बीजेपी का गढ़, जातीय समीकरण अपनी जगह हैं, नरेंद्र मोदी के बनारस से 'अपराजेय' होने की एक वजह यह भी है

By रंगनाथ सिंह | Published: April 26, 2019 07:06 PM2019-04-26T19:06:59+5:302019-04-26T19:06:59+5:30

वाराणसी लोकसभा सीट से नरेंद्र मोदी ने पिछले आम चुनाव में अरविंद केजरीवाल को करीब साढ़े तीन लाख वोटों से हराया था। कांग्रेस के मौजूदा प्रत्याशी अजय राय पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे। सपा-बसपा-रालोद ने पूर्व सांसद श्यामलाल यादव की बहू शालिनी यादव को उम्मीदवार बनाया है।

lok sabha elections 2019 narendra modi is almost invincible from varanasi but why? | बीजेपी का गढ़, जातीय समीकरण अपनी जगह हैं, नरेंद्र मोदी के बनारस से 'अपराजेय' होने की एक वजह यह भी है

वाराणसी से नरेंद्र मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था।

Highlightsपीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया।नरेंद्र मोदी ने पिछले आम चुनाव में वाराणसी से भारी बहुमत से जीत हासिल की थी।कांग्रेस ने अजय राय और सपा ने शालिनी यादव को पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से उम्मीदवार बनाया है।

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कर दिया। गुरुवार को कांग्रेस ने बनारस से अजय राय को टिकट देकर प्रियंका गांधी के इस सीट से चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लगा दिया।

प्रियंका के इस सीट से चुनाव न लड़ने की कई वजहें मीडिया में बतायी जा रही हैं जिनमें से एक वजह यह दी जा रही है कि इस सीट से पीएम मोदी को हराना लगभग नामुमकिन था इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन को इस सीट से नहीं उतारा। 

जब इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव हार सकते हैं तो नरेंद्र मोदी क्यों नहीं? 

यह सही है कि बनारस का बीजेपी का मजबूत गढ़ है। यहाँ का स्थानीय जातिगत समीकरण भी बीजेपी की तरफ कुछ ज्यादा ही झुका हुआ है। 

सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने शालिनी यादव को यहाँ से प्रत्याशी बनाकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया, यह बात भी बीजेपी और पीएम मोदी के पक्ष में जाती है। 

पीएम मोदी को वाराणसी से अपराजेय प्रत्याशी बनाने के लिए इतनी वजहें तो जगजाहिर सी हैं। मीडिया में इन वजहों पर दर्जनों समाचार-विचार छप चुके हैं। 

लेकिन नरेंद्र मोदी के बनारस में लगभग अपराजेय होने की एक बड़ी वजह और है जिसकी न के बराबर ही चर्चा होती है। 

वो वजह है, ख़ुद को सृष्टि का केंद्र समझने वाले शहर बनारस की बदहाली। यहाँ की जर्जर सड़कें, गड्ढे, बदनाम ट्रैफिक जाम, बिजली कटौती, पानी, बेरोजगारी, जनसंख्या का भारी दबाव आदि-इत्यादि।

काशी में मोदी और काशीनाथ सिंह की 'कामना'

प्रियंका गांधी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की अटकल को यह कहकर हवा दी थी कि इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे।
प्रियंका गांधी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की अटकल को यह कहकर हवा दी थी कि इसका फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले जब काशीवासी हिन्दी लेखक काशीनाथ सिंह ने बीबीसी हिन्दी से बातचीत में नरेंद्र मोदी के जीत की उम्मीद जता दी थी तो काफी बवाल हुआ था। 

केकड़ा प्रवृत्ति से ग्रस्त कई निंदकों ने आनन-फानन में काशीनाथ सिंह को फासीवाद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समर्थक इत्यादि घोषित कर दिया था। 

बहुत कम लोगों ने यह जानने की कोशिश की कि आख़िर क्यों एक वामपंथी बुद्धिजीवी दक्षिणपंथी नेता को चुनाव जीतने की कामना कर रहा है। 

