अभय कुमार दुबे का ब्लॉग: एक दल-महाप्रबल, मोदी की भाजपा
By अभय कुमार दुबे | Published: May 24, 2019 08:57 PM2019-05-24T20:57:41+5:302019-05-24T20:57:41+5:30
यह पहलू बताता है कि किस तरह भाजपा ने दूरगामी परिणामों को लक्ष्य बना कर अपने संगठन का विकास किया है. अब अगले पांच साल यह पार्टी दक्षिण भारत पर जोर देगी और ताज्जुब नहीं कि कुछ वर्षो के बाद उसका झंडा वहां भी लहराता हुए दिखाई दे.
इस चुनाव में भाजपा की रणनीति मतदाताओं को राष्ट्रवाद और देशभक्ति की पन्नी में लपेट कर विकास-योजनाओं की टॉफी खिलाने की रही है. खास बात यह है कि वोटरों ने यह टॉफी नरेंद्र मोदी के करिश्माई हाथों से खाई है. मोदी के पास चुनाव जीतने के लिए सब कुछ था- एक शक्तिशाली संगठन, अनाप-शनाप संसाधन, एक सुपरिभाषित नेतृत्व, उत्तम गठजोड़-प्रबंधन और सारे देश को सुनाने के लिए एक राष्ट्रीय कहानी. विपक्ष हर तरह से उनके मुकाबले कमजोर था. नतीजा मोदी की शख्सियत के आसपास एक तरह के जनमत संग्रह में निकला है.
प्रत्येक चुनाव का परिणाम हमारे लोकतंत्र के विन्यास को बदलता है. 2019 के परिणाम ने भी ऐसा ही किया है. इससे पहला नतीजा तो यह निकाला जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अतीत की कांग्रेस की तरह ‘एक दल-महाप्रबल’ की हैसियत प्राप्त कर ली है. पंजाब, आंध्र, केरल और तमिलनाडु को छोड़ कर देश में ऐसा कोई प्रांत नहीं है जहां उसके कदम गहराई से जमे हुए न दिख रहे हों. 2014 में वह पूर्वी भारत में कमजोर थी, पर इस समय वह दस राज्यों वाले इस क्षेत्र की प्रमुख पार्टी बन चुकी है.
यह पहलू बताता है कि किस तरह भाजपा ने दूरगामी परिणामों को लक्ष्य बना कर अपने संगठन का विकास किया है. अब अगले पांच साल यह पार्टी दक्षिण भारत पर जोर देगी और ताज्जुब नहीं कि कुछ वर्षो के बाद उसका झंडा वहां भी लहराता हुए दिखाई दे.