लाइव न्यूज़ :

नरेंद्रकौर छाबड़ा का ब्लॉग: परमात्मा का वरदान है पवित्र प्रेम

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: February 14, 2020 09:16 IST

अगर इस दिन को केवल प्रेम के रूप में देखें, इस पर विचार करें तो हम पाएंगे कि प्रेम में अनेक शक्तियां हैं. प्रेम एक सुगंध है जो मन को प्रसन्न रखती है. प्रेम एक मिठास है जिसका जितना स्वाद लो वह बढ़ता ही जाता है. प्रेम इंद्रधनुष है जो संसार के प्राणियों के गुणों को बहुरंगी करके देखता है. प्रेम एक पूजा है जो परमात्मा के करीब लाता है.

Open in App

प्रेम का प्रतीक वैलेंटाइन दिवस विश्व भर में 14 फरवरी के दिन बड़े उत्साह से मनाया जाता है. एक दंतकथा के अनुसार रोम के पादरी संत वैलेंटाइन ने रोमन सम्राट क्लॉडियस के एक कानून को मानने से इंकार कर दिया था, जिसके अनुसार जवान सिपाहियों को शादी न करने का हुक्म दिया गया था. उसका विश्वास रहा होगा शादीशुदा लड़के अच्छे सिपाही नहीं होते क्योंकि उन्हें घर-परिवार की चिंता लगी रहती है.

पादरी वैलेंटाइन चुपके से जवानों की शादियां करवाते थे. जब सम्राट को इसका पता चला तो उसने वैलेंटाइन को जेल में डाल दिया. मारे जाने से एक शाम पहले उन्होंने उस युवती के नाम पत्र लिखा जिसे उनकी प्रेमिका माना जाता है. वह जेलर की पुत्री थी जिसे उन्होंने ठीक किया था, फिर उनमें मित्रता हो गई. पत्र के अंत में लिखा- तुम्हारे वैलेंटाइन के द्वारा. इस प्रकार इस दिन को प्रेम और प्रेमियों के दिवस के रूप में मनाने की प्रथा आरंभ हो गई.

अगर इस दिन को केवल प्रेम के रूप में देखें, इस पर विचार करें तो हम पाएंगे कि प्रेम में अनेक शक्तियां हैं. प्रेम एक सुगंध है जो मन को प्रसन्न रखती है. प्रेम एक मिठास है जिसका जितना स्वाद लो वह बढ़ता ही जाता है. प्रेम इंद्रधनुष है जो संसार के प्राणियों के गुणों को बहुरंगी करके देखता है. प्रेम एक पूजा है जो परमात्मा के करीब लाता है.

समय बदलने के साथ इसका स्वरूप भी बदलने लगा है. आज के भौतिकवादी युग में प्रेम का बाजारीकरण हो गया है.  वास्तविकता तो यह है कि प्रेम प्रदर्शन की चीज ही नहीं, यह तो मनुष्य को परमात्मा द्वारा दिया बहुत खूबसूरत उपहार है, जो उसके अंतर्मन में बसता है. इस निर्मल प्रेम को जब वह अपने परिवारजनों, मित्रों, संबंधियों आदि में प्रेमपूर्ण व्यवहार के रूप में बांटता है तो उसे आंतरिक प्रसन्नता, आनंद प्राप्त होते हैं.

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि आज प्रेम के नाम पर अपराध भी होने लगे हैं. अगर एकतरफा प्रेम करने वाले के इजहार को तथाकथित प्रेमिका ठुकरा दे तो वह उसकी हत्या तक करने से नहीं हिचकता, क्या यह प्यार है? सच्चे प्रेम में पवित्रता होती है. पवित्रता का अर्थ है बिना किसी शर्त या चाहत के प्रेम करना.  

कई लोग प्रेम पाकर नहीं, बल्कि देकर खुश होते हैं. कई ऐसे भी हैं जिन्हें कभी किसी का प्यार नहीं मिला, परंतु वे अपने बच्चों को, साथियों को, मित्रों को, वृद्धजनों को प्रेम देकर आनंद और खुशी महसूस करते हैं. प्रेम पाने में जो अनुभव है उससे अधिक सुखद अनुभव प्रेम देने में है. सच्चे प्रेम की कोई हद नहीं होती. यह सकारात्मकता की चरम सीमा है.

सच्चा प्रेम अपने को समर्पित करता है. जब दिया जलता है तो यह नहीं देखता किसे प्रकाश देना है, जब फूल खिलता है तो यह नहीं देखता किसको महक देनी है. उसी प्रकार जब प्रेम सच्चा होता है तो यह नहीं देखता किसे प्रेम करना है और किसे नहीं. प्रेम तो है ही प्रेम, तब जब वह सर्व के प्रति हो.

टॅग्स :वैलेंटाइन डेलोकमत हिंदी समाचार
Open in App

संबंधित खबरें

भारतसच्चा सुख परिश्रम की कोख से ही जन्मता है

भारतजीवन की लंबाई और गुणवत्ता का सवाल, सृजन की चाह न हो तो जीवन का लक्ष्य अधूरा रह जाएगा

भारतSur Jyotsna National Music Award 2025: विजय दर्डा ने संगीत को बताया पूरी तरह से विज्ञान

भारतSur Jyotsna National Music Award 2025: 'जीवन में अगर रस नहीं तो जीवन निरर्थक है...', सुर ज्योत्सना अवॉर्ड में बोलीं सोनल मानसिंह

भारतBook 'THE CHURN' Launch Event: डॉ. विजय दर्डा की किताब 'द चर्न' का हुआ विमोचन, जानें किताब के बारे में क्या बोले विजय दर्डा

भारत अधिक खबरें

भारतAadhaar Biometric Lock: स्कैमर्स कभी नहीं कर पाएंगे आधार कार्ड का मिस यूज, मिनटों में लॉक करें अपना आधार

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

भारतIndiGo Crisis: DGCA ने इंडिगो को भेजा नोटिस, प्लाइट्स कैंसिल का मांगा जवाब

भारतGoa Club fire: नाइट क्लब के ऑनर और मैनेजर के खिलाफ FIR दर्ज, अग्निकांड हादसे की जांच में जुटी पुलिस