Maharashtra Cabinet: महायुति सरकार के सामने चुनौतियां?, मतदाताओं के मन में कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ी उम्मीदें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 11, 2024 05:19 AM2024-12-11T05:19:45+5:302024-12-11T05:19:45+5:30
Maharashtra Cabinet: देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि महाराष्ट्र इसके लिए 1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देगा.
Maharashtra Cabinet: हाल ही में हुए विधान सभा चुनाव में महायुति की प्रचंड बहुमत के साथ जीत ने मतदाताओं के मन में कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ी उम्मीदें पैदा कर दी हैं. इस सफलता के लिए देवेन्द्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार और उनके कार्यकर्ताओं को उनके प्रयासों के लिए बधाई. लेकिन इसी के साथ उन्हें आने वाली चुनौतियों पर गंभीरता से विचार भी करना जरूरी है. भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नरेंद्र मोदी ने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि महाराष्ट्र इसके लिए 1 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देगा.
इसे साकार करने के लिए महाराष्ट्र में 13 प्रतिशत आर्थिक विकास करना होगा. महाराष्ट्र के आर्थिक विकास में आज केवल सात जिले ही महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. अत: इन सात जिलों की समस्याओं तथा अन्य जिलों की समस्याओं पर अलग-अलग विचार करना आवश्यक है. भारत के आर्थिक विकास के लिए शांति, कानून एवं व्यवस्था पुख्ता होनी चाहिए.
हाल ही में भुवनेश्वर में हुई पुलिस महानिदेशकों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आने वाले समय में पुलिस को ‘स्मार्ट’ बनाया जाना चाहिए. बेशक, उन्हें अपेक्षा है कि पुलिस को व्यवस्थित ढंग से, बारीकियों का अध्ययन करते हुए, स्थिति के अनुरूप ढालना होगा. वह पारदर्शी ढंग से काम करे ताकि आदमी उस पर भरोसा कर सके.
उन्होंने देश के सामने मौजूद चुनौतियों का जिक्र करते हुए साइबर खतरों के बारे में जन जागरूकता के माध्यम से इस चुनौती को अवसर में बदलने का सुझाव दिया. उन्होंने इसके लिए राष्ट्रीय पुलिस हैकथॉन आयोजित करने का सुझाव दिया. मोदी ने तटीय बंदरगाहों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया.
उन्होंने विशेष रूप से समुद्र के रास्ते नशीली दवाओं के भारी मात्रा में अवैध आयात और युवाओं पर इसके प्रतिकूल प्रभाव का जिक्र किया. उन्होंने आतंकवाद और इसके जवाबी उपाय, माओवादी वामपंथी ताकतों के हमले, आर्थिक अपराध, विदेशों से घुसपैठ के बारे में चिंता व्यक्त की. इस दौरान 1 जुलाई, 2024 से लागू होने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा के लिए चंडीगढ़ में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई कि हम जल्द ही औपनिवेशिक अवधारणाओं से छुटकारा पा लेंगे.
भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आम आदमी को तत्काल न्याय दिला सकेंगे. इन उद्देश्यों को प्राप्त करने और जनता में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए स्थानीय समस्याओं का समाधान करना होगा. इसके लिए प्रत्येक थाने में पुलिस मित्र योजना लागू करने की नितांत आवश्यकता है.
सुरक्षा के नाम पर कई उद्योग संचालकों से उगाही की जाती है. सड़क पर होने वाले हमलों, सड़क पर चेन स्नैचिंग, डकैती, जबरन वसूली, जेबकतरों को नियंत्रित करने और दृश्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए, पुलिस टीमों के लिए हर दिन स्थानों की नाकाबंदी करना आवश्यक है. भारत में हर साल दुर्घटनाओं में 1 लाख 60,000 से अधिक लोग मारे जाते हैं और 5 लाख से अधिक लोग घायल होते हैं.
सड़क दुर्घटनाएं घटाने के लिए विपरीत दिशा से आने वाले वाहनों के साथ-साथ शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. शहर में ट्रैफिक पुलिस की संख्या को तीन गुना बढ़ाना होगा. पुलिस, उत्पाद शुल्क बल (एक्साइज), यातायात नियंत्रण (आरटीओ) एवं अन्य विभागों का संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित कर संबंधित के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए.
