Make In India: भारत दो दशक पहले तक तमाम सुरक्षा उपकरणों और हथियारों के लिए विदेशों पर निर्भर था. पिछले दस साल में यह स्थिति बदल गई है. आज वह दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों और सुरक्षा उपकरणों का निर्यातक देश बन गया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद तो वियतनाम से लेकर सऊदी अरब तक ब्रह्मोस खरीदने की होड़ लगी है. भारत ने फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का सौदा किया है, जिसकी पहली बैटरी भेजी जा चुकी है. इंडोनेशिया भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने पर विचार कर रहा है. वियतनाम और मलेशिया भी ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखा रहे हैं.
भारत का रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2024-25 में बढ़कर 23,622 करोड़ रुपए (लगभग 2.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है. वित्त वर्ष 2023-24 के रक्षा निर्यात के आंकड़ों की तुलना में हाल ही में समाप्त वित्त वर्ष में 2,539 करोड़ रुपए या 12.04 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि 21,083 करोड़ रुपए है.
रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) ने वित्त वर्ष 2024-25 में अपने निर्यात में 42.85 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है. यह वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की बढ़ती स्वीकार्यता और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने की भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता को दर्शाता है.
वर्ष 2024-25 के रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र और डीपीएसयू ने क्रमशः 15,233 करोड़ रुपए और 8,389 करोड़ रुपए का योगदान दिया है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 15,209 करोड़ रुपए और 5,874 करोड़ रुपए था. रक्षा मंत्री के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2029 तक रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
भारत बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर सैन्य बल से विकसित होकर आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने वाला देश बन गया है. रक्षा निर्यात को बढ़ावा देते हुए, हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष में गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियां तथा पुर्जे एवं कंपोनेंट्स जैसी वस्तुओं की व्यापक रेंज लगभग 80 देशों को निर्यात की गई है.
सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत सुधार किए हैं, जिनमें औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाना, लाइसेंसिंग व्यवस्था से कुल भागों और कंपोनेंट्स को हटाना, लाइसेंस अवधि बढ़ाना आदि शामिल हैं. इसके अलावा, निर्यात की अनुमति के लिए एसओपी को और सरल बनाया गया है और देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में और प्रावधान जोड़े गए हैं. भारत का हथियार निर्यात पहली बार 21,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है.
भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के प्रयास में, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लेकर तोपखाने बंदूकों तक विभिन्न प्रकार के हथियारों के अपने निर्यात का विस्तार कर रहा है. यह विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली के प्रयास के हिस्से के रूप में आता है.