वामपंथी और दक्षिणपंथी जो भी हो, इस कामना को वही समझ सकता है जिसने अपने जीवन का कुछ साल बनारस में बिताया हो। 

नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। मोदी के चुनाव लड़ने के साथ ही साफ हो गया था कि अगर वह जीते तो बनारस प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होगा। 

प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होगा तो रोज चार-छह घण्टे बिजली नहीं कटेगी बल्कि शहर में 24 घण्टे बिजली रहेगी। प्रधानमंत्री कभी-कभी आते-जाते रहेंगे तो शहर की सड़कें ठीक रहेंगी। 

मोदी बनारस से जीतेंगे देश के सबसे ग़रीब इलाकों में शुमार पूर्वांचल में कुछ कल-कारखाने खुलेंगे, कुछ रोजगार तैयार होंगे।

बदहाली में क्या हिन्दू क्या मुसलमान? 

साल 2014 के <a href='https://www.lokmatnews.in/topics/lok-sabha-elections/'>लोकसभा चुनाव</a> में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के साथ गुजरात के वडोदरा सीट से भी चुनाव लड़ा था। दोनों सीट पर उन्होंने जीत हासिल की थी।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के साथ गुजरात के वडोदरा सीट से भी चुनाव लड़ा था। दोनों सीट पर उन्होंने जीत हासिल की थी।
पीएम का संसदीय सीट होने से हो सकने वाले संभावित लाभों के प्रति केवल हिन्दू वोटर नहीं लालायित थे, मुसलमान, सिख, ईसाई या जैन जो भी धर्म हो, हर मजहब के मतदाता को उम्मीद थी कि अगर पीएम बनारस से सांसद होगा तो शहर की बदहाली थोड़ी दूर होगी। 

मोदी को बनारस ने पाँच लाख 80 हजार से ज्यादा वोट दिये जो एक रिकॉर्ड था। नरेंद्र मोदी के चुनाव जीतने का बनारस से चुनाव जीतने और उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी को बहुमत मिलने का सकारात्मक असर काशी पर दिखा। 

शहर और उसके इर्द-गिर्द की कई रुकी हुई परियोजनाएँ चल पड़ीं। कछुए की रफ्तार से चल रहे विकास-कार्यों ने गति पकड़ी।

ख़ुद मुझे कभी नहीं लगता था कि रामनगर का नया पुल कभी बन सकेगा, बनारस में ट्रैफिक जाम करने की मंशा से पारित की गयी रिंगरोड का काम कभी शुरू होगा?

लेकिन पाँच साल के मोदी-राज में ये सब हुआ। बहुत कुछ नहीं हुआ, लेकिन कुछ तो हुआ। बनारस ने यूपी की सपा-बसपा और केंद्र की कांग्रेस सरकार के दौर में जो उपेक्षा झेली थी उसका दंश कुछ तो कम हुआ।

बनारस के लोग इस बात से ही ख़ुश मिले कि दश्माश्वमेघ घाट हो या कैण्ट रेलवे स्टेशन मोदी-राज में साफ रहते हैं, इन जगहों पर रोज झाडू़ लगती है। 

चुनावी विशेषज्ञ यह भूल गये कि भारत की ज्यादातर संसदीय सीटें एक वीआईपी, एक प्रधानमंत्री उम्मीदवार का इंतजार कर रही हैं ताकि वहाँ 24 घण्टे बिजली रहे, सड़क रहे, पानी आए, साफ-सफाई रहे और कुछ रोजगार आ जाए। 

English summary :
On Friday, Prime Minister Narendra Modi nominated the Bharatiya Janata Party (BJP) candidate from Varanasi Lok Sabha constituency. On Thursday, Congress gave a ticket to the Ajay Rai from Banaras and paused the speculation that Priyanka Gandhi will contest from this seat.


Web Title: lok sabha elections 2019 narendra modi is almost invincible from varanasi but why?