विभिन्न सभाओं, प्रदर्शनों, जुलूसों, उत्सवों के कारण होने वाली यातायात की भीड़ को हल करने के लिए राजनेताओं और धार्मिक नेताओं से चर्चा करना और उनके लिए मैदान और खुले स्थान निर्धारित करना और केवल वहीं अनुमति देना आवश्यक है. आज भी पुलिस थानों में केस दर्ज करने में आनाकानी की जाती है. अगर मोबाइल चोरी हो जाए तो उसे खोया दर्ज किया जाता है.
इससे बचने के लिए 1 जुलाई 2024 से लागू होने वाली नई भारतीय न्यायिक संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत ई-एफआईआर दाखिल करने की मंजूरी दे दी गई है. इसका प्रचार-प्रसार कर महिलाओं, बुजुर्गों और संबंधित लोगों को ई-एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित करना अपेक्षित है.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि किसी भी माध्यम से पुलिस को सूचना देने पर 10 मिनट के अंदर पुलिस मौके पर पहुंचे. आपातकालीन स्थिति के लिए उपयोगी बनाया गया एप्प 112, कई स्थानों पर उपलब्ध नहीं है. भारत में 25 प्रतिशत साइबर अपराध महाराष्ट्र में होते हैं. पिछले 11 महीने में 12 हजार करोड़ रुपए की ठगी की है.
इसके लिए बनाई गई हेल्पलाइन 1930 पर सूचना देना कठिन होता है. शायद इनकी लाइन हमेशा व्यस्त रहती है. इसमें तकनीकी सुधार करना होगा. चूंकि साइबर अपराधों को लेकर पुलिस को आधुनिकतम प्रशिक्षण नहीं दिया गया है, इसलिए साइबर अपराधों से निपटने के लिए बैंकिंग व्यवस्था को भी दुरुस्त करना होगा. साथ ही कार्रवाई बल तैनात करने की आवश्यकता है.
वित्तीय अपराधों की जांच 10-10 साल बाद भी पूरी नहीं हो पाती है, इसलिए कई पीड़ितों, विशेषकर बुजुर्गों ने आत्महत्या कर ली है. पुलिस, सीए, बैंक विशेषज्ञ और राजस्व अधिकारियों का एक संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित करना और लोगों का पैसा शीघ्र लौटाने के लिए प्रयास करना आवश्यक है. शहर के कई नागरिकों के बच्चे विदेश चले गए हैं, जिससे उनके लिए सुरक्षा की गंभीर समस्या पैदा हो गई है.
70 वर्ष से अधिक आयु वाले अकेले रहने वाले लोगों की संख्या का थाने में रिकाॅर्ड होना चाहिए. संबंधित पुलिस थाने के लोगों को हर सप्ताह उनका हालचाल लेना चाहिए. अनुसूचित जाति, जनजाति, बच्चों एवं दिव्यांगजनों की शिकायतों के समाधान के लिए संबंधित विभागों की संयुक्त टीमें गठित करने तथा स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी बढ़ाकर इसे जन आंदोलन का रूप देने की आवश्यकता है.
इसके लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को जागरूक करना जरूरी है. पुलिस का मनोबल ऊंचा रखने के लिए महानगरों में पुलिस स्टेशन परिसर में ही बहुमंजिला भवन बनाकर आवास उपलब्ध कराना जरूरी है. आज उनके लिए जो आवास हैं वे जर्जर हो चुके हैं और वहां रहने वाले पुलिसकर्मियों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
पुलिस महानिदेशक की स्वायत्तता को सक्षम बनाना आवश्यक है. यह उम्मीद की जाती है कि उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नई महायुति सरकार केंद्र सरकार के सुझाव के अनुसार महाराष्ट्र में एक राज्य सुरक्षा सलाहकार नियुक्त करेगी. और वर्तमान तथा भविष्य की समस्याओं के लिए ठोस कार्रवाई करेगी.