शोभना जैन का ब्लॉगः मोदी के मालदीव दौरे के मायने
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 9, 2018 05:53 AM2018-11-09T05:53:09+5:302018-11-09T05:53:09+5:30
मोदी की इस संभावित यात्ना को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए खासा अहम माना जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्नी बनने के बाद नेबरहुड फस्र्ट नीति के तहत मालदीव को छोड़ कर मोदी सभी पड़ोसी देशों की यात्ना कर चुके हैं।
शोभना जैन
लंबे समय तक राजनैतिक अस्थिरता ङोल चुके मालदीव में नई सरकार आने के बाद वहां राजनैतिक स्थिरता फिर से आने की उम्मीद है। साथ ही पिछले दौर में भारत से छिटक कर दूर हो गए भारत-मालदीव संबंधों के फिर से पटरी पर आने की उम्मीद भी बंधी है। ऐसे में अब संकेत हैं कि प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के आगामी 17 नवंबर को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने माले जा सकते हैं।
मोदी की इस संभावित यात्ना को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए खासा अहम माना जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्नी बनने के बाद नेबरहुड फस्र्ट नीति के तहत मालदीव को छोड़ कर मोदी सभी पड़ोसी देशों की यात्ना कर चुके हैं। निश्चय ही इस पड़ाव पर प्रधानमंत्नी की मालदीव यात्ना इस बात का संदेश देगी कि भारत वहां लोकतांत्रिक सरकार के नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के साथ संबंधों को दोबारा मजबूत करना चाहता है।
यह सर्वविदित है कि भारत से दूरियां बनाकर मालदीव की पिछली यामीन सरकार ने चीन से नजदीकियां बढ़ाईं और चीन ने इस मौके का फायदा उठा कर भारी निवेश की आड़ में वहां अपना दबदबा बनाया। चीन, यह सब एक सोची समझी नीति के तहत कर इस क्षेत्न में अपना प्रभाव क्षेत्न बढ़ा रहा है। मालदीव की पिछली सरकार ने चीन के प्रभाव में आकर ही भारत से संबंधों को अहमियत नहीं दी। वहां अब ऐसी सरकार निर्वाचित हुई है जो भारत को मित्न मानती है और उसके साथ द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने की पक्षधर रही है तथा इसका दोनों देशों के संबंधों में सकारात्मक दूरगामी असर पड़ने की उम्मीद है।
मालदीव में जारी राजनीतिक अस्थिरता का हिंद महासागर क्षेत्न और विशेषकर भारत पर प्रभाव पड़ता है, पड़ोस में लोकतांत्रिक व्यवस्था का होना क्षेत्न की शांति, सुरक्षा के लिए अहम है। पड़ोसी मालदीव सामरिक दृष्टिकोण व भारत प्रशांत नीतियों की दृष्टि से भारत के लिए खासा महत्वपूर्ण है।
बदले हुए हालात में द्विपक्षीय संबंधों को गति देने के लिए डिप्लोमेसी जोर पकड़ रही है। भारत ने इसी हफ्ते मालदीव को इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन में शामिल कराने के लिए मदद की। यह बैठक दक्षिण अफ्रीका में हुई थी। एक वरिष्ठ राजनयिक के अनुसार अगला कदम भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच इंडियन ओशन त्रिपक्षीय मंच को दोबारा शुरू करने का हो सकता है।
दरअसल, यह इलाका भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब चीन यहां अपना प्रभाव बढ़ाने में जुटा है। इसी प्रभाव के चलते यामीन सरकार ने भारत की अनेक निजी/सरकारी परियोजनाएं या तो रद्द कर दीं या उन्हें लटका दिया गया। ऐसे में भारत अपने पुराने मित्न के साथ द्विपक्षीय सहयोग की अपनी ऐसी सभी परियोजनाओं को शुरू करना चाहता है जिन्हें यामीन ने रोक दिया था। इसमें आधारभूत क्षेत्न की अनेक परियोजनाएं हैं जिनकी मालदीव को बहुत जरूरत थी और जिन्हें चीन ने हथिया लिया। इनमें सरकारी परियोजनाएं ही नहीं अपितु भारत के निजी क्षेत्न द्वारा किए जा रहे काम भी शामिल हैं।