दिनकर कुमार का ब्लॉग: पूर्वोत्तर में फिर आंदोलन की सुगबुगाहट हुई तेज
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 19, 2019 06:40 AM2019-09-19T06:40:42+5:302019-09-19T06:40:42+5:30
नागरिकता संशोधन विधेयक का मूल उद्देश्य पूर्वोत्तर में रह रहे बांग्लादेशियों को नागरिकता प्रदान करना है. हम भाजपा सरकार को आगाह करना चाहते हैं कि वह पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना बंद करे और बुनियादी समस्याओं को हल करने की दिशा में कदम उठाए.
कुछ महीने पहले ही समूचे पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 के विरोध में जनआंदोलन हुआ था. इस विधेयक के जरिए भाजपा सरकार 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता प्रदान करना चाहती है. अब यह मसला फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है, चूंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया है कि पूर्वोत्तर के लोगों को इस विधेयक से आतंकित होने की कोई जरूरत नहीं है. केंद्र सरकार इसे पारित करने वाली है और शाह के मुताबिक इसके पारित होने से पूर्वोत्तर राज्यों के प्रचलित कानून पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और स्थानीय लोगों के भाषाई, सांस्कृतिक एवं अन्य अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.
शाह 9 सितंबर को गुवाहाटी में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के चौथे अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी चिंता व्यक्त की थी. शाह ने उनको आश्वस्त करने की कोशिश की और कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों का विशेष दर्जा नहीं छीना जाएगा. मेघालय के मुख्यमंत्री कौनराड संगमा ने कहा कि लोगों के मन में सवाल है कि क्या इस विधेयक के पारित होने के बाद बांग्लादेश से हिंदू शरणार्थियों का आना जारी रहेगा? नागरिकता की कोई समय सीमा निर्धारित की जाएगी या यह सिलिसला अनवरत जारी रहेगा?
नेडा में शामिल मेघालय की नेशनल पीपुल्स पार्टी और मिजोरम की पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट ने धमकी दे रखी है कि अगर इस विधेयक को पारित किया गया तो वे भाजपा का साथ छोड़ देंगी. इस विधेयक को लोकसभा में पारित किया गया था लेकिन पूर्वोत्तर में तीव्र विरोध को देखते हुए इसे इस साल की शुरु आत में राज्यसभा में पेश नहीं किया गया.
भाजपा सरकार ने जिस तरह दिसंबर से पहले इस विधेयक को पारित करने का संकेत दिया है उसे देखते हुए इसके खिलाफ आंदोलन करने वाले पूर्वोत्तर के संगठन क्षुब्ध हो उठे हैं और फिर आंदोलन शुरू करने के लिए तत्पर हो रहे हैं. पूर्वोत्तर के मूल निवासियों के फोरम (एनईएफआईपी) के नेता खुराईजोम अथौबा का कहना है-केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान गुमराह करने वाला और दोहरे मापदंड का परिचायक है.
नागरिकता संशोधन विधेयक का मूल उद्देश्य पूर्वोत्तर में रह रहे बांग्लादेशियों को नागरिकता प्रदान करना है. हम भाजपा सरकार को आगाह करना चाहते हैं कि वह पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना बंद करे और बुनियादी समस्याओं को हल करने की दिशा में कदम उठाए.