कोरोना: सकारात्मक रखें दृष्टिकोण, पढ़ें नरेंद्र कौर छाबड़ा का ब्लॉग
By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Published: April 3, 2020 09:31 AM2020-04-03T09:31:51+5:302020-04-03T09:31:51+5:30
बेशक कोरोना ने संसार भर को हिलाकर रख दिया है, फिर भी इन विकट परिस्थितियों में स्वयं को स्थिर, सहज और तनावमुक्त रखने की कोशिश जारी रखी जा सकती हैं, जिसका स्नेत है सकारात्मक सोच तथा आध्यात्मिकता. हमारे देश की संस्कृति में तो आध्यात्मिकता कूट-कूट कर समाई हुई है. इस कठिन समय में हम उसे आचरण में लाकर सहज रह सकते हैं. इसके लिए अपनी सोच को भी सकारात्मक करना होगा.
कोरोना वायरस का प्रकोप विश्व भर में जारी है. हर ओर भय और तनाव छाया हुआ है. महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इसकी चपेट में विकसित देश भी आए हुए हैं. लगभग हर देश में लॉकडाउन की स्थिति है और इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए यह सबसे जरूरी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर संभव उपाय कर रहे हैं इस आपदा से निबटने के लिए, लेकिन सहयोग तो जनता को ही देना होगा. अगर अघोषित कर्फ्यू जैसी स्थिति में रहने के लिए कहा गया है तो हमें इसे गंभीरता से लेना होगा. कई देशों ने आरंभ में इस बीमारी को सहजता से लिया और अब इसके भयंकर परिणाम भुगत रहे हैं.
बेशक कोरोना ने संसार भर को हिलाकर रख दिया है, फिर भी इन विकट परिस्थितियों में स्वयं को स्थिर, सहज और तनावमुक्त रखने की कोशिश जारी रखी जा सकती हैं, जिसका स्नेत है सकारात्मक सोच तथा आध्यात्मिकता. हमारे देश की संस्कृति में तो आध्यात्मिकता कूट-कूट कर समाई हुई है. इस कठिन समय में हम उसे आचरण में लाकर सहज रह सकते हैं. इसके लिए अपनी सोच को भी सकारात्मक करना होगा.
संसार भर में लॉकडाउन के कारण जल, थल, नभ का यातायात लगभग बंद है, फलस्वरूप प्रकृति से प्रदूषण कम हो रहा है. हवा, पानी जहरीलेपन से मुक्त हो रहे हैं. जहां जलचर प्राणी स्वच्छंदता से विचर रहे हैं, वहीं आजकल कई नए पंछियों का कलरव सुनाई पड़ता है. परिंदे खुश होकर उड़ानें भर रहे हैं. लोगों की सोच में परिवर्तन नजर आने लगा है. वे सहयोग, मदद के लिए आगे आ रहे हैं, प्रेम, करुणा के भाव पैदा हो रहे हैं. घर-परिवार में सभी साथ बैठकर गपशप कर रहे हैं, इनडोर गेम्स खेल रहे हैं. बड़े-बुजुर्गो के पास बच्चे, बड़े कुछ समय बैठ-बतियाकर उन्हें संतुष्ट करते हैं. बाहरी खाने को छोड़कर घर पर ही साफ, शाकाहारी, स्वस्थ भोजन खाने का रुझान बढ़ा है. यह सारे सकारात्मक परिवर्तन इस पिद्दी भर के कोरोना ने ही तो करवाए हैं.
सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बेहद शक्तिशाली होता है. कई बार इससे बड़ी समस्याएं भी जादुई तरीके से सुलझ जाती हैं. इस वक्त सभी घरों में हैं और सबके पास काफी समय है. दिन में दो-तीन बार मेडिटेशन किया जा सकता है. इससे हमारे भीतर की नकारात्मकता, भय, तनाव, अवसाद धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और दूसरों के प्रति मन में शुभ भावनाएं, दुआएं स्वयं ही पैदा होने लगती हैं.