कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉगः देविंदर मामले की तह तक जाना जरूरी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 20, 2020 05:15 AM2020-01-20T05:15:27+5:302020-01-20T05:15:27+5:30
हिजबुल के दो आतंकियों व एक सहयोगी को दिल्ली पहुंचाने के फेर में कार में श्रीनगर एयरपोर्ट लाते पकड़े जाने के बाद उसके बारे में जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उनसे आशंका बलवती होती है कि उसने जाने कितनी वारदातों में अपने महकमे व पद के कारण आतंकियों की मदद की होगी और उनमें देशवासियों के जान-माल का कितना नुकसान हुआ होगा.
जम्मू-कश्मीर में डीएसपी देविंदर सिंह के दो आतंकवादियों को दिल्ली लाते समय पकड़ जाने के मामले की पूरी गहराई से छानबीन किए जाने की जरूरत है. देविंदर पिछले 25 सालों से जम्मू-कश्मीर पुलिस का हिस्सा था और अरसे से उसके एंटी हाईजैकिंग स्क्वाड जैसे संवेदनशील प्रभाग में तैनात था. हिजबुल के दो आतंकियों व एक सहयोगी को दिल्ली पहुंचाने के फेर में कार में श्रीनगर एयरपोर्ट लाते पकड़े जाने के बाद उसके बारे में जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उनसे आशंका बलवती होती है कि उसने जाने कितनी वारदातों में अपने महकमे व पद के कारण आतंकियों की मदद की होगी और उनमें देशवासियों के जान-माल का कितना नुकसान हुआ होगा.
कुछ दिन पहले वह इसी श्रीनगर एयरपोर्ट पर दौरे पर वहां गए विभिन्न देशों के राजनयिकों की सुरक्षा के लिए तैनात था. सोचने में भी असुविधा होती है कि अगर इस दौरान उसका किसी वारदात का मंसूबा बन जाता, तो क्या होता? उससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि कैसी बनती? इस तथ्य की रौशनी में सोचें तो और भी असुविधा होती है कि जिन आतंकियों को वह दिल्ली पहुंचाना चाहता था, उनमें से एक के सिर पर 20 लाख का इनाम घोषित है. उस पर कई प्रवासी मजदूरों की हत्या का भी आरोप है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार वह पहले से ही उस पर निगाह रखे हुए थी. लिहाजा श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंचने से पहले ही उन्हें पकड़ लिया गया और देविंदर आतंकवादियों को दिल्ली भेज पाता, इससे पहले ही उसकी करतूतों का भंडाफोड़ हो गया. सोचिए जरा कि वह इन आतंकियों को दिल्ली भेजने में सफल हो जाता तो? अतीत में झांकें तो संसद पर आतंकी हमले में मौत की सजा पाए अफजल गुरु ने तिहाड़ में कैद रहने के दौरान अपने वकील को लिखे पत्न में देविंदर पर प्रताड़ना और आतंकियों को दिल्ली ले आने व किराये का घर दिलाने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया था.
उस वक्त जांच की गई होती तो शायद वह इतना आगे न बढ़ा होता. अफजल गुरु जैसे सजायाफ्ता आतंकी के आरोप के बावजूद उसकी पदोन्नति क्योंकर हुई और सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ अवार्ड कैसे मिले? किन लोगों के कहने पर? इन सवालों के ठीक-ठीक जवाब तलाशने की जरूरत है.