेत नौ लोगों की जान चली गई. करीब पौने दो साल बाद नक्सलियों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया है.
इसके पहले 26 अप्रैल 2023 को दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षाकर्मियों को ले जा रहे वाहनों के काफिले में शामिल एक ‘मल्टी यूटिलिटी व्हीकल’ (एमयूवी) को नक्सलियों ने बम से उड़ा दिया था, जिससे 10 पुलिसकर्मियों और एक चालक की मौत हो गई थी. उसके बाद नक्सलियों पर सुरक्षाबल लगातार भारी पड़ रहे थे और बीते एक साल में दो सौ से ज्यादा नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है.
इस दौरान नक्सलियों ने हालांकि सुरक्षा बलों को कई बार निशाना बनाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुए. छिटपुट मुठभेड़ों में कुछ जवान शहीद हुए लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश से नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य रखा है और प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ आक्रामक अभियान चला रही है. लेकिन गत सोमवार को बड़ी घटना को अंजाम देकर नक्सलियों ने साबित कर दिया है कि उनका खात्मा करना इतना आसान नहीं है.
इसमें कोई शक नहीं कि बस्तर में चल रहे नक्सल उन्मूलन अभियान से नक्सलियों के सामने अपने अस्तित्व का संकट आ खड़ा हुआ है और इसीलिए वे पूरी ताकत से सुरक्षा बलों पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अगर हमने उनका खात्मा करने का बीड़ा उठाया है तो उनके पलटवार करने का अहसास तो पहले से ही होना चाहिए और उसके हिसाब से सुरक्षा की हमारी पूरी तैयारी होनी चाहिए. हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि देश में नक्सलियों का दायरा लगातार सिमटता गया है.
मई 2005 से अप्रैल 2014 के बीच जहां देश भर में 14862 नक्सली वारदातें हुई थीं, वहीं मई 2014 से अप्रैल 2023 के बीच इनकी संख्या घटकर 7128 रह गई, अर्थात 52 प्रतिशत की गिरावट आई. वर्ष 2013 तक दस राज्यों के 126 जिलों में नक्सलवाद व्याप्त था, जबकि अप्रैल 2024 तक नौ राज्यों के 38 जिलों में ही नक्सली बचे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 15 जिले छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित हैं. इसमें कोई शक नहीं कि नक्सलियों के खिलाफ सेना के अभियानों में वृद्धि हुई है, सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, प्रभावित इलाकों में जवानों के कैंप की संख्या बढ़ाई गई है, लेकिन यह भी सच है कि छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में नक्सलियों का नेटवर्क अभी भी बहुत मजबूत है और उन्हें सेना से जुड़ी जानकारियां आसानी से मिल जाती हैं.
हमें अपने खुफिया तंत्र को इतना मजबूत करना होगा कि नक्सलियों को सेना से जुड़ी जानकारियां न मिलें बल्कि सेना को नक्सलियों के बारे में जानकारी मिले. अभी भी नक्सलियों ने कई ऐसी जगहों पर आईईडी प्लांट कर रखे हैं जिनकी जानकारी सेना के पास नहीं है. इसलिए नक्सलियों का अगर खात्मा करना है तो प्रभावित इलाकों के स्थानीय नागरिकों को विश्वास में लेना होगा और उनके सहारे नक्सलियों की कमर तोड़नी होगी.